पटनाः फसल की अच्छी पैदावार के लिए सही प्रकार की मिट्टी होना बेहद जरूरी होता है. इसे लेकर सिविल से बीटेक किए दीपक कुमार ने एक नई शोध की है. इसे वो राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में भाषण के तौर पर पेश भी कर चुके हैं. इस शोध के लिए दीपक की काफी तारीफ हुई है. साथ ही कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं.
पानी अवशोषण की नई तकनीक
दीपक ने बताया कि वह मूल रूप से गोपालगंज के रहने वाले हैं. पटना में वे विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोध को लेकर होने वाली चर्चाओं में शामिल होते हैं. दीपक ने बताया कि उन्होंने मिट्टी के पानी अवशोषण को लेकर बहुत ही सरल विधि से नई तकनीक ईजाद की है.
मिट्टियों में पानी अवशोषण
दीपक ने बताया कि मिट्टियों में पानी अवशोषण जानने के लिए वे प्लास्टिक के कुछ ग्लास में अलग-अलग प्रकार की मिट्टियों को रखकर उसमें छेद कर देते हैं. इसके बाद क्वांटिटी के अनुसार मिट्टी भरे ग्लास में पानी डालते हैं. साथ ही ग्लास से जितना पानी निकलता है और जितना पानी डाला गया उसका वॉल्यूम नोट कर लेते हैं. मिट्टी से पानी रिसाव के बाद जो पानी बचा और पहले जितना पानी डाला गया था उससे घटा लेते हैं.
बंजर मिट्टी से नहीं निकलता पानी
शोधकर्ता ने बताया कि बालू वाले मिट्टी में अगर हम पानी डालते हैं तो अधिकांश पानी छेद से नीचे निकल जाता है. वहीं, बंजर मिट्टी से काफी कम मात्रा में पानी निकलता है. बंजर मिट्टी में पानी का अधिकांश भाग ऊपर ही रह जाता है. जिससे पता चलता है कि उसमें पानी के अवशोषण की क्षमता काफी कम है
फसल के लिए उपयोगी जलोद मिट्टी
दीपक ने बताया कि जलोद मिट्टी सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली मिट्टी मानी जाती है, क्योंकि उसमें पानी के अवशोषण की क्षमता अधिक होती है. इसमें जितना भी पानी डाला जाता है सब ऊपरी सतह से खत्म हो जाता है. साथ ही छेद से भी काफी कम मात्रा में पानी निकलती है
फसल की पैदावार
शोधकर्ता ने बताया कि इस विधि के किसान आसानी से यह तय कर सकते हैं कि किस मिट्टी पर कौन सी फसल अच्छी होगी. उन्होंने बताया कि जिस मिट्टी के पानी की अवशोषण की क्षमता ज्यादा बेहतर होगी उसमें फसल की पैदावार भी अच्छी होगी. साथ ही जिस मिट्टी की पानी अवशोषण की क्षमता कम होगी उसमें फसल की पैदावार अच्छी नहीं होगी.