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वर्ल्ड फोटोग्राफी डे: बचपन से फोटो खींच रहे फोटोग्राफरों की जिंदगी बन गई 'फोटोग्राफी'

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Published : Aug 19, 2020, 8:17 AM IST

हरेक साल 19 अगस्त को पूरी दुनिया में 'वर्ल्ड फोटोग्राफी डे' मनाया जाता है. यह दिन उन लोगों को समर्पित होता है, जिन्होंने खास पलों को तस्वीरों में कैद कर उन्हें हमेशा-हमेशा के लिए यादगार बना दिया. इस खास दिन पर राजधानी पटना के फोटोग्राफरों में काफी खुशी है. फोटोग्राफरों ने अपने खुशी जाहिर की है.

Photographers response on World Photography Day
Photographers response on World Photography Day

पटना: जीवन के कुछ अनमोल लम्हें और खुशियां जिन्हें हम हमेशा समेट कर तो नहीं रख सकते. लेकिन उस पल को हम कैमरे में कैद कर लेते हैं. शादी, बर्थडे पार्टी, खेल या किसी टूर पर गए हो तो उन यादों को सहेजने के लिए हम फोटो खींच लेते हैं. इसीलिए पूरी दुनिया में हर साल 19 अगस्त को 'वर्ल्ड फोटोग्राफी डे' मनाया जाता है.

कहा जाता है कि एक फोटो हजार शब्द के बराबर होता है. फोटोग्राफी की इसी कला के लिए हरेक साल 19 अगस्त को वर्ल्ड फोटोग्राफी डे मनाया जाता है. इतिहास की माने तो आज से 180 साल पहले 9 जनवरी 1839 को फोटोग्राफी की शुरुआत हुई थी. जोसेफ मिस्फोर और लुईस डॉगेर ने इसका आविष्कार किया था. लेकिन इसकी घोषणा 19 अगस्त 1839 को फ्रांस की ओर से की गई थी. तभी से 19 अगस्त को वर्ल्ड फोटोग्राफी डे के रुप में मनाया जाता है. राजधानी पटना में हजार से भी अधिक प्रोफेशनल फोटोग्राफर हैं. कई ऐसे भी फोटोग्राफर हैं जो शौक से फोटोग्राफी करते थे आज प्रफेशन बन गया है.

Photographers response on World Photography Day
फोटोग्राफ्स

'बचपन से कर रहे फोटोग्राफी'
पटना के कुछ ऐसे भी फोटोग्राफर हैं जो बचपन से ही फोटोग्राफी करते आ रहे हैं. राजधानी के रहने वाले फोटोग्राफर प्रणव शाही जिन्होंने 8 साल की उम्र से फोटोग्राफी करना शुरू किया था. हालांकि उन्होंने बताया कि फोटोग्राफी उन्हें विरासत के रूप में मिली है. ब्लैक एंड वाइट से इन्होंने फोटोग्राफी शुरू की थी और आज डिजिटल फोटोग्राफी कर रहे हैं .पिछले 44 सालों से लगातार फोटोग्राफी कर रहे हैं. प्रणव शाही अब तक करीब 8 से अधिक राज्य सरकार और केंद्र सरकार के लिए कई शॉर्ट फिल्म के साथ डॉक्युमेंट्रीज बना चुके हैं. अब तक 8 हजार से अधिक सीरियल डॉक्युमेंट्रीज और मैगजीन कवर के लिए फोटो शूट कर चुके हैं. प्रणव शाही आज भी शौक से फोटोग्राफी करते हैं.

पेश है रिपोर्ट

'फोटोग्राफी ना करे तो लगात है मिसिंग'
पटना के निजी प्रोडक्शन कंपनी में कार्यरत फोटोग्राफर कुंज बिहारी भी बचपन से फोटोग्राफी कर रहे हैं लेकिन पिछले 15 सालों से वो फोटोग्राफी के प्रोफेशन में आ चुके हैं और प्रतिदिन फोटोग्राफी करते हैं. अब तक हजार से अधिक डॉक्युमेंट्रीज के लिए फोटोग्राफी कर चुके हैं. कुंज बिहारी ने बताया कि फोटोग्राफी उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा है. किसी दिन अगर वो फोटोग्राफी नहीं करते तो उन्हें ऐसा लगता है कि उनकी लाइफ में कुछ मिसिंग है.

