पटनाः चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (RJD President Lalu Prasad Yadav) लंबे समय से सक्रिय राजनीति से दूर हैं, विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने जरूर प्रचार किया, लेकिन इससे पहले विधानसभा चुनाव में वो कोई बड़ी भूमिका नहीं निभा सके. अब दोबारा पटना आकर उन्होंने बड़ा बयान दिया है कि अगर कोर्ट परमिशन देगा तो फिर से 2024 में चुनाव लड़ेंगे.
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लालू यादव के इस बयान के बाद बिहार में सियासी (Lalu Yadav Returning In Active Politics) बयानबाजी भी शुरू हो गई. क्योंकि लालू का सक्रिय राजनीति में आना एनडीए के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है. राजनीतिक जानकार भी मानते हैं कि अगर लालू चुनाव नहीं भी लड़ें तो बिहार की सियासत में उनका दोबारा सक्रिय होना, एक बड़े बदलाव का संकेत होगा.
'लालू चुनाव लड़े या ना लड़ें, वो सक्रिय राजनीति में आने के संकेत दे रहे हैं और एक तरह से अपने कार्यकर्ताओं में मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं कि अस्वस्थ होने के बावजूद वह चुनाव लड़ने वाले हैं. यह आरजेडी कार्यकर्ताओं के लिए कोरोमिन हो सकता है. उनकी सक्रियता से एनडीए की चुनौती बढ़ सकती है' - रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
वहीं, जदयू नेता नीरज कुमार तंज कसते हुए कहते हैं कि लालू प्रसाद यादव को कोर्ट ने ही चुनाव लड़ने से रोक लगा रखी है. अभी तो चारा घोटाले के 3 मामले में ही सजा हुई है, एक मामला बचा हुआ है. 21 साल की अभी सजा हुई है और रेल मंत्री के रूप में जो उन्होंने कारनामा किया है, एशिया का सबसे बड़ा मॉल बना रहे थे, उस मामले में भी चार्जशीट हो गई है, तो उनके लिए चांस कहां है. अब वो राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, संसद में नहीं हैं तो उन्हें इसका पछतावा जरूर होगा.
लालू प्रसाद यादव की सक्रियता से आरजेडी खेमे में उत्साह पहले भी दिखा है और इस बार भी पार्टी के नेता कह रहे हैं कि लालू जरूर बिहार और देश की राजनीति में सक्रिय होंगे. पार्टी प्रवक्ता एजाज अहमद का साफ कहना है कि हम लोगों को पूरी उम्मीद और आशा है कि लालू यादव फिर से पुराने तेवर में दिखेंगे.
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लालू प्रसाद यादव लंबे समय तक बिहार की सत्ता पर बने रहे थे, केंद्र की सत्ता पर भी लंबे समय तक पकड़ रही है. चारा घोटाला में फंसने के बाद भी सत्ता पर उनकी पकड़ बनी रही और इसका बड़ा कारण यादव वोट बैंक के साथ मुस्लिम वोट भी उनके साथ जुड़ा रहा.
हालांकि उनके समीकरण को नीतीश कुमार ने 2005 में छिन्न-भिन्न कर दिया और बिहार की सत्ता से बेदखल भी कर दिया था. उसके बाद लगातार लालू प्रसाद यादव बिहार की सत्ता में आने की कोशिश करते रहे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. 2015 में जरूर नीतीश कुमार फिर उनके साथ गए तब जाकर उनकी पार्टी की सत्ता में वापसी हुई. लेकिन नीतीश कुमार के महागठबंधन से निकलने के बाद फिर से आरजेडी सत्ता से बाहर हो गई.
2020 के विधानसभा चुनाव में राजद जरूर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन सत्ता से बाहर है. लालू प्रसाद यादव न केवल बिहार में बल्कि बिहार से बाहर भी अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं. केंद्र में भी यूपीए सरकार बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है और एक बार फिर से बड़ी भूमिका में लौटना चाहते हैं.
हालांकि कोर्ट का परमिशन चुनाव लड़ने के लिए मिलता है या नहीं यह देखने वाली बात है. चुनाव नहीं भी लड़ेंगे तो सक्रिय राजनीति में आने के जरूर संकेत दे रहे हैं और एक बार फिर से वो राजनीति में हलचल मचाना चाहते हैं.
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