पटनाः बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने 15 अगस्त 2007 को पटना के गांधी मैदान से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जोरदार भाषण दिया था. तब ऐसा लगा था मानों बिहार से करप्शन का नामों निशान मिट जाएगा, लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा.
सीएम का ऐलान था कि एक स्वतंत्र स्पेशल विजिलेंस सीनेट का गठन किया जाएगा जो भ्रष्ट आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की जांच करेगी. इस यूनिट्स की जिम्मेवारी सीबीआई के रिटायर्ड अधिकारियों को सौंपा जाएगा. नीतीश की इस घोषणा के बाद ब्यूरोक्रेसी में हड़कंप मच गया था. वर्तमान में इस यूनिट में केवल एक रिटायर्ड अधिकारी ही पदस्थापित हैं.
नारायण मिश्रा खिलाफ हुआ मामला दर्ज
शुरुआत के कुछ दिनों में इस पर कार्रवाई भी हुई और डीआईजी से रिटायर्ड हुए नारायण मिश्रा खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ था. मिश्रा के घर में दिव्यांग बच्चों के लिए स्कूल खोला गया था. मिश्रा पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप था, लेकिन उसके बाद से किसी आईएएसृआईपीएस अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई.
आईपीएस अधिकारी विवेक सिंह के खिलाफ मामला
स्पेशल विजिलेंस यूनिट सरकारी वेबसाइट पर देखने से जानकारी मिलती है कि आखिरी केस 2018 में आईपीएस अधिकारी विवेक सिंह के खिलाफ मुजफ्फरपुर के एसपी के नाते दर्ज हुआ था. सीआईडी की आर्थिक अपराध शाखा ने सिंह के खिलाफ छापेमारी की थी, लेकिन वह केस स्पेशल विजिलेंस को सौंप दिया गया है.
स्पेशल विजिलेंस यूनिट के मामले पर कोई भी वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारी कैमरे के सामने बोलना नहीं चाहते हैं. जानकारी को छुपाने की शर्त पर हाल ही में रिटायर्ड एक आईएएस ऑफिसर कहते हैं कि ऊंचे स्तर पर भ्रष्टाचार से निपटने के लिए भारत सरकार के प्रशिक्षित अधिकारियों की सेवाएं लेनी चाहिए, उसे इस विचार के साथ गठित किया गया था. लेकिन कुछ अफसरों के विरोध करने पर आज वह निष्क्रिय हो चुका है. स्पेशल विजिलेंस यूनिट का वर्तमान स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है.
नीतीश सरकार में ही फीकी पड़ी भ्रष्टाचार से लड़ाई
बिहार सरकार में एसवीयू अकेली भ्रष्टाचार विरोधी इकाई नहीं, दूसरी इकाइयों की भी चमक फीकी पड़ गई है. 2013 में नीतीश कुमार ने सीआईडी की आर्थिक अपराध शाखा का गठन करके भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई को आगे बढ़ाया. इस शाखा के गठन से पहले सरकार में भ्रष्टाचार से निपटने का काम सतर्कता विभाग करता था.
आर्थिक अपराध शाखा ने शुरू में कुछ अधिकारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले दर्ज किए, लेकिन अब वह केवल नशीले पदार्थों, नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज, साइबर अपराध और शराब माफियाओं के मामले ही देखती है. पिछले 2 सालों में इसने किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं किया है. गृह विभाग के अंतर्गत आने वाली विजिलेंस ब्यूरो में भी दर्ज होने वाले मामलों की संख्या काफी धीमी पड़ गई है.
रिश्वत लेते 122 अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज
नीतीश कुमार के पहले शासनकाल में रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने वाले 122 अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे. नीतीश सरकार के अलग-अलग कार्यकाल में विजिलेंस ब्यूरो ने 906 मामले दर्ज किए हैं. लेकिन हाल के कुछ सालों में यह संख्या तेजी से घटती जा रही है. विजिलेंस ब्यूरो ने 2017 में 83 मामले, 2018 में 45 और 2019 में 36 मामले दर्ज किए हैं. कोविड-19 के कारण 2020 का कोई भी रिकॉर्ड नहीं मिला है.
'भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर हुई है कार्रवाई'
हालांकि इस मामले में सत्ता पक्ष का मानना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार कई यूनिट के तहत कार्रवाई कर रही है. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन कहते हैं कि स्पेशल विजिलेंस यूनिट के अलावा आर्थिक अपराध इकाई ने लगातार भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई की है. नीतीश सरकार का स्लोगन ही भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का है.