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NDA में सीट शेयरिंग पर फंस सकता है पेंच, 2010 के फॉर्मूले पर हुआ बंटवारा तो BJP के लिए खतरा!

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Published : Jul 24, 2020, 10:27 PM IST

आगामी चुनाव को लेकर बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है. अगर साल 2010 के फार्मूले पर भाजपा-जदयू में सीटों का बंटवारा होता है तो भाजपा के दो दर्जन विधायकों के टिकट कट जाएंगे.

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पटना: बिहार में भाजपा और जदयू के बीच लंबे समय से चुनावी गठबंधन रहा है. लेकिन साल 2015 में नीतीश कुमार भाजपा का दामन छोड़ महागठबंधन में शामिल हो गए थे. बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी थी और भाजपा महज 53 सीटों पर सिमट गई. 2020 में भाजपा और जदयू के बीच अगर 2010 के फार्मूले पर सीटों का बंटवारा हुआ तो भाजपा के दो दर्जन विधायकों के टिकट कट सकते हैं.

पारंपरिक सीटों को हासिल करना चाहेगी जेडीयू
बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी जदयू लंबे समय से भाजपा की सहयोगी पार्टी रही है. लेकिन जदयू पिछले कई चुनाव से बड़े भाई की भूमिका में रही है. 2010 विधानसभा चुनाव में यदि 141 सीटों पर चुनाव लड़ी थी तो इस साल क्यों नहीं? जेडीयू को 115 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. जबकि भाजपा 102 सीटों पर चुनाव लड़ी और 91 सीटों पर जीत दर्ज की. यानी एनडीए के खाते में कुल 206 सीटें गई थी.

2013 में बीजेपी-जेडीयू ने ली अलग राह
17 जून 2013 को भाजपा और जदयू अलग हो गई. 17 साल पुराना गठबंधन अचानक टूट गया और नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल हो गए. 2015 विधानसभा चुनाव में भाजपा-जदयू अलग-अलग लड़ी. भाजपा को 53 सीटों पर जीत हासिल हुई. भाजपा के हिस्से आई 53 सीटों में से 23 विधानसभा सीटें ऐसी रही जिन पर लंबे समय से जदयू के प्रत्याशी ही चुनाव लड़ते और विधायक बनते थे. ऐसे में जाहिर तौर पर 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू तमाम वैसी सीटों पर दावा पेश कर भाजपा के सामने मुश्किलें खड़ी करेगी.

एक नजर उन सीटों पर जिसको लेकर एनडीए में हो सकता है विवाद:

विधानसभाविजेता(BJP)उपविजेता(JDU)
रामनगरराघव शरण पांडेभीष्म साहनी
नौतननारायण प्रसादवैद्यनाथ महतो
चनपटियाप्रकाश रायएनएन शाही
कल्याणपुरसचिंद्र प्रसाद सिंहरजिया खातून
पिपरा श्याम बाबू यादवकृष्ण चंद्र
मधुबनराणा रणधीरशिवाजी राय
सिकटीविजय मंडलशत्रुघ्न प्रसाद सुमन
कटिहारतार किशोर प्रसादविजय सिंह
जालेजीवेश कुमारऋषि मिश्रा
विधानसभाविजेता(BJP)उपविजेता(JDU)
कुढ़नीकेदार प्रसादमनोज सिंह
मुजफ्फरपुरसुरेश शर्माविजेंद्र चौधरी
बैकुंठपुरमिथिलेश तिवारीमनजीत कुमार सिंह
सिवानव्यासदेव प्रसादबबलू प्रसाद
अमनौरशत्रुघ्न तिवारीकृष्ण कुमार महतो
लखीसरायविजय सिन्हारामानंद मंडल
बाढ़ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानूमनोज कुमार
दीघासंजीव चौरसियाराजीव रंजन
भभुआआनंद भूषण पांडेडॉक्टर प्रमोद कुमार
गोहमनोज कुमारडॉ. रणविजय कुमार
गरुआ राजीव नंदनरामचंद्र प्रसाद सिंह
हिसुआ अनिल सिंहकौशल यादव
वारसलीगंजअरुणा देवीप्रदीप कुमार
झाझारविन्द्र यादवदामोदर रावत

भाजपा कोटे के दो मंत्रियों के टिकट पर जदयू की नजर
एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर भाजपा नेता और विधान पार्षद संजय पासवान ने कहा है कि पहली प्राथमिकता हमारी यह होगी कि जो सिटिंग एमएलए हैं उनको डिस्टर्ब ना किया जाए. इसके अलावा जिले में राजद और कांग्रेस कोटे की सीटें बचेगी तो उसमें सहमति के आधार पर अदला-बदली की जा सकती है. इस पर कुछ काम हम लोगों ने किया है.

