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सदियों पुराने पटना कलेक्ट्रेट परिसर में तोड़फोड़ पर SC ने दिया यथास्थिति का आदेश

कोर्ट ने कहा कि दो हफ्तों के अंदर जवाब देने के लिये नोटिस जारी किया जाता है. इस बीच विवादित इमारत को लेकर पक्षकारों द्वारा यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी.

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Published : Sep 18, 2020, 10:37 PM IST

पटना
पटना

नई दिल्ली/पटना: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सदियों पुराने पटना कलेक्ट्रेट परिसर को ढहाए जाने से जुड़े मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया. परिरस के कुछ हिस्से डच (नीदरलैंड) कालीन हैं. दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नई इमारत के लिये आधारशिला रखी थी.

बिहार में अक्टूबर-नवंबर में संभावित विधानसभा चुनावों से पहले 622.22 करोड़ रुपये की लागत से मुख्यमंत्री ने बुधवार को पटना में कलेक्ट्रेट की नई इमारत बनाए जाने समेत 29 इमारतों का उद्घाटन किया था और कुछ की आधारशिला रखी थी.

'ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है इमारत'
उच्चतम न्यायालय को सूचित किया गया कि डच-कालीन और ब्रिटिश-कालीन इमारतों वाला यह परिसर ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है और इसे 'इतिहास के प्रतीक' के तौर पर संरक्षित रखा जाना चाहिए.

न्यायालय को बताया गया कि 2016 में डच राजदूत ने भी भारत और नीदरलैंड की इस 'साझा विरासत' को संरक्षित रखने का अनुरोध किया था.

इमारत में रखे जा रहे थे अफीम और विस्फोटक
पटना उच्च न्यायालय ने एक सितंबर को इस ऐहितासिक इमारत को तोड़े जाने पर लगी रोक को हटा दिया था, इसके कुछ हिस्सों का इस्तेमाल अफीम और विस्फोटक रखने के लिये भी किया जाता था.

SC ने बिहार सरकार से मांगा जवाब
उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए कला एवं सांस्कृतिक विरासत के लिये भारतीय राष्ट्रीय न्यास (आईएनटीएसीएच) की पटना शाखा ने न्यायालय में याचिका दायर की थी. इस याचिका पर प्रधान न्यायाधीश एस ए बोब्डे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने बिहार सरकार से दो हफ्तों में उसका जवाब मांगा है.

पीठ ने आदेश में कहा, 'दो हफ्तों के अंदर जवाब देने के लिये नोटिस जारी किया जाता है. इस बीच विवादित इमारत को लेकर पक्षकारों द्वारा यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी.' गंगा नदी के किनारे स्थित इस परिसर के कुछ हिस्से 250 सालों से भी ज्यादा पुराने हैं.

रामनरेश पांडे का बयान

CPI ने कोर्ट के फैसले का किया स्वागत
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने स्वागत किया है. पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पांडे बिहार सरकार से मांग की है कि वे अपने धरोहरों को सुरक्षित रखे.

नई दिल्ली/पटना: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सदियों पुराने पटना कलेक्ट्रेट परिसर को ढहाए जाने से जुड़े मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया. परिरस के कुछ हिस्से डच (नीदरलैंड) कालीन हैं. दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नई इमारत के लिये आधारशिला रखी थी.

बिहार में अक्टूबर-नवंबर में संभावित विधानसभा चुनावों से पहले 622.22 करोड़ रुपये की लागत से मुख्यमंत्री ने बुधवार को पटना में कलेक्ट्रेट की नई इमारत बनाए जाने समेत 29 इमारतों का उद्घाटन किया था और कुछ की आधारशिला रखी थी.

'ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है इमारत'
उच्चतम न्यायालय को सूचित किया गया कि डच-कालीन और ब्रिटिश-कालीन इमारतों वाला यह परिसर ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है और इसे 'इतिहास के प्रतीक' के तौर पर संरक्षित रखा जाना चाहिए.

न्यायालय को बताया गया कि 2016 में डच राजदूत ने भी भारत और नीदरलैंड की इस 'साझा विरासत' को संरक्षित रखने का अनुरोध किया था.

इमारत में रखे जा रहे थे अफीम और विस्फोटक
पटना उच्च न्यायालय ने एक सितंबर को इस ऐहितासिक इमारत को तोड़े जाने पर लगी रोक को हटा दिया था, इसके कुछ हिस्सों का इस्तेमाल अफीम और विस्फोटक रखने के लिये भी किया जाता था.

SC ने बिहार सरकार से मांगा जवाब
उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए कला एवं सांस्कृतिक विरासत के लिये भारतीय राष्ट्रीय न्यास (आईएनटीएसीएच) की पटना शाखा ने न्यायालय में याचिका दायर की थी. इस याचिका पर प्रधान न्यायाधीश एस ए बोब्डे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने बिहार सरकार से दो हफ्तों में उसका जवाब मांगा है.

पीठ ने आदेश में कहा, 'दो हफ्तों के अंदर जवाब देने के लिये नोटिस जारी किया जाता है. इस बीच विवादित इमारत को लेकर पक्षकारों द्वारा यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी.' गंगा नदी के किनारे स्थित इस परिसर के कुछ हिस्से 250 सालों से भी ज्यादा पुराने हैं.

रामनरेश पांडे का बयान

CPI ने कोर्ट के फैसले का किया स्वागत
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने स्वागत किया है. पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पांडे बिहार सरकार से मांग की है कि वे अपने धरोहरों को सुरक्षित रखे.

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