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लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से मिली जमानत, जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ

दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में सजायाफ्ता राजद सुप्रीमो लालू यादव के लिए खुशी का दिन है. झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है. इस मामले में उन्होंने सजा की आधी अवधि पूरी कर ली थी. दुमका मामले में जमानत मिलने के बाद लालू यादव के जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ हो गया है.

पटना
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Published : Apr 17, 2021, 5:44 PM IST

रांची/पटना: दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में सजायाफ्ता राजद सुप्रीमो लालू यादव के लिए खुशी का दिन है. झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है. इस मामले में उन्होंने सजा की आधी अवधि पूरी कर ली थी. लेकिन, जमानत लेने के लिए उन्हें कई बार कोर्ट में मूव करना पड़ा था.

ये भी पढ़ें- अब जेल से बाहर आएंगे लालू यादव, चारा घोटाला के सभी मामलों में मिली जमानत

जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ
पिछली कई सुनवाई के दौरान सजा की आधी अवधि पूरी नहीं होने के कारण जमानत नहीं मिली थी. लालू यादव को चाईबासा के दो मामले और देवघर के एक मामले में पहले से ही जमानत मिल चुकी है. दुमका मामले में जमानत मिलने के बाद लालू यादव के जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ हो गया है. फिलहाल लालू यादव दिल्ली स्थित एम्स में इलाजरत हैं.

लालू यादव को मिली जमानत
लालू यादव को मिली जमानत

कपिल सिब्बल ने रखा पक्ष
लालू प्रसाद की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि लालू प्रसाद को दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में सजा दी गई है, ये सही नहीं है. उसे लालू प्रसाद ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. इसी मामले में अन्य आरोपी को भी इस तरह की सजा दी गई है. जिसे अदालत ने 7 साल मानते हुए उन्हें जमानत की सुविधा भी दी है. इसलिए हमें भी जमानत की सुविधा दी जाए.

''लालू प्रसाद को 7 साल की सजा दी गई है. वो इस सजा की आधी अवधि जेल में काट चुके हैं. उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है. इसलिए उन्हें दिल्ली स्थित एम्स में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. वर्तमान में वे इलाज करा रहे हैं, बेहतर इलाज के लिए उन्हें जमानत दी जाए''- कपिल सिब्बल, लालू प्रसाद के अधिवक्ता

जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ

कोर्ट ने सीबीआई के विरोध को नकारा
हाईकोर्ट ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए जमानत की सुविधा उपलब्ध कराई है. वहीं, सीबीआई की ओर से जमानत का विरोध किया गया, लेकिन अदालत ने सीबीआई के आग्रह को नकार दिया है.

ये भी पढ़ें- बंद पड़े RJD कार्यालय में बढ़ी हलचल, कार्यकर्ताओं ने एक सुर में कहा- आ रहे गरीबों के मसीहा

बता दें कि दुमका कोषागार से दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच गैर-कानूनी तरीके से 3.76 करोड़ रुपए निकाले गए. इस मामले में सीबीआई ने 11 अप्रैल 1996 को 48 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. 11 मई 2000 को पहली चार्जशीट दायर की गई थी. इस मामले में सीबीआई की निचली अदालत ने लालू प्रसाद को दो धाराओं का दोषी मानते हुए 7-7 साल की सजा दी है. जिसमें दोनों सजाएं अलग-अलग चलने को कहा गया है.

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जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ
पिछली कई सुनवाई के दौरान सजा की आधी अवधि पूरी नहीं होने के कारण जमानत नहीं मिली थी. लालू यादव को चाईबासा के दो मामले और देवघर के एक मामले में पहले से ही जमानत मिल चुकी है. दुमका मामले में जमानत मिलने के बाद लालू यादव के जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ हो गया है. फिलहाल लालू यादव दिल्ली स्थित एम्स में इलाजरत हैं.

लालू यादव को मिली जमानत
लालू यादव को मिली जमानत

कपिल सिब्बल ने रखा पक्ष
लालू प्रसाद की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि लालू प्रसाद को दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में सजा दी गई है, ये सही नहीं है. उसे लालू प्रसाद ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. इसी मामले में अन्य आरोपी को भी इस तरह की सजा दी गई है. जिसे अदालत ने 7 साल मानते हुए उन्हें जमानत की सुविधा भी दी है. इसलिए हमें भी जमानत की सुविधा दी जाए.

''लालू प्रसाद को 7 साल की सजा दी गई है. वो इस सजा की आधी अवधि जेल में काट चुके हैं. उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है. इसलिए उन्हें दिल्ली स्थित एम्स में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. वर्तमान में वे इलाज करा रहे हैं, बेहतर इलाज के लिए उन्हें जमानत दी जाए''- कपिल सिब्बल, लालू प्रसाद के अधिवक्ता

जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ

कोर्ट ने सीबीआई के विरोध को नकारा
हाईकोर्ट ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए जमानत की सुविधा उपलब्ध कराई है. वहीं, सीबीआई की ओर से जमानत का विरोध किया गया, लेकिन अदालत ने सीबीआई के आग्रह को नकार दिया है.

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बता दें कि दुमका कोषागार से दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच गैर-कानूनी तरीके से 3.76 करोड़ रुपए निकाले गए. इस मामले में सीबीआई ने 11 अप्रैल 1996 को 48 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. 11 मई 2000 को पहली चार्जशीट दायर की गई थी. इस मामले में सीबीआई की निचली अदालत ने लालू प्रसाद को दो धाराओं का दोषी मानते हुए 7-7 साल की सजा दी है. जिसमें दोनों सजाएं अलग-अलग चलने को कहा गया है.

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