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बड़ा खुलासा: बिहार की जेल में 45 फीसदी युवा कैदी, 20% शिक्षित बेरोजगार - बिहार की जेल में 45 फीसदी युवा कैदी

बिहार की जेल में 45 फीसदी युवा कैदी (45% youth prisoners in Bihar jail) हैं. यह आंकड़े अपराध की दुनिया में युवाओं की बढ़ती दखल की गवाही दे रहे हैं. सवाल यह है कि आखिर युवा अपराध की डगर पर क्‍यों चलने लगा है? वैसे तो इसके पीछे के कारण तो बहुत हो सकते हैं लेकिन बेरोजगारी, अतिमहत्‍वाकांक्षी होना, हर पल आगे निकलने की होड़, वर्तमान शिक्षा प्रणाली और बढ़ते अकेलेपन प्रमुख कारण माना जा सकता है. पढ़ें खास रिपोर्ट...

बिहार की जेल में 45 फीसदी युवा कैदी
बिहार की जेल में 45 फीसदी युवा कैदी
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Published : May 3, 2022, 2:45 PM IST

पटना: हाल के दिनों में युवाओं में बढ़ती अपराधी प्रवृत्ति (Increasing criminal tendency among youth) गंभीर चिंता का विषय है. बिहार में अपराध के मामलों से जुड़े आंकड़े भी बताते हैं कि बड़ी संख्या में युवा अपराधी की तरफ कदम बढ़ा चुके हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण जेलों में बंद कैदी हैं. जहां पर 45% कैदी युवा हैं. दरअसल एनसीआरबी की हालिया रिपोर्ट के अनुसार पता चला है कि उत्तर प्रदेश के बाद बिहार दूसरा ऐसा राज्य है, जहां पर जेलों में कैदियों की क्षमता से अधिक कैदी मौजूदा वक्त में बंद हैं. इनमें से लगभग 45% कैदी युवा वर्ग के हैं, जोकि 14 से 30 वर्ष के आयु के हैं. इनमें से करीब 20% युवा पढ़े लिखे हैं और लगभग 2% युवा पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. जेलों में बंद युवा कैदी साइबर क्राइम, नशीली पदार्थ की तस्करी या शराब की तस्करी और डकैती समेत अन्य मामलों में जेल में बंद हैं.

ये भी पढ़ें: 35 जिलों के 216 थानों में सबसे अधिक मामले दर्ज, 28 अफसरों की टीम करेगी मॉनिटरिंग

बेरोजगारी की वजह से युवा बन रहे अपराधी: आखिर युवा अपराध की डगर पर क्‍यों चलने लगा है? इस बारे में पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास कहते हैं कि बेरोजगारी की वजह से युवा वर्ग अपराधी (Youth become criminals because of unemployment) बन रहे हैं. वे कहते हैं कि बिहार में बेरोजगारी, शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद युवाओं में शराब की तस्करी में शामिल होना तो बड़ी वजह है ही लेकिन पैसे कमाने के लालच में तस्करी जैसे अपराधों को अपनाना मुख्य वजह है.

अपराधों की तरफ युवाओं के बढ़ते कदम: अमिताभ दास के मुताबिक बेरोजगारी तो एक बड़ा कारण है ही. इसके साथ-साथ युवा वर्ग कहीं ना कहीं कम समय में शॉर्टकट तरीके से पैसे कमाने को अपना जरिया बना रहे हैं. जिस वजह से आपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. बिहार में शराब तस्करी का एक सिंडिकेट बन गया है. जिसमें ज्यादातर युवा कम मेहनत कर ज्यादा पैसे कमाने के लिए शराब की तस्करी में जुटे हुए हैं. इसके अलावा पढ़े-लिखे युवा या तो उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है या वह भी कहीं ना कहीं साइबर क्राइम के तरीके से पैसे कमाने के लिए साइबर फ्रॉड जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. इससे साफ पता चलता है कि बिहार के युवा दिशाहीन हो गए हैं.

