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साइबेरियन पक्षियों से गुलजार हुआ राजधानी का जलाशय, इलाके में बढ़ी पक्षियों की चहचहाहट - atna

राजधानी जलाशय में फिर से प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट गूंजने लगी है. पटना वन प्रमंडल अधिकारी शशिकांत कुमार ने बताया लॉकडाउन के कारण गर्मी और प्रदूषण में भी काफी कमी हुई है. इस कारण पिया साइबेरियन पक्षी अभी तक यहां अपना डेरा डाले हुए हैं.

Patna Secretariat
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Published : Apr 15, 2020, 10:59 AM IST

पटना: साइबेरियन पक्षी एक दशक बाद फिर पटना के सचिवालय स्थित राजधानी तालाब के किनारे लौट आए हैं. विभिन्न प्रकार के आवाज वाले इन पक्षियों को देखने का आनंद कुछ और ही बन रहा है. तालाब के चारों तरफ रंग-बिरंगी साइबेरियन पक्षियों को देखा जा रहा है.

गूंजने लगी है पक्षियों की चहचहाहट
बता दें कि सचिवालय स्थित इस तालाब को कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री की ओर से राजधानी जलाशय का नाम दिया था. यहां ठंड के मौसम में हजारों की संख्या में विदेशी पक्षियों का आगमन होता है. यह राजधानी जलाशय पटना के बीचों-बीच पुराने सचिवालय में स्थित है. जहां का नजारा देखने में खूब बनता है. इन पक्षियों का एक साथ उड़ना और उस समय तो मानो मन शांत हो जाता है, जब विदेशी पक्षियों की चहचहाहट कानों में गूंजती है और यहां जाने के बाद अजीब शांति महसूस होती है.

Patna Secretariat
साइबेरियन पक्षी

'वातावरण में कुछ ठंडक अभी भी बाकी'
पक्षियों के किसी विशेष मौसम में भौगोलिक बदलाव को प्रवासन नाम दिया गया है. प्रवास का अर्थ है, यात्रा पर जाना या दूसरे स्थान पर जाना, लेकिन उनका यह प्रवास केवल एक देश में सीमित नहीं होता, बल्कि विभिन्न देशों तक होता है, जहां भी इन्हें अपने अनुकूल मौसम और भोजन मिल जाए. इसी क्रम में ये राजधानी जलाशय पहुंचते हैं. कई पक्षी तो ऐसे हैं, जो कई माह का सफर तय कर दूसरे देश यहां पहुंचते हैं बताया जाता है कि हर साल यह पक्षी मार्च महीने तक यहां से पलायन कर जाते थे, लेकिन इस बार यह विदेशी पक्षी अभी तक पटना के राजधानी जलाशय में अपना डेरा डाले हुए हैं. इसके पीछे अहम बात यह है कि इस बार मौसम उनके अनुकूल चल रहा है या लॉक डाउन के कारण वातावरण में कुछ ठंडक अभी भी बाकी है.

देखें रिपोर्ट.

मानसरोवर झील के किनारे अंडा देता है यह पक्षी
साइबेरियन पक्षी लगभग 10 हजार किलोमीटर का सफर तय करके रूस के निकट साइबेरिया से उड़ कर रास्ते में जगह-जगह रुकते हुए फिर यहां पहुंचते हैं. इसके बाद भारत में आकर जगह-जगह सर्दियां गुजारते हैं. इसके अलावा कजाकिस्तान से भी पक्षी आते हैं. भारत का सुप्रसिद्ध पक्षी राजहंस भारत में सर्दियां गुजारता है और माना जाता है कि तिब्बत कर मानसरोवर झील के किनारे यह अंडा देता है.

झुंड बना करते हैं प्रवास
पक्षियों में एक हैरत में डालने वाली बात ये है कि जब ये सभी प्रवास के लिए अकेले नहीं, बल्कि हजारों की संख्या में झुंड़ बनाकर निकलते हैं. साइबेरियन क्रेन, ग्रेट फ्लेमिंगो जैसे काफी पक्षी माइग्रेटिंग के दौरान काफी ऊंची उड़ान भरते हैं. ये तभी प्रवास पर जाते हैं, जब इन्हें लगता है कि इनके पास इतनी ऊर्जा है, जो इनकी यात्रा के दौरान साथ देगा.

