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'किसान आंदोलन' की तर्ज पर बिहार में चीनी मिल की खराब हालत को लेकर शुरू होगा आंदोलन - बिहार चीनी मिल न्यूज

किसान आंदोलन की तर्ज पर बिहार में चीनी मिल की खराब हालत को लेकर आंदोलन शुरू होगा. संयोजक ने बताया कि बिहार सरकार हो या केंद्र सरकार सभी का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ खुद मुनाफा कमाना है.

Birendra Prasad Gupta
Birendra Prasad Gupta
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Published : Jan 28, 2021, 4:16 PM IST

पटना: बिहार में लगातार गिर रही चीनी मिलों की हालत और किसानों की बिगड़ती दयनीय स्थिति और उनके समस्याओं को उठाने के लिए बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा बनाया गया है. जो गन्ना उत्पादक किसानों की समस्याओं को लेकर आंदोलन करेगा और उनके समस्याओं के समाधान के लिए आवाज बुलंद करेगा.

किसानों की समस्याओं को लेकर आंदोलन
बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा के संयोजक बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि जिस तरीके से किसान आंदोलन चल रहा है, उसी तर्ज पर अब गन्ना उत्पादक किसानों की समस्याओं को लेकर भी आंदोलन किया जाएगा.

"एक समय में बिहार में 28 चीनी मिल हुआ करती थी, लेकिन आज के समय में केवल 10 से 11 ही हैं. जिनकी हालत काफी खस्ता हो गई है. लेकिन सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है. सरकार बिहार में उद्योग को बढ़ाने और रोजगार के अवसर सृजन के लिए कार्य नहीं कर रही है. बल्कि पूंजीपतियों के लिए कार्य कर रही है. बिहार सरकार हो या केंद्र सरकार सभी का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ खुद मुनाफा कमाना है. अगर सरकार वाकई में उद्योग बढ़ाना और अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना चाहती तो, आज बिहार में चल रहे चीनी मिल बंद नहीं हो रहे होते"- बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, संयोजक, बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा

देखें रिपोर्ट

"रीगा चीनी मिल के बंद हो जाने से करीब 40 हजार ईख काश्तकार और करीब 700 मिल कामगार के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. 15 लाख क्विंटल गन्ना हैं, जिसकी कीमत 50 करोड़ के आस-पास बताई जा रही है. यह सब बर्बाद हो रहे हैं. सरकार अगर उद्योग बढ़ाना चाहती है. तो सरकार को यह सब क्यों नहीं दिख रहा"- बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, संयोजक, बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा

कृषि उपकरणों के मूल्य में बढ़ोतरी
संयोजक ने कहा कि लगातार डीजल, खाद, कीटनाशक जैसी वस्तुएं और जरूरी कृषि उपकरणों के मूल्य लगातार बढ़ते जा रहे हैं. गन्ना से पैदा होने वाली वस्तुओं चीनी, इथेनॉल और अन्य वस्तुओं के दाम भी बढ़ गए हैं. लेकिन किसानों के लिए गन्ना का मूल्य अभी तक निर्धारित नहीं हो सका है, जो बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है. बिहार पहले देश के लिए 28% चीनी उत्पादन करता था जो आज के समय घटकर महज ढाई परसेंट ही रह गया है. जो चीनी मिले अभी चल रही हैं, उसका पिछले साल का भुगतान अब तक नहीं किया गया है. ऊपर से किसानों को भी अब चीनी मिलों में ही गन्ना आपूर्ति करने को कहा जा रहा है. यह किसान के हित के प्रतिकूल है.

चीनी मिलों के बाहर धरना-प्रदर्शन
इसके लिए बिहार राज्य किसान गन्ना उत्पादक महासभा हर जिला मुख्यालय में आंदोलन कर रही है. आज यानी 28 जनवरी को भी हर जिले के चीनी मिलों के बाहर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है. संयोजक ने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं करती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा.

