ETV Bharat / state

डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा PMCH

author img

By

Published : Jun 24, 2019, 8:54 AM IST

पीएमसीएच को भले ही सरकार ने सुपरस्पेशलिटी का दर्जा दे दिया हो. लेकिन यहां डॉक्टर और नर्स की भारी कमी के वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालात ऐसे हैं कि तकरीबन 200 मरीज एक डॉक्टर के भरोसे हैं.

स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी

पटनाः सूबे में स्वास्थ्य सेवा का हाल बद से बदतर होता जा रहा है. जिसका मुख्य कारण राज्यभर के अस्पतालों में डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी होना है. ऐसे में सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच वर्षों से डॉक्टर और नर्स की कमी का दंश झेल रहा है.

पीएमसीएच को भले ही सरकार ने सुपरस्पेशलिटी का दर्जा दे दिया हो. लेकिन यहां डॉक्टर और नर्स की भारी कमी के वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालात ऐसे हैं कि तकरीबन 200 मरीज एक डॉक्टर के भरोसे हैं. बता दें कि पीएमसीएच में रोजाना 3000 मरीजों का रजिस्ट्रेशन होता है. राज्य के कोने-कोने से मरीज अपना बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच आते हैं लेकिन डॉक्टरों की कमी और स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को काफी मुशकिलें होती है.

patna
अस्पताल में लगी कतार

PMCH में कर्मचारियों की भारी कमी
इस अस्पताल में 1258 नर्सों की जगह 1018 नर्स हैं, 42 एएनएम का पद हाल में ही सृजित हुआ है, 27 ओटी सहायकों में 19 ही कार्यरत हैं, 28 ड्रेसर का काम 11 ड्रेसर कर रहे हैं, 37 फार्मासिस्ट की जगह 30 हैं और 21 लैब टेक्नीशियन का काम 14 ही कर रहे हैं. वहीं ब्लड बैंक में छह मेडिकल ऑफिसर हैं. जिनमें से केवल दो ही बचे हैं. अब हालात यह है कि इमरजेंसी में बेड की संख्या भले ही 150 से 200 कर दिए गए हो. लेकिन स्टाफ नहीं बढ़ाए गए हैं.

अस्पताल में लगी कतार

सरकार पर कई सवाल
पीएमसीएच में ये सभी कमियां सरकार की जानकारी में हैं. बावजूद इन सब के अस्पताल का यह हाल स्वास्थ्य विभाग पर कई सवाल खड़े कर रहा है. जहां एक ओर पूरे राज्य में एईएम और हिट वेव से लोगों की जान जा रही है, वहीं दूसरी ओर सरकार और प्रशासन अभी भी नींद में है.

पटनाः सूबे में स्वास्थ्य सेवा का हाल बद से बदतर होता जा रहा है. जिसका मुख्य कारण राज्यभर के अस्पतालों में डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी होना है. ऐसे में सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच वर्षों से डॉक्टर और नर्स की कमी का दंश झेल रहा है.

पीएमसीएच को भले ही सरकार ने सुपरस्पेशलिटी का दर्जा दे दिया हो. लेकिन यहां डॉक्टर और नर्स की भारी कमी के वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालात ऐसे हैं कि तकरीबन 200 मरीज एक डॉक्टर के भरोसे हैं. बता दें कि पीएमसीएच में रोजाना 3000 मरीजों का रजिस्ट्रेशन होता है. राज्य के कोने-कोने से मरीज अपना बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच आते हैं लेकिन डॉक्टरों की कमी और स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को काफी मुशकिलें होती है.

patna
अस्पताल में लगी कतार

PMCH में कर्मचारियों की भारी कमी
इस अस्पताल में 1258 नर्सों की जगह 1018 नर्स हैं, 42 एएनएम का पद हाल में ही सृजित हुआ है, 27 ओटी सहायकों में 19 ही कार्यरत हैं, 28 ड्रेसर का काम 11 ड्रेसर कर रहे हैं, 37 फार्मासिस्ट की जगह 30 हैं और 21 लैब टेक्नीशियन का काम 14 ही कर रहे हैं. वहीं ब्लड बैंक में छह मेडिकल ऑफिसर हैं. जिनमें से केवल दो ही बचे हैं. अब हालात यह है कि इमरजेंसी में बेड की संख्या भले ही 150 से 200 कर दिए गए हो. लेकिन स्टाफ नहीं बढ़ाए गए हैं.

अस्पताल में लगी कतार

सरकार पर कई सवाल
पीएमसीएच में ये सभी कमियां सरकार की जानकारी में हैं. बावजूद इन सब के अस्पताल का यह हाल स्वास्थ्य विभाग पर कई सवाल खड़े कर रहा है. जहां एक ओर पूरे राज्य में एईएम और हिट वेव से लोगों की जान जा रही है, वहीं दूसरी ओर सरकार और प्रशासन अभी भी नींद में है.