बेहतर माहौल के कारण आते हैं बिहार
पटना वन प्रमंडल अधिकारी शशिकांत कुमार ने बताया कि ये पक्षी हर साल यहां आते हैं और मार्च महीने तक चले जाया करते थे, उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण गर्मी और प्रदूषण में भी काफी कमी हुई है. इस कारण कारण पिया साइबेरियन पक्षियों अभी तक यहां अपना डेरा डाले हुए हैं और राजधानी जलाशय की सुंदरता बढ़ा रहे हैं.

पटना: साइबेरियन पक्षी एक दशक बाद फिर पटना के सचिवालय स्थित राजधानी तालाब के किनारे लौट आए हैं. विभिन्न प्रकार के आवाज वाले इन पक्षियों को देखने का आनंद कुछ और ही बन रहा है. तालाब के चारों तरफ रंग-बिरंगी साइबेरियन पक्षियों को देखा जा रहा है.

गूंजने लगी है पक्षियों की चहचहाहट
बता दें कि सचिवालय स्थित इस तालाब को कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री की ओर से राजधानी जलाशय का नाम दिया था. यहां ठंड के मौसम में हजारों की संख्या में विदेशी पक्षियों का आगमन होता है. यह राजधानी जलाशय पटना के बीचों-बीच पुराने सचिवालय में स्थित है. जहां का नजारा देखने में खूब बनता है. इन पक्षियों का एक साथ उड़ना और उस समय तो मानो मन शांत हो जाता है, जब विदेशी पक्षियों की चहचहाहट कानों में गूंजती है और यहां जाने के बाद अजीब शांति महसूस होती है.

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साइबेरियन पक्षी

'वातावरण में कुछ ठंडक अभी भी बाकी'
पक्षियों के किसी विशेष मौसम में भौगोलिक बदलाव को प्रवासन नाम दिया गया है. प्रवास का अर्थ है, यात्रा पर जाना या दूसरे स्थान पर जाना, लेकिन उनका यह प्रवास केवल एक देश में सीमित नहीं होता, बल्कि विभिन्न देशों तक होता है, जहां भी इन्हें अपने अनुकूल मौसम और भोजन मिल जाए. इसी क्रम में ये राजधानी जलाशय पहुंचते हैं. कई पक्षी तो ऐसे हैं, जो कई माह का सफर तय कर दूसरे देश यहां पहुंचते हैं बताया जाता है कि हर साल यह पक्षी मार्च महीने तक यहां से पलायन कर जाते थे, लेकिन इस बार यह विदेशी पक्षी अभी तक पटना के राजधानी जलाशय में अपना डेरा डाले हुए हैं. इसके पीछे अहम बात यह है कि इस बार मौसम उनके अनुकूल चल रहा है या लॉक डाउन के कारण वातावरण में कुछ ठंडक अभी भी बाकी है.

देखें रिपोर्ट.

मानसरोवर झील के किनारे अंडा देता है यह पक्षी
साइबेरियन पक्षी लगभग 10 हजार किलोमीटर का सफर तय करके रूस के निकट साइबेरिया से उड़ कर रास्ते में जगह-जगह रुकते हुए फिर यहां पहुंचते हैं. इसके बाद भारत में आकर जगह-जगह सर्दियां गुजारते हैं. इसके अलावा कजाकिस्तान से भी पक्षी आते हैं. भारत का सुप्रसिद्ध पक्षी राजहंस भारत में सर्दियां गुजारता है और माना जाता है कि तिब्बत कर मानसरोवर झील के किनारे यह अंडा देता है.

झुंड बना करते हैं प्रवास
पक्षियों में एक हैरत में डालने वाली बात ये है कि जब ये सभी प्रवास के लिए अकेले नहीं, बल्कि हजारों की संख्या में झुंड़ बनाकर निकलते हैं. साइबेरियन क्रेन, ग्रेट फ्लेमिंगो जैसे काफी पक्षी माइग्रेटिंग के दौरान काफी ऊंची उड़ान भरते हैं. ये तभी प्रवास पर जाते हैं, जब इन्हें लगता है कि इनके पास इतनी ऊर्जा है, जो इनकी यात्रा के दौरान साथ देगा.

बेहतर माहौल के कारण आते हैं बिहार
पटना वन प्रमंडल अधिकारी शशिकांत कुमार ने बताया कि ये पक्षी हर साल यहां आते हैं और मार्च महीने तक चले जाया करते थे, उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण गर्मी और प्रदूषण में भी काफी कमी हुई है. इस कारण कारण पिया साइबेरियन पक्षियों अभी तक यहां अपना डेरा डाले हुए हैं और राजधानी जलाशय की सुंदरता बढ़ा रहे हैं.

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