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'आरएसएस के अंगूठे के नीचे है केंद्र सरकार'..आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी का बड़ा बयान - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

आरजेडी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी (RJD leader Shivanand Tiwari ) ने आरएसएस और गोलवलकर जी को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि एक बार गोलवलकर जी ने पत्रकारों से कहा था कि 'वह भगवान श्रीकृष्ण की तरह सत्ता को अपने अंगूठे के नीचे रखना चाहते हैं' और आज उनका यह सपना आरएसएस ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाकर पूरा किया. मोदी सरकार संघ के अंगूठे के नीचे है.

आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी का आरएसएस पर बयान
आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी का आरएसएस पर बयान
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Published : Nov 24, 2022, 10:11 AM IST

Updated : Nov 24, 2022, 11:00 AM IST

पटनाः बिहार की सियासी गलियारे में आए दिन कोई न कोई राजनीतिक बयानबाजी सुर्खियों में रहती है. इसी कड़ी में आरजेडी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने भी आरएसएस और नरेंद्र मोदी सरकार को लेकर बड़ा बयान (RJD leader Shivanand Tiwari statement on RSS) दिया है. उन्होंने कहा है कि मुझे याद है कि 1949 के जुलाई महीने में पत्रकारों ने गोलवलकर जी से सवाल पूछा था कि आप सत्ता पर कब्जा करना चाहते हैं. इसपर उनका जवाब था कि इस विषय में ‘हम भगवान श्री कृष्ण का विचार सामने रखते हैं. वे एक बड़े साम्राज्य को अपने अंगूठे के नीचे रखते थे, लेकिन स्वंय कभी राजा नहीं बने’.

ये भी पढ़ेंः PM को 2 दिन बाद मोरबी हादसे के पीड़ितों से मिलने का मिला समय, SC की निगरानी में हो जांच- शिवानंद तिवारी

जल्दी-जल्दी संघ अपने एजेंडे को करवा रहा लागूः शिवानंद तिवारी ने कहा कि 73 वर्ष पहले गोलवलकर जी ने जो सपना देखा था. उसे संघ ने नरेंद्र भाई को प्रधानमंत्री बनवा कर पूरा कर लिया है.आज दिल्ली में बैठी मोदी सरकार संघ के अंगूठे के नीचे है. संघ को पता है कि मोदी सरकार अनंत काल तक नहीं चलने वाली. इसलिए वह जल्दी जल्दी अपना एजेंडा लागू करवाने के लिए बेचैन दिखाई दे रहा है. उसी कड़ी में बड़े कदम के रूप में आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन कराया गया. संघ के आदेशों का जिस तत्परता के साथ नरेंद्र भाई अनुपालन कर रहे हैं. इससे उनका चरित्र ब्राह्मणवादियों के चाकर के रूप में ही उजागर हुआ है.

उखड़ने लगा है नरेंद्र मोदी का दमः आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि यूं देखा जाए तो नरेंद्र भाई का दम अब उखड़ने लगा है. अकेले कंधे पर इतनी बड़ी पार्टी का बोझ ढोना कोई साधारण काम नहीं है. यह असाधारण जवाबदेही नरेंद्र भाई ने स्वेच्छा से अपने कंधे पर उठाया हुआ है. ‘एक मैं ही हूँ, यहां दूसरा कोई नहीं है’. इसी मनोभाव से मोदी जी न सिर्फ देश में अपनी सरकार बनाने का अभियान चलाते हैं, बल्कि राज्यों में भी बीजेपी की ही सरकार बनाने और जिन राज्यों में बन गई है वहां हर चुनाव में कायम भी रहे यह जिम्मा भी उन्होंने अपने कंधे पर उठा रखा है.

हिमाचल चुनाव में बागियों ने दिखा दिया तेवरः शिवानंद तिवारी ने आगे कहा कि अभी हिमाचल प्रदेश के चुनाव में हमने यही देखा. वहां यह भी दिखा कि नरेंद्र भाई का पार्टी पर दबदबा अब पहले जैसा नहीं रह गया है. बहुत कमजोर हो गया है. हिमाचल में तो इसका स्पष्ट प्रमाण दिखाई दिया. वहां बागी उम्मीदवारों को बैठाने के लिए स्वयं मोदी जी ने उनपर दबाव डालने के लिए फोन किया. उनमें से एक ने उस बातचीत को टेप कर उसे सार्वजनिक कर दिया. अब स्थिति ऐसी आ गई है कि अधिकांश बागियों ने नरेंद्र भाई के दबाव को अनदेखा कर दिया और चुनाव के मैदान में डटे रह गये.