ये भी पढ़ें: 'अब तक किसी पार्टी से नहीं हुआ है गठबंधन, पश्चिम बंगाल की 26 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी'

"हमारी मांग है कि रीगा के 40 हजार किसानों, 7000 कामगारों के रोजगार के लिए रीगा चीनी मिल को अविलंब चालू करवाया जाए. सभी चीनी मिलों के पिछले साल का भुगतान अब तक नहीं हुआ है, उसे भी जल्द से जल्द करवाया जाए. गन्ना का मूल्य कम से कम 400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया जाए. 14 दिनों के अंदर किसानों के बकाया पैसे के भुगतान की व्यवस्था की जाए. 6 से 8% गन्ना घटतौली कर गन्ना का वजन आधारित करने पर अविलंब रोक लगाई जाए"- बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, संयोजक, बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा

पटना: बिहार में लगातार गिर रही चीनी मिलों की हालत और किसानों की बिगड़ती दयनीय स्थिति और उनके समस्याओं को उठाने के लिए बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा बनाया गया है. जो गन्ना उत्पादक किसानों की समस्याओं को लेकर आंदोलन करेगा और उनके समस्याओं के समाधान के लिए आवाज बुलंद करेगा.

किसानों की समस्याओं को लेकर आंदोलन
बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा के संयोजक बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि जिस तरीके से किसान आंदोलन चल रहा है, उसी तर्ज पर अब गन्ना उत्पादक किसानों की समस्याओं को लेकर भी आंदोलन किया जाएगा.

"एक समय में बिहार में 28 चीनी मिल हुआ करती थी, लेकिन आज के समय में केवल 10 से 11 ही हैं. जिनकी हालत काफी खस्ता हो गई है. लेकिन सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है. सरकार बिहार में उद्योग को बढ़ाने और रोजगार के अवसर सृजन के लिए कार्य नहीं कर रही है. बल्कि पूंजीपतियों के लिए कार्य कर रही है. बिहार सरकार हो या केंद्र सरकार सभी का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ खुद मुनाफा कमाना है. अगर सरकार वाकई में उद्योग बढ़ाना और अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना चाहती तो, आज बिहार में चल रहे चीनी मिल बंद नहीं हो रहे होते"- बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, संयोजक, बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा

देखें रिपोर्ट

"रीगा चीनी मिल के बंद हो जाने से करीब 40 हजार ईख काश्तकार और करीब 700 मिल कामगार के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. 15 लाख क्विंटल गन्ना हैं, जिसकी कीमत 50 करोड़ के आस-पास बताई जा रही है. यह सब बर्बाद हो रहे हैं. सरकार अगर उद्योग बढ़ाना चाहती है. तो सरकार को यह सब क्यों नहीं दिख रहा"- बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, संयोजक, बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा

कृषि उपकरणों के मूल्य में बढ़ोतरी
संयोजक ने कहा कि लगातार डीजल, खाद, कीटनाशक जैसी वस्तुएं और जरूरी कृषि उपकरणों के मूल्य लगातार बढ़ते जा रहे हैं. गन्ना से पैदा होने वाली वस्तुओं चीनी, इथेनॉल और अन्य वस्तुओं के दाम भी बढ़ गए हैं. लेकिन किसानों के लिए गन्ना का मूल्य अभी तक निर्धारित नहीं हो सका है, जो बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है. बिहार पहले देश के लिए 28% चीनी उत्पादन करता था जो आज के समय घटकर महज ढाई परसेंट ही रह गया है. जो चीनी मिले अभी चल रही हैं, उसका पिछले साल का भुगतान अब तक नहीं किया गया है. ऊपर से किसानों को भी अब चीनी मिलों में ही गन्ना आपूर्ति करने को कहा जा रहा है. यह किसान के हित के प्रतिकूल है.

चीनी मिलों के बाहर धरना-प्रदर्शन
इसके लिए बिहार राज्य किसान गन्ना उत्पादक महासभा हर जिला मुख्यालय में आंदोलन कर रही है. आज यानी 28 जनवरी को भी हर जिले के चीनी मिलों के बाहर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है. संयोजक ने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं करती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा.

ये भी पढ़ें: 'अब तक किसी पार्टी से नहीं हुआ है गठबंधन, पश्चिम बंगाल की 26 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी'

"हमारी मांग है कि रीगा के 40 हजार किसानों, 7000 कामगारों के रोजगार के लिए रीगा चीनी मिल को अविलंब चालू करवाया जाए. सभी चीनी मिलों के पिछले साल का भुगतान अब तक नहीं हुआ है, उसे भी जल्द से जल्द करवाया जाए. गन्ना का मूल्य कम से कम 400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया जाए. 14 दिनों के अंदर किसानों के बकाया पैसे के भुगतान की व्यवस्था की जाए. 6 से 8% गन्ना घटतौली कर गन्ना का वजन आधारित करने पर अविलंब रोक लगाई जाए"- बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, संयोजक, बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा

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