पटना: विधान परिषद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज आरजेडी नेता सुबोध कुमार को फटकार लगाई है. इसको लेकर विपक्ष के सदस्यों ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं. हालांकि, सदन में मुख्यमंत्री की नाराजगी का यह कोई नया मामला नहीं है. वे लगातार विधानसभा और विधान परिषद में कई बार अपनी नाराजगी दिखा चुके हैं. इधर, एनडीए नेताओं ने इसे नाराजगी की बजाए एक वरिष्ठ नेता द्वारा सदन के सदस्यों को समझाने का साधारण मामला बताया है.
बिहार विधान परिषद में तारांकित प्रश्नों के जवाब हर सवाल का जवाब चल रहा था. इस दौरान राजद नेता फारूक शेख ने एक सवाल ग्रामीण कार्य मंत्री से पूछा. इसका जवाब संतोषजनक नहीं होने पर उन्होंने एक पूरक प्रश्न पूछा. लेकिन उन के पूरक प्रश्न का कोई जवाब मिल पाता, इसके पहले ही राजद नेता सुबोध कुमार उठ खड़े हुए और उन्होंने दूसरा सवाल पूछना चाहा. फिर क्या था. सदन में मौजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उठ खड़े हुए और गुस्सा दिखाते हुए पूछा कि यह कौन सा तरीका है. जब एक पूरक सवाल का जवाब नहीं मिला तो फिर आपने दूसरा सवाल कैसे पूछ दिया, आप बैठिए.
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मुख्यमंत्री की नाराजगी और उनके व्यवहार को लेकर राजद और कांग्रेस के सदस्यों ने गंभीर सवाल उठाए हैं और इसे मुख्यमंत्री का फ्रस्ट्रेशन बताया है. आरजेडी नेता फारूक शेख और सुबोध कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री बीजेपी और मुकेश सहनी, गिरिराज सिंह के कारनामों से परेशान हैं और उसका गुस्सा भी हम लोगों पर उतार रहे हैं. यह कहीं से उचित नहीं है. सुबोध कुमार ने तो यहां तक कह दिया कि वह मुख्यमंत्री का बहिष्कार करेंगे.
कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री सदन के नेता भी हैं और ऐसे में उनका यह व्यवहार कहीं से उचित नहीं है. हम लोगों को भी आश्चर्य है कि एक पूरक प्रश्न पूछने पर मुख्यमंत्री इस तरह का व्यवहार कैसे कर सकते हैं.
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इधर, एनडीए नेताओं ने मुख्यमंत्री के व्यवहार को लेकर सफाई दी है. भवन निर्माण मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं. वह सदन के नेता भी हैं और वे जब सदन में खड़े थे. तब दूसरे सदस्य को खड़े होकर बोलना नहीं चाहिए था. वह तो सिर्फ सही नियमों की जानकारी सुबोध कुमार को दे रहे थे.
बीजेपी नेता नवल किशोर चौधरी ने कहा कि इतना बड़ा मुद्दा नहीं है, जिसे विपक्ष मुद्दा बना रहा है. मुख्यमंत्री तो सदन की कार्य संचालन नियमावली के बारे में जानकारी दे रहे थे.
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बता दें कि मुख्यमंत्री की नाराजगी की वजह चाहे जो रही हो. लेकिन उनके व्यवहार को लेकर सदन के सदस्यों ने सवाल खड़े किए हैं. इसके पहले विधानसभा में भी मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को लेकर जबरदस्त नाराजगी की वजह से चर्चा में रहे थे.