Intro:सूबे में स्वास्थ्य सेवा का हाल बेहाल है, जिसका मुख्य कारण राज्य भर के विभिन्न अस्पतालों में डाक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी होना ऐसे में सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में भी वर्षों से डॉक्टर एवं नर्स की कमी का दंश झेल रहा है एक रिपोर्ट


Body: बिहार में स्वास्थ्य सेवा इन दिनों चरमराती हुई दिख रही है इसका मुख्य कारण डाक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी माना जा रहा है ऐसे में सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच जिसे सरकार ने भले ही सुपरस्पेशलिटी का दर्जा दे दिया है बावजूद वहां डॉक्टर एवं नर्स की भारी कमी है जिसको लेकर भारी फजीहत मरीजों को झेलनी पड़ रही है हालात ऐसे हैं कि तकरीबन 200 मरीज पर एक डॉक्टर के भरोसे है, पीएमसीएच में रोजाना 3000 मरीजों का रजिस्ट्रेशन होता है राज्य के कोने-कोने से मरीज अपना बेहतर इलाज के लिए पीएम से आते हैं लेकिन डॉक्टरों की कमी और स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को काफी फजीहत झेलनी पड़ती है


Conclusion:अस्पताल में 1258 नर्सों की जगह 1018 ही हैं, 42 एएनएम का पद हाल में ही सृजित हुआ है, 27 ओटी सहायकों में 19 ही कार्यरत हैं, 28 ड्रेसर का काम 11 कर रहे हैं, 37 फार्मासिस्ट की जगह 30 हैं 21 लैब टेक्नीशियन का काम 14 ही कर रहे हैं ब्लड बैंक में छह मेडिकल ऑफिसर हैं इसमें दो ही बचे हैं रेडियोथैरेपी में वहां की कोबाल्ट मशीन के लिए एक फिजिसिस्ट की संविदा पर नियुक्ति हुई थी उसका भी टर्म पूरा हो गया है अब हालात यह है कि इमरजेंसी में बेड की संख्या भले ही डेढ़ सौ से 200 कर दिए गए हैं पर स्टाफ नहीं बढ़ाए गए हैं, ओपीडी में रोजाना मरीजों की संख्या 2500 से 3000 होती हैं सेंट्रल इमरजेंसी के लिए 25 डॉक्टरों कैडर बनना था पर आज तक नहीं बना जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले जाते हैं तो दिक्कतें और भी बढ़ जाती हैं सभी कमियां सरकार की जानकारी में हैं बावजूद अस्पताल का यह हाल होना यह स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी नहीं तो और क्या है NMCH:-- राजधानी के एनएमसीएच में 750 बेड हैं और इमरजेंसी में 30 हैं ओपीडी में प्रतिदिन 1500 से 2000 मरीज आते हैं रोज छोटे-बड़े 28 ऑपरेशन होते हैं, तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की बहुत कमी है, पारा मेडिकल स्टाफ की भी बहुत कमी है IGIMS:-- आईजीआईएमएस में 770 बेड है जिसमें इमरजेंसी में 70 हैं फिर भी मारामारी रहती है, ओपीडी में 2000 से अधिक मरीज प्रतिदिन आते हैं, किडनी और कॉर्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा मिलने लगी है लेकिन स्टाफ कि यहां भी भारी कमी है AIIMS:-- पटना एम्स में 60 बेड का इमरजेंसी और ट्रामा सेंटर खुला है सेवाएं भी मरीजों को मिलने लगी है यहां ओपीडी में प्रतिदिन 1500 से 2000 मरीज आते हैं लेकिन मेजर और माइनर ऑपरेशन को लेकर कर्मचारियों की कमी है, ने नेफ्रोलॉजी को छोड़ सभी विभाग कार्यरत हैं बहहाल पटना के सभी अस्पताल ओवरलोडेड हैं वही जिलों के सभी अस्पताल बदहाल दिख रहे हैं तकरीबन 19 लाख की आबादी में 68 डॉक्टर के भरोसे चल रहा है स्वास्थ्य विभाग के प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो बिहार का एसजीडीपी 3,73,920 करोड़ है, राज्य 22,317 करोड़ चिकित्सा क्षेत्र पर खर्च करती है, लेकिन प्रति व्यक्ति ब्यय के मामले में बिहार उन 20 राज्यों में सबसे नीचे हैं जिसके बारे में नेशनल हेल्थ अकाउंट रिपोर्ट है दूसरी हकीकत यह भी है कि राज्य में 348 (राष्ट्रीय औसत 742 है) प्रति व्यक्ति सालाना सरकारी चिकित्सा ब्यय है बाईट:--संजय कुमार (स्वास्थ्य ब्यवस्था पर संबोधित करते का) प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग बाईट:-प्रोफेसर डॉ राजीव रंजन प्रसाद अधीक्षक,पीएमसीएच पी टू सी शशि तुलस्यान, पटना
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.