"बिहार में बेरोजगारी, शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद युवाओं में शराब की तस्करी में शामिल होना तो बड़ी वजह है ही लेकिन पैसे कमाने के लालच में तस्करी जैसे अपराधों को अपनाना मुख्य वजह है. पढ़े-लिखे युवा या तो उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है या वह भी कहीं ना कहीं साइबर क्राइम के तरीके से पैसे कमाने के लिए साइबर फ्रॉड जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. इससे साफ पता चलता है कि बिहार के युवा दिशाहीन हो गए हैं"- अमिताभ दास, पूर्व आईपीएस अधिकारी


युवाओं में क्‍यों पनपता है क्राइम?: वहीं, सोशल एक्टिविस्ट विद्यार्थी विकास की मानें तो बिहार के जिलों में बंद ज्यादातर युवाओं का कारण कहीं ना कहीं बेरोजगारी है. इसके साथ-साथ क्वालिटी ऑफ एजुकेशन भी एक बड़ा कारण है. वे कहते हैं कि क्वालिटी एजुकेशन नहीं होने की वजह से उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता है और रोजगार नहीं मिलने की वजह से वह साइबर फ्रॉड, डकैती, चोरी या अन्य तरह की तस्करी करने को मजबूर हो जाते हैं. यही बेरोजगार युवा अवैध शराब की बिक्री और अवैध नशाखोरी की तस्करी करने लगते हैं. इसके साथ-साथ वह खुद भी नशे के दलदल में चले जाते हैं. राज्य सरकार को सभी जगह पर साइकोलॉजिस्ट की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि ऐसे बच्चे जो अपने रास्ते से भटक जा रहे हैं, उनको सही रास्ते पर लाया जा सके. मैं सरकार से मांग करता हूं कि 14 से 30 वर्ष के आयु वाले जो भी पढ़े-लिखे बच्चे हैं, जो किसी बड़ी आपराधिक वारदात में शामिल न हों, उन्हें वार्निंग देकर भी जेल से रिहा करना चाहिए ताकि वह मुख्यधारा में लौट सकें.

"क्वालिटी एजुकेशन नहीं होने की वजह से उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता है और रोजगार नहीं मिलने की वजह से वह साइबर फ्रॉड, डकैती, चोरी या अन्य तरह की तस्करी करने को मजबूर हो जाते हैं. यही बेरोजगार युवा अवैध शराब की बिक्री और अवैध नशाखोरी की तस्करी करने लगते हैं. इसके साथ-साथ वह खुद भी नशे के दलदल में चले जाते हैं. मैं तो सरकार से मांग करता हूं कि 14 से 30 वर्ष के आयु वाले जो भी पढ़े-लिखे बच्चे हैं, जो किसी बड़ी आपराधिक वारदात में शामिल न हों, उन्हें वार्निंग देकर भी जेल से रिहा करना चाहिए ताकि वह मुख्यधारा में लौट सकें"- विद्यार्थी विकास, सोशल एक्टिविस्ट


अपराध की डगर पर क्‍यों चलने लगा युवा?: डॉ. दिवाकर तेजस्वी की मानें तो युवाओं में बढ़ रहे अपराध का कारण रोजगार नहीं मिलने को लेकर स्ट्रेस है. इसके अलावा उनके परिवार के भी सदस्य ज्यादातर लोग अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि पहले के जमाने में जहां संयुक्त और बड़ा परिवार हुआ करता था, जोकि माता-पिता के नहीं रहने पर दादा-दादी या चाचा-चाची जैसे लोग उन बच्चों पर ध्यान दिया करते थे लेकिन आज के जमाने में लोग न्यूक्लियर फैमिली में रहना पसंद कर रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने बताया कि आज के मौजूदा वक्त में मोरल स्टडीज पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. बचपन से ही बच्चे टेलीविजन के माध्यम से कम समय में कैसे पैसा ज्यादा कमाने और विभिन्न तरह के सीरियल शो और मूवी को देख रहे हैं और उसको अपने जीवन में उतार रहे हैं.