हिमाचल में बीजेपी से निजात पाना चाहते हैं लोगः शिवानंद तिवारी का कहना है कि हिमाचल में बीजेपी की ही सरकार थी, लेकिन वह बहुत बुरी सरकार साबित हुई है. वहां के लोग उस सरकार से निजात पाना चाहते थे. इसके बावजूद फिर बीजेपी की ही सरकार वहां बने यह जिद्द ठानकर मोदी जी वहां चुनाव अभियान चलाते नजर आये. इतना ही नहीं वहां के मतदाताओं से उन्होंने सीधे अपने लिए वोट मांगा. अब खबर ऐसी मिल रही है कि हिमाचल के मतदाताओं ने इस बार बीजेपी की सरकार को वहां से विदा करने के लिए मतदान किया है.

आरएसएस के एजेंडों को पूरा करने की तत्परता दिखा रहे प्रधानमंत्रीः शिवानंद तिवारी का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का ऊंची जातियों को भी आरक्षण के दायरे में ले आने के इस एजेंडा को पूरा करने के लिए नरेंद्र भाई ने न सिर्फ तत्परता दिखलाई, बल्कि उसके लिए उन्होंने तिकड़म का भी सहारा लिया. बीजेपी उन दिनों राज्यसभा में अल्पमत में थी. इस वजह से वहां उस बिल के अटकने की ज्यादा संभावना थी. इस जोखिम से बचने के लिए नरेंद्र भाई ने जबरदस्ती उस बिल को मनीबिल के रूप में बदलवा कर उसे लोकसभा में पास करवा दिया. मनी बिल को सिर्फ लोकसभा में ही पास करवाने की जरूरत होती है. वहां पास हो जाने के बाद उसे राज्यसभा में ले जाने की जरूरत नहीं होती है.

शिवानंद तिवारी के अनुसार सरकारों को उलटना पलटना मतदाताओं का अधिकार है. लेकिन अपनी लोकप्रियता या अपनी ग्राह्यता का बेजा इस्तेमाल कर एक अलोकप्रिय सरकार को पुनः स्थापित करने के लिए मतदाताओं पर दबाव बनाने का प्रयास कर नरेंद्र भाई ने अपने लिए गंभीर जोखिम लिया है. यह उनकी ‘एको अहं’ वाली तानाशाह मानसिकता का ही परिचय देता है.

गुजरात में भी जनता बीजेपी के शासन से नाराजः गुजरात चुनाव को लेकर शिवानंद तिवारी ने कहा कि कुछ ऐसा ही दृश्य गुजरात में दिखाई दे रहा है. वहां सत्ता विरोधी गंभीर लहर है, लेकिन मोदी जी ने इस लहर के विपरीत पुनः बीजेपी की ही सरकार वहां बनवाने के लिए अपना सबकुछ झोंक दिया है. अभी चार दिनों का उनका कार्यक्रम वहां चल रहा है. सभा और रोड शो मिला कर उनका कुल तीस कार्यक्रम है. नरेंद्र भाई को गुजरात की मतदाताओं की इस गंभीर नाराजगी का एहसास पहले से ही था. इसलिए चुनाव की पृष्ठभूमि में ही वहां के मतदाताओं को खुश करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अन्य राज्यों की पूंजी निवेश की योजनाओं को वे गुजरात ले आए.

तिवारी जी ने कहा कि महाराष्ट्र से भी, जहां बीजेपी गठबंधन की सरकार में शामिल है, वेदांत और टाटा की एक लाख बहत्तर हजार करोड़ रुपये की निवेश की योजनाओं को उन्होंने गुजरात मंगवा लिया. इतने के बाद भी बीजेपी सरकार के खिलाफ वहां जनता में इतनी नाराजगी है कि इतने भर से काम नहीं चला. इसलिए नरेंद्र भाई अपने तरकश में एक से बढ़कर एक तीर लेकर गुजरात विधानसभा के चुनावी समर में ताल ठोक रहे हैं.

