पटनाः पटना हाइकोर्ट ने एलएन मिश्र इंस्टीट्यूट के भवन को स्थानांतरित करने से संबंधित लोकहित याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक राज्य सरकार कोई नीतिगत निर्णय नहीं लेती, तब तक हाईकोर्ट का विस्तार उसके आसपास के संस्थानों को हटाकर नहीं हो सकता है. इन तथ्यों के मद्देनजर पटना हाईकोर्ट ने उक्त लोकहित याचिका को निष्पादित कर दिया. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन एवं जस्टिस मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई की.
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बिहार का प्रमुख संस्थान हैः राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता पीके शाही ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए बताया कि यह लोकहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. उन्होंने लोकहित याचिका में किसी ठोस सामग्री या रिपोर्ट या अध्ययन की कमी पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि पटना हाईकोर्ट को इस रिट याचिका में पक्षकार नहीं बनाया गया है. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन एवं जस्टिस मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ के समक्ष एलएन मिश्र इंस्टीट्यूट की ओर से अधिवक्ता आरके शुक्ला ने जनहित याचिका विरोध करते हुए कहा कि यह संस्थान व्यवसाय प्रबंधन और कंप्यूटर विज्ञान में शिक्षा प्रदान करने वाला बिहार का एक प्रमुख संस्थान है.
प्रबंध समिति के तहत चलाया जाताः संस्थान द्वारा वर्ष 1982 में पट्टे के माध्यम से भूमि प्राप्त किया गया था. वर्ष 1987 में बिहार निजी शिक्षा संस्थान (अधिग्रहण) अधिनियम 1987 के तहत राज्य द्वारा इसे अधिग्रहित कर लिया गया था. भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ने 1983 में भवन का उद्घाटन किया था. संस्थान मुख्यमंत्री के पदेन अध्यक्ष के रूप में एक प्रबंध समिति के तहत चलाया जाता है.