बिहार की जेल में 45 फीसदी युवा कैदी: आपको बता दें कि राज्य में वर्तमान में कुल 59 जेलों में 47750 कैदियों के रखने की क्षमता है लेकिन मौजूदा वक्त में और 66824 कैदी जेल में बंद हैं, जोकि क्षमता से कहीं ज्यादा है. इनमें अंडर ट्रायल और सजायाफ्ता दोनों तरह के कैदी शामिल हैं. एनसीआरबी के हालिया आंकड़ों में इस बात का खास तौर से उल्लेख किया गया है कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी कानून 2016 लागू होने के बाद जेलों में कैदियों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी हुई है. जेलों की क्षमता के मुताबिक कैदियों के बंद होने का राष्ट्रीय औसत 118 है, जबकि बिहार में यह औसत 145 के आसपास है.


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पटना: हाल के दिनों में युवाओं में बढ़ती अपराधी प्रवृत्ति (Increasing criminal tendency among youth) गंभीर चिंता का विषय है. बिहार में अपराध के मामलों से जुड़े आंकड़े भी बताते हैं कि बड़ी संख्या में युवा अपराधी की तरफ कदम बढ़ा चुके हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण जेलों में बंद कैदी हैं. जहां पर 45% कैदी युवा हैं. दरअसल एनसीआरबी की हालिया रिपोर्ट के अनुसार पता चला है कि उत्तर प्रदेश के बाद बिहार दूसरा ऐसा राज्य है, जहां पर जेलों में कैदियों की क्षमता से अधिक कैदी मौजूदा वक्त में बंद हैं. इनमें से लगभग 45% कैदी युवा वर्ग के हैं, जोकि 14 से 30 वर्ष के आयु के हैं. इनमें से करीब 20% युवा पढ़े लिखे हैं और लगभग 2% युवा पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. जेलों में बंद युवा कैदी साइबर क्राइम, नशीली पदार्थ की तस्करी या शराब की तस्करी और डकैती समेत अन्य मामलों में जेल में बंद हैं.

ये भी पढ़ें: 35 जिलों के 216 थानों में सबसे अधिक मामले दर्ज, 28 अफसरों की टीम करेगी मॉनिटरिंग

बेरोजगारी की वजह से युवा बन रहे अपराधी: आखिर युवा अपराध की डगर पर क्‍यों चलने लगा है? इस बारे में पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास कहते हैं कि बेरोजगारी की वजह से युवा वर्ग अपराधी (Youth become criminals because of unemployment) बन रहे हैं. वे कहते हैं कि बिहार में बेरोजगारी, शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद युवाओं में शराब की तस्करी में शामिल होना तो बड़ी वजह है ही लेकिन पैसे कमाने के लालच में तस्करी जैसे अपराधों को अपनाना मुख्य वजह है.

अपराधों की तरफ युवाओं के बढ़ते कदम: अमिताभ दास के मुताबिक बेरोजगारी तो एक बड़ा कारण है ही. इसके साथ-साथ युवा वर्ग कहीं ना कहीं कम समय में शॉर्टकट तरीके से पैसे कमाने को अपना जरिया बना रहे हैं. जिस वजह से आपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. बिहार में शराब तस्करी का एक सिंडिकेट बन गया है. जिसमें ज्यादातर युवा कम मेहनत कर ज्यादा पैसे कमाने के लिए शराब की तस्करी में जुटे हुए हैं. इसके अलावा पढ़े-लिखे युवा या तो उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है या वह भी कहीं ना कहीं साइबर क्राइम के तरीके से पैसे कमाने के लिए साइबर फ्रॉड जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. इससे साफ पता चलता है कि बिहार के युवा दिशाहीन हो गए हैं.

"बिहार में बेरोजगारी, शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद युवाओं में शराब की तस्करी में शामिल होना तो बड़ी वजह है ही लेकिन पैसे कमाने के लालच में तस्करी जैसे अपराधों को अपनाना मुख्य वजह है. पढ़े-लिखे युवा या तो उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है या वह भी कहीं ना कहीं साइबर क्राइम के तरीके से पैसे कमाने के लिए साइबर फ्रॉड जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. इससे साफ पता चलता है कि बिहार के युवा दिशाहीन हो गए हैं"- अमिताभ दास, पूर्व आईपीएस अधिकारी


