पटना: कहा जाता है कि राजनीति अनिश्चितताओं का खेल है. कब किसकी किस्मत चमक जाए और कब धोखा खा जाए, ये कोई नहीं कह सकता है. ऐसा ही नजारा गुरुवार को बिहार में देखने को मिला. कांग्रेस ने बिहार विधान परिषद चुनाव के लिए ऐन मौके पर तारिक अनवर की जगह पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष समीर सिंह को उम्मीदवार बना दिया.
इसके बाद समीर सिंह ने कांग्रेस की टिकट पर विधान परिषद के लिए नामांकन का पर्चा दाखिल किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि सदन में मैं जनहित के मुद्दों को लेकर जाऊंगा. हालांकि उन्होंने तारीक अनवर के मुद्दे पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
ये थी वजह
दरअसल, तारिक अनवर का नाम राज्य की वोटर लिस्ट में नहीं है. लंबे समय तक वे राज्यसभा सांसद रहे इसीलिए उनके पास दिल्ली का वोटर आई-कार्ड है. नियमों के मुताबिक विधान परिषद चुनाव के उम्मीदवार को बिहार का मतदाता होना जरूरी है. इन्हीं तकनीकी कारणों से कांग्रेस ने अपना कैंडिडेट बदल लिया.
ऐन वक्त पर पार्टी ने बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष समीर सिंह को विधान परिषद चुनाव के लिए अपना प्रत्याशी घोषित किया. तारिक अनवर कटिहार से पांच बार सांसद रह चुके हैं. उन्हें संसदीय राजनीति का लंबा अनुभव है. इससे पहले तारिक एनसीपी में थे और उसी पार्टी से राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं.
समीर सिंह को भी नहीं थी उम्मीद
वहीं, कांग्रेस नेता समीर सिंह गुमनामी के अंधेरे में थे. कुछ महीने पहले समीर सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. समीर सिंह को भी उम्मीद नहीं थी कि पार्टी उन्हें विधान परिषद भेजेगी. लेकिन जब तारीक अनवर नामांकन नहीं कर पाए तो वैसी स्थिति में आनन-फानन में कांग्रेस के अंदर मंथन का दौर शुरू हुआ और महज आधे घंटे में समीर सिंह के नाम पर मुहर लग गई.