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धान खरीद को लेकर नीतीश पर बरसे जगदानंद, कहा- 'झूठे हैं मुख्यमंत्री' - Preparations to surround the opposition government on the road

आरजेडी नेता अब सदन के बाद सड़क पर सरकार को घेरने की तैयारियां शुरू कर दी है. राजद के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह ने नीतीश कुमार को झूठ बोलने वाला बताया है. किसान प्रदर्शन के समर्थन में राज्य में राजद के तमाम बड़े और छोटे नेता कृषि बिल के खिलाफ मुखर होकर बयान दे रहे हैं.

पटना
नीतीश पर बरसे जगदानंद
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Published : Dec 4, 2020, 2:07 AM IST

Updated : Dec 15, 2020, 4:47 PM IST

पटना: विधानसभा सत्र खत्म होने के बाद सरकार को विपक्ष ने अब सड़क पर घेरने की तैयारी शुरू कर दी है. देशभर में हो रहे किसान प्रदर्शन पर अब राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने सुशासन की छवि गढ़ने वाले नीतीश को झूठा कह दिया है.

विपक्ष ने मुख्यमंत्री के दावों को लेकर कई सवाल उठाए हैं. आरजेडी के वरिष्ठ नेत जगदानंद सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री झूठ बोलते हैं. दरअसल राजद के कद्दावर नेता ने मुख्यमंत्री के धान खरीद के दिए गए बयान "राजद की सरकार में धान की खरीद नहीं होती थी" पर पलटवार करते हुए झूठा कहा.

राजद नेता ने लगाया मुख्यमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप

मुख्यमंत्री ने किया था व्यवस्था ध्वस्त
राजद नेता ने नीतीश कुमार के दिए गए इस बयान पर ईटीवी से खास बातचीत के दौरान कहा कि मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए कि 1994 से ही धान की खरीद शुरू हुई थी, जो 2006 तक पटरी पर थी. लेकिन मुख्यमंत्री ने पूरी व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया. जगदानंद सिंह ने कहा कि वे पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आगाह कर चुके थे. राजद नेताओं ने नीतीश कुमार को कहा था कि कृषि बाजार समिति की व्यवस्था खत्म नहीं करनी चाहिए इससे अव्यवस्था बढ़ेगी. लेकिन उन्होने विपक्ष की बातों को नरजअंदाज कर व्यवस्था की खत्म कर दी. व्यवस्था के ध्वस्त होने से किसानों की समस्या बढ़ गई.

राजद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार में कृषि उत्पादों की खरीद का काम 1994 में शुरू हुआ था. जो 2006 तक पूरी तरह व्यवस्थित था. लेकिन एनडीए की सरकार बिहार में बनने के बाद कृषि उत्पादों की खरीद व्यवस्था को बंद कर दिया गया. उस कारण आज तक किसानों को फसल का सही दाम नहीं मिल पा रहा है.

एमएसपी के लिए कृषि बाजार समिति व्यवस्था बेहतरीन
बिहार के किसान व्यवस्था के बंद किए जाने के बाद कई समस्याओं से जूझने लगे. राजद नेता ने देश में जारी किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने कहा कि मिनिमम सपोर्ट प्राइस के लिए कृषि बाजार समिति की व्यवस्था बेहतरीन थी. जिसमें किसानों के बीच प्रतियोगिता होती थी. उन्हें बेहतर दाम भी मिलता था. बिहार सरकार ने ऐसे सरकारी संस्थाओं को खरीद करने से रोका है तब से मोनोपोली बढ़ी है. जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है.

पटना: विधानसभा सत्र खत्म होने के बाद सरकार को विपक्ष ने अब सड़क पर घेरने की तैयारी शुरू कर दी है. देशभर में हो रहे किसान प्रदर्शन पर अब राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने सुशासन की छवि गढ़ने वाले नीतीश को झूठा कह दिया है.

विपक्ष ने मुख्यमंत्री के दावों को लेकर कई सवाल उठाए हैं. आरजेडी के वरिष्ठ नेत जगदानंद सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री झूठ बोलते हैं. दरअसल राजद के कद्दावर नेता ने मुख्यमंत्री के धान खरीद के दिए गए बयान "राजद की सरकार में धान की खरीद नहीं होती थी" पर पलटवार करते हुए झूठा कहा.

राजद नेता ने लगाया मुख्यमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप

मुख्यमंत्री ने किया था व्यवस्था ध्वस्त
राजद नेता ने नीतीश कुमार के दिए गए इस बयान पर ईटीवी से खास बातचीत के दौरान कहा कि मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए कि 1994 से ही धान की खरीद शुरू हुई थी, जो 2006 तक पटरी पर थी. लेकिन मुख्यमंत्री ने पूरी व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया. जगदानंद सिंह ने कहा कि वे पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आगाह कर चुके थे. राजद नेताओं ने नीतीश कुमार को कहा था कि कृषि बाजार समिति की व्यवस्था खत्म नहीं करनी चाहिए इससे अव्यवस्था बढ़ेगी. लेकिन उन्होने विपक्ष की बातों को नरजअंदाज कर व्यवस्था की खत्म कर दी. व्यवस्था के ध्वस्त होने से किसानों की समस्या बढ़ गई.

राजद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार में कृषि उत्पादों की खरीद का काम 1994 में शुरू हुआ था. जो 2006 तक पूरी तरह व्यवस्थित था. लेकिन एनडीए की सरकार बिहार में बनने के बाद कृषि उत्पादों की खरीद व्यवस्था को बंद कर दिया गया. उस कारण आज तक किसानों को फसल का सही दाम नहीं मिल पा रहा है.

एमएसपी के लिए कृषि बाजार समिति व्यवस्था बेहतरीन
बिहार के किसान व्यवस्था के बंद किए जाने के बाद कई समस्याओं से जूझने लगे. राजद नेता ने देश में जारी किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने कहा कि मिनिमम सपोर्ट प्राइस के लिए कृषि बाजार समिति की व्यवस्था बेहतरीन थी. जिसमें किसानों के बीच प्रतियोगिता होती थी. उन्हें बेहतर दाम भी मिलता था. बिहार सरकार ने ऐसे सरकारी संस्थाओं को खरीद करने से रोका है तब से मोनोपोली बढ़ी है. जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है.

Last Updated : Dec 15, 2020, 4:47 PM IST
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