कैमूर: अयोध्या में राम मंदिर भूमिपूजान की तारीख नजदीक आ रही है. 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विधि विधान से पूजा अर्चना करेंगे. जिसके बाद वे राम मंदिर का भूमिपूजन करेंगे और आधारशिला रखेंगे. पूजा कार्यक्रम के बाद प्रसाद का वितरण किया जाएगा.
खास बात यह है कि रामलला को भोग लगाने के लिए जिस चावल का इस्तेमाल किया जाएगा. वह बिहार की धरती का होगा. मिल रही जानकारी के अनुसार कैमूर जिले के प्रसिद्ध गोविंद भोग और कतरनी चावल से रामलला का भोग (प्रसाद) बनेगा. इसको लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है. बता दें कि आयोध्या में जिस समय राम रसोई की शुरूआत हुई थी. उस समय भी महावीर मंदिर पटना के प्रमुख आचार्य कुणाल किशोर ने लगभग 60 क्विंटल चावल कैमूर के मोकरी गांव से अयोध्या भेजा था.
'मोकरी गांव का चावल भेजा जाएगा आयोध्या'
बता दें कि रामलला को लगने वाले भोग के लिए कैमूर के मोकरी गांव का कतरनी चावल भेजा जाएगा. इसको लेकर गांव स्थित श्री गौसगिर जी राइस मिल मालिक नारद सिंह ने बताया कि यहां से ही अयोध्या चावल भेजा जाता रहा है. बीते साल भी उनके राइस मिल से ही रामलला के लिए चावल भेजा गया था. उन्होंने बताया कि मोकरी गांव पहाड़ी से सटे कुछ क्षेत्र में सीधे पहाड़ी पानी गिरता है. जिससे गोविंद भोग नामक धान की खेती होती है. पहाड़ी से गिरने वाला औषधी युक्त रहता है. इस वजह से यहां का उत्पादित चावल न केवल खुशबूदार होता है, बल्कि खाने में शुद्ध देसी घी जैसा प्रतित होता है. इस चावल का उत्पादन केवल मोकरी के समिति खेतों में ही होता है.
'5 अगस्त को मोकरी गांव में मनाया जाएगा दीपावली'
मोकरी पंचायत के मुखिया जय शंकर बिहारी ने बताया कि न सिर्फ मोकरी बल्कि पूरे बिहार के लिए यह गर्व की बात है कि मोकरी पंचायत के चावल से रामलला का भोग लगेगा. यह बिहार के लिए सौभाग्य की बात है. पूरे इलाके में जश्न का माहौल है. यहां के किसान भाई और ग्रामीणों ने यहां राम मंदिर भूमिपूजान की तारीख यानी 5 अगस्त की रात को दीपावली मनाने की तैयारी की है. गांव के सभी लोग अपने-अपने घरों में दिया जलाएंगे
लोगों मे खुशी का माहौल
इसको लेकर गांव के लोगों ने बताया कि 581 साल के बाद अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर का शिलान्यास पीएम मोदी करेंगे. गांव के खुशबूदार चावल से रामलला का प्रसाद बनेगा और उन्हें अर्पित किया जाएगा. यह हमलोगों के लिए गर्व की बात है. ग्रामीणों ने बताया कि अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के मंदिर निर्माण से गांव के किसान काफी खुश है. रामलला को गांव का उत्पादित चावल भोग लगने से देशभर में इस चावल की मांग और तेजी से बढ़ेगी. जिसके बाद उनको भी आर्थिक लाभ मिलेगा.
'कैमूर पहाड़ी पर बसी है मां मुंडेश्वरी'
स्थानीय लोगों की माने तो कैमूर कि पहाड़ पर माता मुंडेश्वरी का मंदिर है. हर साल बारिश का पानी पहाड़ से मां मुंडेश्वरी के चरण और उनके स्थान को स्पर्श करते हुए पानी मोकरी गांव के कुछ हिस्से के खेतों में गिरता है. इसी वजह से मोकरी में पैदा होने वाला चावल ज्यादा खुशबूदार होता है. इस इलाके का गोविंद भोग और कतरनी चावल अपने उच्चतम गुणों के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है.