पिछड़ी जाति में जन्म लेने का राग मोदी जी का तुरुप का पत्ताः तिवारी जी के अनुसार नरेंद्र मोदी की एक खास सिफत है. जब जब वे घिरते हैं अपने को बेचारा तथा अत्यंत ही दीन-हीन के रूप में पेश करते हैं. समाज के तथाकथित बड़े लोग पिछड़ी जाति में उनके जन्म को लेकर या अत्यंत निर्धन पृष्ठभूमि से आने के कारण प्रताड़ित कर रहे हैं. अपमानित कर रहे हैं. इसको वे तुरुप के पत्ते की तरह इस्तेमाल करते हैं.

गुजरात और गुजरातियों के साथ नरेंद्र भाई का जिस प्रकार का गहरा और भावनात्मक रिश्ता है उसका दोहन कर संभव है कि नरेंद्र भाई वहाँ पुनः बीजेपी सरकार बनवा दें. लेकिन लोकसभा के अगले चुनाव में भी ऐसा उपक्रम क्या संभव है. मुझे तो ऐसा नहीं लग रहा है.

अपने को बेचारा के रूप में पेश करते हैं मोदीः शिवानंद तिवारी ने कहा कि संदर्भ में दो घटनाओं का यहां स्मरण कराना चाहूंगा. 2014 का चुनाव स्मरण कीजिए. जब प्रियंका ने ‘नीच राजनीति’ शब्द का इस्तेमाल किया था. मोदी जी ने उसको लोक लिया. जिस प्रकार ‘नीच राजनीति’ को उन्होंने ‘नीची जाति’ की राजनीति में बदल दिया यह उनकी खास ‘बुद्धि’ का ही परिचायक माना जाएगा. उसका लाभ भी उन्होंने खूब उठाया था. इसी तरह मणिशंकर अय्यर का चाय बेचने वाले व्यंग को लेकर ‘चाय पर चर्चा ’ का एक गंभीर राजनीतिक अभियान का रूप उन्होंने दे दिया था.

इस बार भी कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री ने नरेंद्र भाई के लिए ‘औकात ‘ शब्द का इस्तेमाल कर फिर उनको अपने आप को बेचारा और निरीह के रूप में गुजरातियों के सामने पेश करने का मौका दे दिया है.

बीजेपी सरकार ब्राह्मणवादियों और कॉरपोरेट की एजेंटः शिवानंद तिवारी ने बीजेपी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि यह अलग बात है कि उनकी सरकार ब्राह्मणवादियों और कॉरपोरेट सेक्टर के एजेंट के रूप में काम कर रही है. जिस प्रकार सामान्य वर्ग यानी ऊंची जाति को गरीबी का आधार बनाकर सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने के लिए संविधान में उन्होंने संशोधन करवाया. इससे प्रमाणित होता है कि अगड़ों को आरक्षण देने के लिए मूल संविधान में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण की जो व्यवस्था है उसी को उन्होंने जोखिम में डाल दिया है.

उन्होंने कहा कि अभी जो अगड़ों को आरक्षण देने वाली चुनौती पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आया है उसने सामाजिक न्याय के पक्षधरों को चिंता में डाल दिया है. पांचों जजों ने आरक्षण के आर्थिक आधार को एक स्वर से सही ठहराया है. उनमें मतांतर तकनीकी प्रश्न पर था. पांच जजों में से एक ने तो यहां तक कहा कि 75 वर्षों से आरक्षण की व्यवस्था है. अब इस पर पुनर्विचार की जरूरत है.

काॅरपारेट घरानों की खूब हो रही सेवाः तिवारी जी ने कहा कि इस प्रकार यह साफ दिखाई दे रहा है कि मोदी सरकार एक तरफ संघ के एजेंडे को बहुत तत्परता के साथ तो लागू कर ही रही है. वह काॅरपोरेट घरानों की भी उसी मुस्तैदी के साथ सेवा कर रही है. मोदी काल में जिस प्रकार उनकी संपत्ति में वृद्धि हुई है. वह अभूतपूर्व है. देश के इतिहास में इतनी भयानक आर्थिक गैरबराबरी कभी नहीं देखी गई थी. देशभर से संपूर्ण परिवार द्वारा आत्महत्या की खबरें आ रही है. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो बता रहा है कि युवाओं में आत्महत्या की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि हुई है, लेकिन इन सबसे बेखबर नरेंद्र भाई के भाषणों में देश में सबकुछ हरा-हरा है.