युवाओं में क्‍यों पनपता है क्राइम?: वहीं, सोशल एक्टिविस्ट विद्यार्थी विकास की मानें तो बिहार के जिलों में बंद ज्यादातर युवाओं का कारण कहीं ना कहीं बेरोजगारी है. इसके साथ-साथ क्वालिटी ऑफ एजुकेशन भी एक बड़ा कारण है. वे कहते हैं कि क्वालिटी एजुकेशन नहीं होने की वजह से उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता है और रोजगार नहीं मिलने की वजह से वह साइबर फ्रॉड, डकैती, चोरी या अन्य तरह की तस्करी करने को मजबूर हो जाते हैं. यही बेरोजगार युवा अवैध शराब की बिक्री और अवैध नशाखोरी की तस्करी करने लगते हैं. इसके साथ-साथ वह खुद भी नशे के दलदल में चले जाते हैं. राज्य सरकार को सभी जगह पर साइकोलॉजिस्ट की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि ऐसे बच्चे जो अपने रास्ते से भटक जा रहे हैं, उनको सही रास्ते पर लाया जा सके. मैं सरकार से मांग करता हूं कि 14 से 30 वर्ष के आयु वाले जो भी पढ़े-लिखे बच्चे हैं, जो किसी बड़ी आपराधिक वारदात में शामिल न हों, उन्हें वार्निंग देकर भी जेल से रिहा करना चाहिए ताकि वह मुख्यधारा में लौट सकें.

"क्वालिटी एजुकेशन नहीं होने की वजह से उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता है और रोजगार नहीं मिलने की वजह से वह साइबर फ्रॉड, डकैती, चोरी या अन्य तरह की तस्करी करने को मजबूर हो जाते हैं. यही बेरोजगार युवा अवैध शराब की बिक्री और अवैध नशाखोरी की तस्करी करने लगते हैं. इसके साथ-साथ वह खुद भी नशे के दलदल में चले जाते हैं. मैं तो सरकार से मांग करता हूं कि 14 से 30 वर्ष के आयु वाले जो भी पढ़े-लिखे बच्चे हैं, जो किसी बड़ी आपराधिक वारदात में शामिल न हों, उन्हें वार्निंग देकर भी जेल से रिहा करना चाहिए ताकि वह मुख्यधारा में लौट सकें"- विद्यार्थी विकास, सोशल एक्टिविस्ट


अपराध की डगर पर क्‍यों चलने लगा युवा?: डॉ. दिवाकर तेजस्वी की मानें तो युवाओं में बढ़ रहे अपराध का कारण रोजगार नहीं मिलने को लेकर स्ट्रेस है. इसके अलावा उनके परिवार के भी सदस्य ज्यादातर लोग अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि पहले के जमाने में जहां संयुक्त और बड़ा परिवार हुआ करता था, जोकि माता-पिता के नहीं रहने पर दादा-दादी या चाचा-चाची जैसे लोग उन बच्चों पर ध्यान दिया करते थे लेकिन आज के जमाने में लोग न्यूक्लियर फैमिली में रहना पसंद कर रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने बताया कि आज के मौजूदा वक्त में मोरल स्टडीज पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. बचपन से ही बच्चे टेलीविजन के माध्यम से कम समय में कैसे पैसा ज्यादा कमाने और विभिन्न तरह के सीरियल शो और मूवी को देख रहे हैं और उसको अपने जीवन में उतार रहे हैं.

बिहार की जेल में 45 फीसदी युवा कैदी: आपको बता दें कि राज्य में वर्तमान में कुल 59 जेलों में 47750 कैदियों के रखने की क्षमता है लेकिन मौजूदा वक्त में और 66824 कैदी जेल में बंद हैं, जोकि क्षमता से कहीं ज्यादा है. इनमें अंडर ट्रायल और सजायाफ्ता दोनों तरह के कैदी शामिल हैं. एनसीआरबी के हालिया आंकड़ों में इस बात का खास तौर से उल्लेख किया गया है कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी कानून 2016 लागू होने के बाद जेलों में कैदियों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी हुई है. जेलों की क्षमता के मुताबिक कैदियों के बंद होने का राष्ट्रीय औसत 118 है, जबकि बिहार में यह औसत 145 के आसपास है.


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