पटना: राजधानी पटना का कचरा सरकार के लिए सिर दर्द बना हुआ है. घरों से हर दिन निकलने वाले कचरे के निपटारे के लिए सरकार ने कई कंपनियों के साथ समझौते किए, लेकिन सभी कंपनियों ने जमीन पर कुछ काम नहीं किया. कंपनियों के भरोसे सरकार भी कचरा से बिजली उत्पादन का सपना देख रही थी. लेकिन सपना अब टूट चुका है. अब सरकार ने कचरे से सीएनजी गैस और कंपोस्ट खाद में तब्दील करने की नई योजना पर निगम प्रशासन को काम करने का आदेश दिया है.
ये पहला मौका है, जब राजधानी पटना के घरों से निकले लाखों टन कचरा बिहार सरकार के लिए सिर दर्द बन हुआ है. कचरे के सही निस्तारण के लिए सरकार 2016 से प्रयास तो कर रही है, लेकिन प्रयास सिर्फ घोषणा बनकर रह जा रहा है, पटना से हर दिन लगभग 700-800 टन कचरा निकलता है, इतने बड़े पैमाने पर निकलने वाले कचरे का सही निस्तारण के लिए निगम प्रशासन और सरकार की किसी चुनौती से कम नहीं है.
सरकार ने कंपनी से किया समझौता रद्द
सरकार कचरे का निष्पादन के लिए साल 2018 में अमेरिका की बेस्ड कंपनी एजी डाटर ने पटना नगर निगम के साथ समझौता किया था. समझौते के तहत कंपनी को हर दिन 790 रुपये प्रति टन के हिसाब से कचरा पटना नगर निगम से खरीदना था, इसके बदले कंपनी कचरे से बिजली, डीजल और पानी का उत्पादन करने पर काम कर रही थी, जिसे पटना में ही खपत किया जाता. इससे कंपनी को आमदनी होती है. कंपनी को 1 अक्टूबर तक अपने प्लांट पटना के बैरिया चक में लगा लेने थे, लेकिन प्लांट का एक ईंट भी कंपनी नहीं लगा सकी, मजबूरन सरकार ने कंपनी के साथ अपना समझौता रद्द करने का फैसला लिया है और रद्द भी कर दिया.
कचरे से बनेगा सीएनजी गैस और कंपोस्ट खाद
शहर में मुसीबत बनते जा रहे कचरे का निष्पादन कैसे हो, इसके लिए लगातार सरकार निगम प्रशासन विचार-विमर्श भी कर रहा है. निगम प्रशासन का दावा है कि अब कचरे का निष्पादन निगम प्रशासन अपने स्तर से करेगा. इसके लिए निगम स्टैडिंग कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि अब निगम कचरे से सीएनजी गैस और कंपोस्ट खाद बनाएगा.
क्या कहते हैं नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा
पटना नगर निगम के नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा बताते हैं कि कचरा निष्पादन के लिए हम लोगों ने बायोमेट्रिक मिथनेसिक प्रपोज किया है, जिसमें 20 टन का और 50 टन का दो प्लांट लगाएंगे, गीले कचरे से सीएनजी गैस बनाएंगे और सूखे कचरे से कंपोस्ट खाद भी बनाएंगे. इसके लिए अब हर घर से निकलने वाले सूखा कचरा और गीला कचरा को अलग-अलग डस्टबिन में रखे जाने के लिए लोगों को जागरुक भी किया गया है और जो पटना नगर निगम की गाड़ी है. उसमें भी दो खाने लगाए गए हैं. सूखा कचरा अलग और गीला कचरा अलग रखा जा रहा है. नगर आयुक्त ने कहा है कि जो भी सीएनजी गैस उत्पादन होगा. वह नगर निगम खुद खरीदेगा और अपने सभी गाड़ियों में सीएनजी लग जाएगा और जो बचेंगे. वह शहरवासियों को जो सरकारी दरों पर गैस मिलता है. उसी दर पर गैस उपलब्ध कराया जाएगा.
'समय पर काम पूरा नहीं होने से कॉन्ट्रैक्ट रद्द'
वहीं, सशक्त स्थाई समिति के सदस्य डॉ. आशीष सिन्हा बताते हैं कि कचरा निष्पादन में पटना नगर निगम लगातार लगा हुआ है, जो पहले कचरे से बिजली बनाने के लिए सरकार की ओर से अमेरिकी कंपनी से डील किया गया था. वह सही समय पर काम पूरा नहीं करने की वजह से उनके साथ जो हमारा कॉन्ट्रैक्ट था. वह समाप्त हो चुका है और अब हम लोग कचरे से सीएनजी गैस कैसे बने इसको लेकर काम करना शुरू कर दिए हैं.
'बेहतर ढंग से अध्ययन की आवश्यकता'
बिजली बनाने वाली कंपनी ने कचरे के निष्तारण के लिए सरकार के साथ एक शर्त भी रखी थी. कंपनी ने कचरा घर से लाने से लेकर डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने को लेकर सरकार से टीपिंग चार्ज भी वसूल किया, लेकिन कंपनी कचरा से बिजली उत्पादन करने में असफल रही. सरकार ने कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया और अब एक नए सिरे से कचरा निष्तारण के लिए सरकार और निगम प्रशासन प्रयास कर रहा है. ताकि जल्द से जल्द कचरे निष्तारण कर सीएनजी गैस और कंपोस्ट खाद बनाने की प्रक्रिया में कार्य कर रही है. हालांकि, विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार की मानें तो निगम की योजना यदि मंथन करके बनी है. तो जरूर कारगर होगी और निगम को इस योजना पर बेहतर ढंग से अध्ययन करने होंगे. अन्यथा पहले की योजना की तरह यह भी योजना धरातल पर नहीं उतर पाएगी. विशेषज्ञ भी मानते हैं कि यदि कचरा निष्पादन हो जाता है. तो निश्चित ही शहर वासियों को प्रदूषण से भी मुक्ति मिल जाएगी.
बैरिया चक में कचरे का पहाड़
पर्यावरण ठीक रहे इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 'जल जीवन हरियाली योजना' के माध्यम से हर साल करोड़ों रुपये के पौधे पर खर्च करते हैं. ताकि पर्यावरण ठीक रहे. सरकार ने राज्य में पॉलिथीन पर पाबंदी भी लगा दी है, साथ ही में शहर से निकलने वाली कचरे का प्रबंधन निगम ठीक ढंग से कर सके, उसके लिए सरकार ने अनुमति भी दे दी है. इधर पटना के बैरिया चक में कचरे का पहाड़ बढ़ता ही जा रहा है, चूकि पटना की जमीन काफी कीमती है, इसलिए बैरिया कचरा डंपिंग प्वाइंट के आसपास घनी आबादी भी बस चुकी है, शहर वासियों को शुद्ध वातावरण मिले. इसके लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है.