"लंबे समय तक आरएसएस की विचारधारा में दीक्षित नरेंद्र भाई एक सच्चे स्वयं सेवक के तौर पर संघ के आदेश का धड़ा धड़ अनुपालन करते जा रहे हैं. यही कारण है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन कराया गया. संघ के आदेशों का जिस तत्परता के साथ नरेंद्र भाई अनुपालन कर रहे हैं. इससे उनका चरित्र ब्राह्मणवादियों के चाकर के रूप में ही उजागर हुआ है"- शिवानंद तिवारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आरेजेडी

पटनाः बिहार की सियासी गलियारे में आए दिन कोई न कोई राजनीतिक बयानबाजी सुर्खियों में रहती है. इसी कड़ी में आरजेडी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने भी आरएसएस और नरेंद्र मोदी सरकार को लेकर बड़ा बयान (RJD leader Shivanand Tiwari statement on RSS) दिया है. उन्होंने कहा है कि मुझे याद है कि 1949 के जुलाई महीने में पत्रकारों ने गोलवलकर जी से सवाल पूछा था कि आप सत्ता पर कब्जा करना चाहते हैं. इसपर उनका जवाब था कि इस विषय में ‘हम भगवान श्री कृष्ण का विचार सामने रखते हैं. वे एक बड़े साम्राज्य को अपने अंगूठे के नीचे रखते थे, लेकिन स्वंय कभी राजा नहीं बने’.

ये भी पढ़ेंः PM को 2 दिन बाद मोरबी हादसे के पीड़ितों से मिलने का मिला समय, SC की निगरानी में हो जांच- शिवानंद तिवारी

जल्दी-जल्दी संघ अपने एजेंडे को करवा रहा लागूः शिवानंद तिवारी ने कहा कि 73 वर्ष पहले गोलवलकर जी ने जो सपना देखा था. उसे संघ ने नरेंद्र भाई को प्रधानमंत्री बनवा कर पूरा कर लिया है.आज दिल्ली में बैठी मोदी सरकार संघ के अंगूठे के नीचे है. संघ को पता है कि मोदी सरकार अनंत काल तक नहीं चलने वाली. इसलिए वह जल्दी जल्दी अपना एजेंडा लागू करवाने के लिए बेचैन दिखाई दे रहा है. उसी कड़ी में बड़े कदम के रूप में आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन कराया गया. संघ के आदेशों का जिस तत्परता के साथ नरेंद्र भाई अनुपालन कर रहे हैं. इससे उनका चरित्र ब्राह्मणवादियों के चाकर के रूप में ही उजागर हुआ है.

उखड़ने लगा है नरेंद्र मोदी का दमः आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि यूं देखा जाए तो नरेंद्र भाई का दम अब उखड़ने लगा है. अकेले कंधे पर इतनी बड़ी पार्टी का बोझ ढोना कोई साधारण काम नहीं है. यह असाधारण जवाबदेही नरेंद्र भाई ने स्वेच्छा से अपने कंधे पर उठाया हुआ है. ‘एक मैं ही हूँ, यहां दूसरा कोई नहीं है’. इसी मनोभाव से मोदी जी न सिर्फ देश में अपनी सरकार बनाने का अभियान चलाते हैं, बल्कि राज्यों में भी बीजेपी की ही सरकार बनाने और जिन राज्यों में बन गई है वहां हर चुनाव में कायम भी रहे यह जिम्मा भी उन्होंने अपने कंधे पर उठा रखा है.

हिमाचल चुनाव में बागियों ने दिखा दिया तेवरः शिवानंद तिवारी ने आगे कहा कि अभी हिमाचल प्रदेश के चुनाव में हमने यही देखा. वहां यह भी दिखा कि नरेंद्र भाई का पार्टी पर दबदबा अब पहले जैसा नहीं रह गया है. बहुत कमजोर हो गया है. हिमाचल में तो इसका स्पष्ट प्रमाण दिखाई दिया. वहां बागी उम्मीदवारों को बैठाने के लिए स्वयं मोदी जी ने उनपर दबाव डालने के लिए फोन किया. उनमें से एक ने उस बातचीत को टेप कर उसे सार्वजनिक कर दिया. अब स्थिति ऐसी आ गई है कि अधिकांश बागियों ने नरेंद्र भाई के दबाव को अनदेखा कर दिया और चुनाव के मैदान में डटे रह गये.

