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दिल्ली में नहीं दिखी जीने की आस, तो रिक्शे से पकड़ी बिहार की राह

दिल्ली से बिहार जाने के लिए रिक्शे से निकले कुछ लोग शुक्रवार को इटावा पहुंचे. इन लोगों ने अपनी आपबीती सुनाई. इनका कहना था कि ये लोग 28 अप्रैल को दिल्ली से निकले थे, और अभी इटावा पहुंचे हैं. अगर ऐसे ही लगातार चलते रहे तो 10 दिन में बिहार पहुंच जाएंगे.

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Published : May 9, 2020, 8:01 PM IST

दिल्ली
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इटावा/पटना : कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लागू हुए लॉकडाउन ने करोड़ों लोगों को सड़क पर ला दिया है. रोजी-रोटी के लिए अपने घरों से दूर रहने वाले मजदूर खाने-पीने की कोई व्यवस्था न होने के कारण घर वापसी कर रहे हैं. कोई पैदल जा रहा है तो कोई साइकिल से ही घर की ओर निकल रहा है. कुछ ऐसा ही हाल है निमेश कुमार और बब्लू मंडल का. ये लोग दिल्ली से बिहार जाने के लिए रिक्शा से निकले हैं.

इन लोगों ने बताया कि 22 मार्च से काम नहीं मिला था. मकान मालिक भी किराए के लिए दबाव बना रहा था, रहने का भी ठिकाना नहीं बचा था, जिसके बाद 28 अप्रैल को दिल्ली से बिहार लिए रिक्शा पर सवार निकल लिए. इन लोगों ने बताय़ा कि अगर रिक्शे से लगातार चलते रहे और किसी ने नहीं रोका तो बिहार तक पहुंचने में करीब 13 दिन लगेंगे. ये लोग दिल्ली से चलते हुए आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के रास्ते इटावा पहुंचे हैं. इस दौरान इन्होंने करीब 350 किलोमीटर की दूरी तय की है.

देखें पूरी रिपोर्ट

मकान मालिक किराये के लिए बना रहा था दवाब
इन्होंने अपनी आपबीती बताते हुए कहा, कि जहां पर रह रहे थे वहां मकान मालिक बार-बार किराए के लिए दबाव बना रहा था. दिल्ली में भी खाने-पीने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी. पैसा खत्म हो चुका था बिना पैसे के दिल्ली में खाने-पीने के लिए कुछ नहीं मिल रहा था.

लॉकडाउन बढ़ने की वजह से निकलना पड़ा
इन लोगों ने आगे बताया कि सोचा था कि 3 मई को लॉकडाउन खुल जाएगा और हम लोग अपने घरों के लिए रवाना हो जाएंगे, लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते हुए मरीजों की संख्या को देखते हुए सरकार ने 17 मई तक और लॉकडाउन को बढ़ा दिया. जिसके बाद हमारे पास रिक्शा के सिवा घर जाने का और कोई सहारा नहीं था.

कोरोना से बच भी गए तो भुखमरी मार देगी
उन्होंने बताया कि जब से हम लोग दिल्ली से निकले हैं, तब से अभी तक हम लोगों ने खाना नहीं खाया है. रास्ते में कुछ लोग बिस्किट, नमकीन के पैकेट और पानी बांट रहे होते हैं, उसी से हम लोगों का गुजारा हो रहा है. साथ ही उनका कहना था कि अगर लगातार ऐसे ही चलते रहे तो भी अपनी मंजिल तक पहुंचने में हमे 10 दिन का समय और लगेगा.

इटावा/पटना : कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लागू हुए लॉकडाउन ने करोड़ों लोगों को सड़क पर ला दिया है. रोजी-रोटी के लिए अपने घरों से दूर रहने वाले मजदूर खाने-पीने की कोई व्यवस्था न होने के कारण घर वापसी कर रहे हैं. कोई पैदल जा रहा है तो कोई साइकिल से ही घर की ओर निकल रहा है. कुछ ऐसा ही हाल है निमेश कुमार और बब्लू मंडल का. ये लोग दिल्ली से बिहार जाने के लिए रिक्शा से निकले हैं.

इन लोगों ने बताया कि 22 मार्च से काम नहीं मिला था. मकान मालिक भी किराए के लिए दबाव बना रहा था, रहने का भी ठिकाना नहीं बचा था, जिसके बाद 28 अप्रैल को दिल्ली से बिहार लिए रिक्शा पर सवार निकल लिए. इन लोगों ने बताय़ा कि अगर रिक्शे से लगातार चलते रहे और किसी ने नहीं रोका तो बिहार तक पहुंचने में करीब 13 दिन लगेंगे. ये लोग दिल्ली से चलते हुए आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के रास्ते इटावा पहुंचे हैं. इस दौरान इन्होंने करीब 350 किलोमीटर की दूरी तय की है.

देखें पूरी रिपोर्ट

मकान मालिक किराये के लिए बना रहा था दवाब
इन्होंने अपनी आपबीती बताते हुए कहा, कि जहां पर रह रहे थे वहां मकान मालिक बार-बार किराए के लिए दबाव बना रहा था. दिल्ली में भी खाने-पीने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी. पैसा खत्म हो चुका था बिना पैसे के दिल्ली में खाने-पीने के लिए कुछ नहीं मिल रहा था.

लॉकडाउन बढ़ने की वजह से निकलना पड़ा
इन लोगों ने आगे बताया कि सोचा था कि 3 मई को लॉकडाउन खुल जाएगा और हम लोग अपने घरों के लिए रवाना हो जाएंगे, लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते हुए मरीजों की संख्या को देखते हुए सरकार ने 17 मई तक और लॉकडाउन को बढ़ा दिया. जिसके बाद हमारे पास रिक्शा के सिवा घर जाने का और कोई सहारा नहीं था.

कोरोना से बच भी गए तो भुखमरी मार देगी
उन्होंने बताया कि जब से हम लोग दिल्ली से निकले हैं, तब से अभी तक हम लोगों ने खाना नहीं खाया है. रास्ते में कुछ लोग बिस्किट, नमकीन के पैकेट और पानी बांट रहे होते हैं, उसी से हम लोगों का गुजारा हो रहा है. साथ ही उनका कहना था कि अगर लगातार ऐसे ही चलते रहे तो भी अपनी मंजिल तक पहुंचने में हमे 10 दिन का समय और लगेगा.

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