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बिहार चुनाव: रिश्तों पर भारी सियासत, सास-बहू, देवरानी-जेठानी में टक्कर

बिहार महासमर के दंगल में सास और बहू भी एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी हैं. वहीं चाचा-भतीजा भी एक-दूसरे के लिए ताल ठोंक रहे हैं.

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Published : Oct 22, 2020, 11:00 PM IST

रिश्तों पर भारी सियासत,  Bihar Assembly Elections 2020
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पटना: आम तौर पर चुनाव के पूर्व सत्ता तक पहुंचने की महत्वकांक्षा में नेताओं का दल बदलकर 'निजाम' बदलने की परंपरा पुरानी है, लेकिन कोरोना काल में हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव में रिश्तों पर भी सियासत भारी पड़ रही है, जिस कारण मतदाताओं में भी संशय है.

बिहार के इस चुनावी मैदान में सास और बहू भी एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी हैं. वहीं चाचा-भतीजा भी एक-दूसरे के लिए ताल ठोंक रहे हैं. रिश्तेदारों के बीच मचे घमासान से मतदाता भी संशय में है कि वह किसे वोट दें, क्योंकि उनके ताल्लुकात दोनों पक्षों से अच्छे हैं. ऐसे में रिश्तेदारों के बीच हो रहे इस चुनावी दंगल का रोमांच और भी अधिक बढ़ गया है.

सास-बहू और चुनाव

विधानसभा चुनाव में रामनगर ऐसी सीट है, जहां सास और बहू आमने-सामने हैं. यहां भाजपा विधायक भागीरथी देवी को उनकी बहू निर्दलीय रानी कुमारी से कड़ी टक्कर मिल रही है. यहां दोनों के चुनावी मैदान में उतर जाने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है. रामनगर का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुकी भागीरथी देवी के मुकाबले उनकी बहू राजनीति में भले ही नई हों लेकिन वे क्षेत्र में भावनात्मक रूप से वोट मांग रही हैं. रानी का कहना है कि एक-एक घर में जाएंगी और विकास के दावे और वादे की सच्चाई बताएंगी. इधर, भागीरथी देवी कहती हैं कि जनता-जनार्दन मालिक हैं. चुनाव में वही फैसला करते हैं.

भाई-भाई की लड़ाई

सीमांचल की जोकीहाट सीट पर इस बार दिग्ग्ज नेता रहे तस्लीमुद्दीन के दो पुत्र आमने-सामने हैं. इस सीट से पांच बार तस्लीमुद्दीन विधायक रहे हैं. इसी सीट से उनके मंझले पुत्र सरफराज आलम चार बार विधायक बने. विधायक रहते हुए उन्होंने तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद 2018 में अररिया लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव में राजद प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की. इसके बाद उन्होंने जोकीहाट विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया. यहां हुए उपचुनाव में उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम राजद के टिकट पर जोकीहाट से विधायक बने. इसके बाद के 2019 में लोकसभा चुनाव में सरफराज आलम हार गए और अपनी परंपरागत जोकीहाट सीट पर वापस आए और राजद से टिकट मिल गया. इसके बाद उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम एआइएमआइएम के तरफ से चुनावी मैदान में उतर आए.

जेठानी-देवरानी की चुनावी की कहानी

इधर, भोजपुर के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में जेठानी और देवरानी के बीच रोचक मुकाबला है. पूर्व विधायक मुन्नी देवी को भाजपा ने एक बार फिर अपना उम्मीदवार बनाया है तो उनकी जेठानी शोभा देवी बतौर निर्दलीय चुनावी अखाड़े में उतर आई हैं. पिछले चुनाव में शोभा देवी के पति विशेश्वर ओझा भाजपा के उम्मीदवार थे.

चाचा-भतीजा का जंग

सारण जिले के मढ़ौरा विधानसभा सीट से पूर्व विधायक रामप्रवेश राय के पुत्र आनंद राय निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं उनके चाचा जयराम राय भी निर्दलीय ही मैदान में उतर चुके हैं.

फिलहाल, राज्य के कई विधानसभा क्षेत्रों में सियासत की सीढ़ियां चढ़ने के लिए नेता रिश्तों को दरकिनार कर चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हों, लेकिन देखने वाली बात होगी मतदाता किसे तरजीह देते हैं.

बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीन चरणों में होने वाले चुनाव के लिए मतदान 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को होगा जबकि मतगणना 10 नवंबर को होगी.

पटना: आम तौर पर चुनाव के पूर्व सत्ता तक पहुंचने की महत्वकांक्षा में नेताओं का दल बदलकर 'निजाम' बदलने की परंपरा पुरानी है, लेकिन कोरोना काल में हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव में रिश्तों पर भी सियासत भारी पड़ रही है, जिस कारण मतदाताओं में भी संशय है.

बिहार के इस चुनावी मैदान में सास और बहू भी एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी हैं. वहीं चाचा-भतीजा भी एक-दूसरे के लिए ताल ठोंक रहे हैं. रिश्तेदारों के बीच मचे घमासान से मतदाता भी संशय में है कि वह किसे वोट दें, क्योंकि उनके ताल्लुकात दोनों पक्षों से अच्छे हैं. ऐसे में रिश्तेदारों के बीच हो रहे इस चुनावी दंगल का रोमांच और भी अधिक बढ़ गया है.

सास-बहू और चुनाव

विधानसभा चुनाव में रामनगर ऐसी सीट है, जहां सास और बहू आमने-सामने हैं. यहां भाजपा विधायक भागीरथी देवी को उनकी बहू निर्दलीय रानी कुमारी से कड़ी टक्कर मिल रही है. यहां दोनों के चुनावी मैदान में उतर जाने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है. रामनगर का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुकी भागीरथी देवी के मुकाबले उनकी बहू राजनीति में भले ही नई हों लेकिन वे क्षेत्र में भावनात्मक रूप से वोट मांग रही हैं. रानी का कहना है कि एक-एक घर में जाएंगी और विकास के दावे और वादे की सच्चाई बताएंगी. इधर, भागीरथी देवी कहती हैं कि जनता-जनार्दन मालिक हैं. चुनाव में वही फैसला करते हैं.

भाई-भाई की लड़ाई

सीमांचल की जोकीहाट सीट पर इस बार दिग्ग्ज नेता रहे तस्लीमुद्दीन के दो पुत्र आमने-सामने हैं. इस सीट से पांच बार तस्लीमुद्दीन विधायक रहे हैं. इसी सीट से उनके मंझले पुत्र सरफराज आलम चार बार विधायक बने. विधायक रहते हुए उन्होंने तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद 2018 में अररिया लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव में राजद प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की. इसके बाद उन्होंने जोकीहाट विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया. यहां हुए उपचुनाव में उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम राजद के टिकट पर जोकीहाट से विधायक बने. इसके बाद के 2019 में लोकसभा चुनाव में सरफराज आलम हार गए और अपनी परंपरागत जोकीहाट सीट पर वापस आए और राजद से टिकट मिल गया. इसके बाद उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम एआइएमआइएम के तरफ से चुनावी मैदान में उतर आए.

जेठानी-देवरानी की चुनावी की कहानी

इधर, भोजपुर के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में जेठानी और देवरानी के बीच रोचक मुकाबला है. पूर्व विधायक मुन्नी देवी को भाजपा ने एक बार फिर अपना उम्मीदवार बनाया है तो उनकी जेठानी शोभा देवी बतौर निर्दलीय चुनावी अखाड़े में उतर आई हैं. पिछले चुनाव में शोभा देवी के पति विशेश्वर ओझा भाजपा के उम्मीदवार थे.

चाचा-भतीजा का जंग

सारण जिले के मढ़ौरा विधानसभा सीट से पूर्व विधायक रामप्रवेश राय के पुत्र आनंद राय निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं उनके चाचा जयराम राय भी निर्दलीय ही मैदान में उतर चुके हैं.

फिलहाल, राज्य के कई विधानसभा क्षेत्रों में सियासत की सीढ़ियां चढ़ने के लिए नेता रिश्तों को दरकिनार कर चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हों, लेकिन देखने वाली बात होगी मतदाता किसे तरजीह देते हैं.

बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीन चरणों में होने वाले चुनाव के लिए मतदान 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को होगा जबकि मतगणना 10 नवंबर को होगी.

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