हिमाचल में बीजेपी से निजात पाना चाहते हैं लोगः शिवानंद तिवारी का कहना है कि हिमाचल में बीजेपी की ही सरकार थी, लेकिन वह बहुत बुरी सरकार साबित हुई है. वहां के लोग उस सरकार से निजात पाना चाहते थे. इसके बावजूद फिर बीजेपी की ही सरकार वहां बने यह जिद्द ठानकर मोदी जी वहां चुनाव अभियान चलाते नजर आये. इतना ही नहीं वहां के मतदाताओं से उन्होंने सीधे अपने लिए वोट मांगा. अब खबर ऐसी मिल रही है कि हिमाचल के मतदाताओं ने इस बार बीजेपी की सरकार को वहां से विदा करने के लिए मतदान किया है.

आरएसएस के एजेंडों को पूरा करने की तत्परता दिखा रहे प्रधानमंत्रीः शिवानंद तिवारी का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का ऊंची जातियों को भी आरक्षण के दायरे में ले आने के इस एजेंडा को पूरा करने के लिए नरेंद्र भाई ने न सिर्फ तत्परता दिखलाई, बल्कि उसके लिए उन्होंने तिकड़म का भी सहारा लिया. बीजेपी उन दिनों राज्यसभा में अल्पमत में थी. इस वजह से वहां उस बिल के अटकने की ज्यादा संभावना थी. इस जोखिम से बचने के लिए नरेंद्र भाई ने जबरदस्ती उस बिल को मनीबिल के रूप में बदलवा कर उसे लोकसभा में पास करवा दिया. मनी बिल को सिर्फ लोकसभा में ही पास करवाने की जरूरत होती है. वहां पास हो जाने के बाद उसे राज्यसभा में ले जाने की जरूरत नहीं होती है.

शिवानंद तिवारी के अनुसार सरकारों को उलटना पलटना मतदाताओं का अधिकार है. लेकिन अपनी लोकप्रियता या अपनी ग्राह्यता का बेजा इस्तेमाल कर एक अलोकप्रिय सरकार को पुनः स्थापित करने के लिए मतदाताओं पर दबाव बनाने का प्रयास कर नरेंद्र भाई ने अपने लिए गंभीर जोखिम लिया है. यह उनकी ‘एको अहं’ वाली तानाशाह मानसिकता का ही परिचय देता है.

गुजरात में भी जनता बीजेपी के शासन से नाराजः गुजरात चुनाव को लेकर शिवानंद तिवारी ने कहा कि कुछ ऐसा ही दृश्य गुजरात में दिखाई दे रहा है. वहां सत्ता विरोधी गंभीर लहर है, लेकिन मोदी जी ने इस लहर के विपरीत पुनः बीजेपी की ही सरकार वहां बनवाने के लिए अपना सबकुछ झोंक दिया है. अभी चार दिनों का उनका कार्यक्रम वहां चल रहा है. सभा और रोड शो मिला कर उनका कुल तीस कार्यक्रम है. नरेंद्र भाई को गुजरात की मतदाताओं की इस गंभीर नाराजगी का एहसास पहले से ही था. इसलिए चुनाव की पृष्ठभूमि में ही वहां के मतदाताओं को खुश करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अन्य राज्यों की पूंजी निवेश की योजनाओं को वे गुजरात ले आए.

तिवारी जी ने कहा कि महाराष्ट्र से भी, जहां बीजेपी गठबंधन की सरकार में शामिल है, वेदांत और टाटा की एक लाख बहत्तर हजार करोड़ रुपये की निवेश की योजनाओं को उन्होंने गुजरात मंगवा लिया. इतने के बाद भी बीजेपी सरकार के खिलाफ वहां जनता में इतनी नाराजगी है कि इतने भर से काम नहीं चला. इसलिए नरेंद्र भाई अपने तरकश में एक से बढ़कर एक तीर लेकर गुजरात विधानसभा के चुनावी समर में ताल ठोक रहे हैं.

पिछड़ी जाति में जन्म लेने का राग मोदी जी का तुरुप का पत्ताः तिवारी जी के अनुसार नरेंद्र मोदी की एक खास सिफत है. जब जब वे घिरते हैं अपने को बेचारा तथा अत्यंत ही दीन-हीन के रूप में पेश करते हैं. समाज के तथाकथित बड़े लोग पिछड़ी जाति में उनके जन्म को लेकर या अत्यंत निर्धन पृष्ठभूमि से आने के कारण प्रताड़ित कर रहे हैं. अपमानित कर रहे हैं. इसको वे तुरुप के पत्ते की तरह इस्तेमाल करते हैं.