'जब सीट शेयरिंग की बात आएगी तब निकालेंगे हल'
वहीं, जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि सीट शेयरिंग पर कि जब बात होगी तो इस मसले का समाधान ढूंढ लिया जाएगा. शीर्ष नेता जब बैठेंगे तब तमाम मुद्दों पर चर्चा होगी. एनडीए के नेता समस्या का समाधान आसानी से ढूंढ लेंगे.

पटना: बिहार में भाजपा और जदयू के बीच लंबे समय से चुनावी गठबंधन रहा है. लेकिन साल 2015 में नीतीश कुमार भाजपा का दामन छोड़ महागठबंधन में शामिल हो गए थे. बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी थी और भाजपा महज 53 सीटों पर सिमट गई. 2020 में भाजपा और जदयू के बीच अगर 2010 के फार्मूले पर सीटों का बंटवारा हुआ तो भाजपा के दो दर्जन विधायकों के टिकट कट सकते हैं.

पारंपरिक सीटों को हासिल करना चाहेगी जेडीयू
बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी जदयू लंबे समय से भाजपा की सहयोगी पार्टी रही है. लेकिन जदयू पिछले कई चुनाव से बड़े भाई की भूमिका में रही है. 2010 विधानसभा चुनाव में यदि 141 सीटों पर चुनाव लड़ी थी तो इस साल क्यों नहीं? जेडीयू को 115 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. जबकि भाजपा 102 सीटों पर चुनाव लड़ी और 91 सीटों पर जीत दर्ज की. यानी एनडीए के खाते में कुल 206 सीटें गई थी.

2013 में बीजेपी-जेडीयू ने ली अलग राह
17 जून 2013 को भाजपा और जदयू अलग हो गई. 17 साल पुराना गठबंधन अचानक टूट गया और नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल हो गए. 2015 विधानसभा चुनाव में भाजपा-जदयू अलग-अलग लड़ी. भाजपा को 53 सीटों पर जीत हासिल हुई. भाजपा के हिस्से आई 53 सीटों में से 23 विधानसभा सीटें ऐसी रही जिन पर लंबे समय से जदयू के प्रत्याशी ही चुनाव लड़ते और विधायक बनते थे. ऐसे में जाहिर तौर पर 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू तमाम वैसी सीटों पर दावा पेश कर भाजपा के सामने मुश्किलें खड़ी करेगी.

एक नजर उन सीटों पर जिसको लेकर एनडीए में हो सकता है विवाद:

विधानसभाविजेता(BJP)उपविजेता(JDU)
रामनगरराघव शरण पांडेभीष्म साहनी
नौतननारायण प्रसादवैद्यनाथ महतो
चनपटियाप्रकाश रायएनएन शाही
कल्याणपुरसचिंद्र प्रसाद सिंहरजिया खातून
पिपरा श्याम बाबू यादवकृष्ण चंद्र
मधुबनराणा रणधीरशिवाजी राय
सिकटीविजय मंडलशत्रुघ्न प्रसाद सुमन
कटिहारतार किशोर प्रसादविजय सिंह
जालेजीवेश कुमारऋषि मिश्रा
विधानसभाविजेता(BJP)उपविजेता(JDU)
कुढ़नीकेदार प्रसादमनोज सिंह
मुजफ्फरपुरसुरेश शर्माविजेंद्र चौधरी
बैकुंठपुरमिथिलेश तिवारीमनजीत कुमार सिंह
सिवानव्यासदेव प्रसादबबलू प्रसाद
अमनौरशत्रुघ्न तिवारीकृष्ण कुमार महतो
लखीसरायविजय सिन्हारामानंद मंडल
बाढ़ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानूमनोज कुमार
दीघासंजीव चौरसियाराजीव रंजन
भभुआआनंद भूषण पांडेडॉक्टर प्रमोद कुमार
गोहमनोज कुमारडॉ. रणविजय कुमार
गरुआ राजीव नंदनरामचंद्र प्रसाद सिंह
हिसुआ अनिल सिंहकौशल यादव
वारसलीगंजअरुणा देवीप्रदीप कुमार
झाझारविन्द्र यादवदामोदर रावत

भाजपा कोटे के दो मंत्रियों के टिकट पर जदयू की नजर
एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर भाजपा नेता और विधान पार्षद संजय पासवान ने कहा है कि पहली प्राथमिकता हमारी यह होगी कि जो सिटिंग एमएलए हैं उनको डिस्टर्ब ना किया जाए. इसके अलावा जिले में राजद और कांग्रेस कोटे की सीटें बचेगी तो उसमें सहमति के आधार पर अदला-बदली की जा सकती है. इस पर कुछ काम हम लोगों ने किया है.

'जब सीट शेयरिंग की बात आएगी तब निकालेंगे हल'
वहीं, जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि सीट शेयरिंग पर कि जब बात होगी तो इस मसले का समाधान ढूंढ लिया जाएगा. शीर्ष नेता जब बैठेंगे तब तमाम मुद्दों पर चर्चा होगी. एनडीए के नेता समस्या का समाधान आसानी से ढूंढ लेंगे.

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