पटना: बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सह बिहार सरकार में उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने निवर्तमान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी (Former Vice President Hamid Ansari) को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि, जिस तरह से हामिद अंसारी ने अमेरिका में जाकर एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय मुसलमान और भारतीयता को लेकर बातें की है, वह गलत है. अमेरिका में जो संस्था है वह लगातार भारत विरोधी काम कर रही है. हामिद अंसारी का इसके कार्यक्रम में शामिल होना कहीं से भी सही नहीं है.
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शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain On Hamid Ansari Controversial statement ) ने कहा कि, भारत के मुसलमानों को लेकर जो बात हामिद अंसारी (hamid ansari criticises indian democracy) ने कही है, 'वह कहीं से भी ठीक नहीं है. भारतीय मुसलमानों को एक तरह से बरगलाने का काम किया जा रहा है. समय-समय पर इस तरह का काम हामिद अंसारी करते रहते हैं. जो बातें हामिद अंसारी ने IAMC के कार्यक्रम में कही हैं उसकी बीजेपी घोर निंदा करती है.'
शाहनवाज हुसैन ने साफ-साफ कहा कि, वर्तमान में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है और पूरे विश्व में यह सरकार मुसलमानों के लिए सबसे अच्छी सरकार है. भारत में हिंदू मुस्लिम एकता दिखती है. सबका साथ सबका विकास के तर्ज पर नरेंद्र मोदी काम करते हैं. भारत के मुसलमानों की स्थिति विश्व के दूसरे देशों से ज्यादा अच्छी है. कहीं भी यह बात सामने नहीं आती है कि भारत में हिंदू मुस्लिम अलग-अलग हैं.
राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि, बावजूद इसके हामिद अंसारी जिस तरह की बात अमेरिका में जाकर कर रहे हैं, कहीं न कहीं यह गलत है. हम इसकी निंदा करते हैं और उनके बयान को दुर्भाग्यपूर्ण मानते हैं. भारत के मुसलमान उनसे पूछना चाहते हैं कि, आखिर किन हालातों पर वह अमेरिका के उस संस्था के कार्यक्रम में जाते हैं, जो लगातार भारत विरोधी अभियान चलाते रहता है.
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क्या कहा था हामिद अंसारी ने: बुधवार को भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद की ओर से आयोजित एक वर्चुअल मीटिंग में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि, देश में खासकर एक धर्म के लोगों को उकसाया जा रहा है. देश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के नाम पर असहिष्णुता (Hamid Ansari On Hinduism in India) को हवा दी जा रही है और असुरक्षा का माहौल बनाया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि हाल के वर्षों में उन प्रवृत्तियों और प्रथाओं के उद्भव का अनुभव किया है, जो नागरिक राष्ट्रवाद के सुस्थापित सिद्धांत को लेकर विवाद खड़ा करती हैं और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की एक नई एवं काल्पनिक प्रवृति को बढ़ावा देती हैं. वह नागरिकों को उनके धर्म के आधार पर अलग करना चाहती हैं, असहिष्णुता को हवा देती हैं और अशांति एवं असुरक्षा को बढ़ावा देती हैं.
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