गुजरात और गुजरातियों के साथ नरेंद्र भाई का जिस प्रकार का गहरा और भावनात्मक रिश्ता है उसका दोहन कर संभव है कि नरेंद्र भाई वहाँ पुनः बीजेपी सरकार बनवा दें. लेकिन लोकसभा के अगले चुनाव में भी ऐसा उपक्रम क्या संभव है. मुझे तो ऐसा नहीं लग रहा है.

अपने को बेचारा के रूप में पेश करते हैं मोदीः शिवानंद तिवारी ने कहा कि संदर्भ में दो घटनाओं का यहां स्मरण कराना चाहूंगा. 2014 का चुनाव स्मरण कीजिए. जब प्रियंका ने ‘नीच राजनीति’ शब्द का इस्तेमाल किया था. मोदी जी ने उसको लोक लिया. जिस प्रकार ‘नीच राजनीति’ को उन्होंने ‘नीची जाति’ की राजनीति में बदल दिया यह उनकी खास ‘बुद्धि’ का ही परिचायक माना जाएगा. उसका लाभ भी उन्होंने खूब उठाया था. इसी तरह मणिशंकर अय्यर का चाय बेचने वाले व्यंग को लेकर ‘चाय पर चर्चा ’ का एक गंभीर राजनीतिक अभियान का रूप उन्होंने दे दिया था.

इस बार भी कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री ने नरेंद्र भाई के लिए ‘औकात ‘ शब्द का इस्तेमाल कर फिर उनको अपने आप को बेचारा और निरीह के रूप में गुजरातियों के सामने पेश करने का मौका दे दिया है.

बीजेपी सरकार ब्राह्मणवादियों और कॉरपोरेट की एजेंटः शिवानंद तिवारी ने बीजेपी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि यह अलग बात है कि उनकी सरकार ब्राह्मणवादियों और कॉरपोरेट सेक्टर के एजेंट के रूप में काम कर रही है. जिस प्रकार सामान्य वर्ग यानी ऊंची जाति को गरीबी का आधार बनाकर सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने के लिए संविधान में उन्होंने संशोधन करवाया. इससे प्रमाणित होता है कि अगड़ों को आरक्षण देने के लिए मूल संविधान में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण की जो व्यवस्था है उसी को उन्होंने जोखिम में डाल दिया है.

उन्होंने कहा कि अभी जो अगड़ों को आरक्षण देने वाली चुनौती पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आया है उसने सामाजिक न्याय के पक्षधरों को चिंता में डाल दिया है. पांचों जजों ने आरक्षण के आर्थिक आधार को एक स्वर से सही ठहराया है. उनमें मतांतर तकनीकी प्रश्न पर था. पांच जजों में से एक ने तो यहां तक कहा कि 75 वर्षों से आरक्षण की व्यवस्था है. अब इस पर पुनर्विचार की जरूरत है.

काॅरपारेट घरानों की खूब हो रही सेवाः तिवारी जी ने कहा कि इस प्रकार यह साफ दिखाई दे रहा है कि मोदी सरकार एक तरफ संघ के एजेंडे को बहुत तत्परता के साथ तो लागू कर ही रही है. वह काॅरपोरेट घरानों की भी उसी मुस्तैदी के साथ सेवा कर रही है. मोदी काल में जिस प्रकार उनकी संपत्ति में वृद्धि हुई है. वह अभूतपूर्व है. देश के इतिहास में इतनी भयानक आर्थिक गैरबराबरी कभी नहीं देखी गई थी. देशभर से संपूर्ण परिवार द्वारा आत्महत्या की खबरें आ रही है. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो बता रहा है कि युवाओं में आत्महत्या की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि हुई है, लेकिन इन सबसे बेखबर नरेंद्र भाई के भाषणों में देश में सबकुछ हरा-हरा है.

"लंबे समय तक आरएसएस की विचारधारा में दीक्षित नरेंद्र भाई एक सच्चे स्वयं सेवक के तौर पर संघ के आदेश का धड़ा धड़ अनुपालन करते जा रहे हैं. यही कारण है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन कराया गया. संघ के आदेशों का जिस तत्परता के साथ नरेंद्र भाई अनुपालन कर रहे हैं. इससे उनका चरित्र ब्राह्मणवादियों के चाकर के रूप में ही उजागर हुआ है"- शिवानंद तिवारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आरेजेडी

Last Updated : Nov 24, 2022, 11:00 AM IST
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