Photographers response on World Photography Day
फोटोग्राफ्स

'पहले की प्रिंटिंग और डिजिटल में है अंतर'
इनके अलावा पटना के न्यू मार्केट में रहने वाले फोटोग्राफर प्रदीप कुमार गुप्ता पिछले 46 सालों से फोटोग्राफी कर रहे हैं हालांकि पैर की समस्या के कारण अब फोटोग्राफी कम कर पाते हैं. अब वह दवा का दुकान चलाते हैं. बचपन से ही फोटोग्राफी का शौक रखने वाले प्रदीप फ्रीलांसिंग फोटोग्राफी करते थे. उन्होंने एक रिक्शेवाले से लेकर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और कई मुख्यमंत्रियों के भी फोटो खींचे थे. हालांकि प्रदीप का कहना है कि पहले की जो फोटोग्राफी होती थी ब्लैक एंड वाइट और जो प्रिंटिंग होती थी वो आज के समय में डिजिटल और कलरफुल होने के बाद भी उस तरीके की नहीं होती है. उन्होंने 18 रुपये के कैमरे से अपने फोटोग्राफी के कैरियर की शुरुआत की थी. उन्हें दुख सिर्फ इस बात का है कि वो अपने उस जमाने के फोटोग्राफ्स को बचाकर नहीं रख पाए हैं.

पटना: जीवन के कुछ अनमोल लम्हें और खुशियां जिन्हें हम हमेशा समेट कर तो नहीं रख सकते. लेकिन उस पल को हम कैमरे में कैद कर लेते हैं. शादी, बर्थडे पार्टी, खेल या किसी टूर पर गए हो तो उन यादों को सहेजने के लिए हम फोटो खींच लेते हैं. इसीलिए पूरी दुनिया में हर साल 19 अगस्त को 'वर्ल्ड फोटोग्राफी डे' मनाया जाता है.

कहा जाता है कि एक फोटो हजार शब्द के बराबर होता है. फोटोग्राफी की इसी कला के लिए हरेक साल 19 अगस्त को वर्ल्ड फोटोग्राफी डे मनाया जाता है. इतिहास की माने तो आज से 180 साल पहले 9 जनवरी 1839 को फोटोग्राफी की शुरुआत हुई थी. जोसेफ मिस्फोर और लुईस डॉगेर ने इसका आविष्कार किया था. लेकिन इसकी घोषणा 19 अगस्त 1839 को फ्रांस की ओर से की गई थी. तभी से 19 अगस्त को वर्ल्ड फोटोग्राफी डे के रुप में मनाया जाता है. राजधानी पटना में हजार से भी अधिक प्रोफेशनल फोटोग्राफर हैं. कई ऐसे भी फोटोग्राफर हैं जो शौक से फोटोग्राफी करते थे आज प्रफेशन बन गया है.

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फोटोग्राफ्स

'बचपन से कर रहे फोटोग्राफी'
पटना के कुछ ऐसे भी फोटोग्राफर हैं जो बचपन से ही फोटोग्राफी करते आ रहे हैं. राजधानी के रहने वाले फोटोग्राफर प्रणव शाही जिन्होंने 8 साल की उम्र से फोटोग्राफी करना शुरू किया था. हालांकि उन्होंने बताया कि फोटोग्राफी उन्हें विरासत के रूप में मिली है. ब्लैक एंड वाइट से इन्होंने फोटोग्राफी शुरू की थी और आज डिजिटल फोटोग्राफी कर रहे हैं .पिछले 44 सालों से लगातार फोटोग्राफी कर रहे हैं. प्रणव शाही अब तक करीब 8 से अधिक राज्य सरकार और केंद्र सरकार के लिए कई शॉर्ट फिल्म के साथ डॉक्युमेंट्रीज बना चुके हैं. अब तक 8 हजार से अधिक सीरियल डॉक्युमेंट्रीज और मैगजीन कवर के लिए फोटो शूट कर चुके हैं. प्रणव शाही आज भी शौक से फोटोग्राफी करते हैं.

पेश है रिपोर्ट

'फोटोग्राफी ना करे तो लगात है मिसिंग'
पटना के निजी प्रोडक्शन कंपनी में कार्यरत फोटोग्राफर कुंज बिहारी भी बचपन से फोटोग्राफी कर रहे हैं लेकिन पिछले 15 सालों से वो फोटोग्राफी के प्रोफेशन में आ चुके हैं और प्रतिदिन फोटोग्राफी करते हैं. अब तक हजार से अधिक डॉक्युमेंट्रीज के लिए फोटोग्राफी कर चुके हैं. कुंज बिहारी ने बताया कि फोटोग्राफी उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा है. किसी दिन अगर वो फोटोग्राफी नहीं करते तो उन्हें ऐसा लगता है कि उनकी लाइफ में कुछ मिसिंग है.

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फोटोग्राफ्स

'पहले की प्रिंटिंग और डिजिटल में है अंतर'
इनके अलावा पटना के न्यू मार्केट में रहने वाले फोटोग्राफर प्रदीप कुमार गुप्ता पिछले 46 सालों से फोटोग्राफी कर रहे हैं हालांकि पैर की समस्या के कारण अब फोटोग्राफी कम कर पाते हैं. अब वह दवा का दुकान चलाते हैं. बचपन से ही फोटोग्राफी का शौक रखने वाले प्रदीप फ्रीलांसिंग फोटोग्राफी करते थे. उन्होंने एक रिक्शेवाले से लेकर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और कई मुख्यमंत्रियों के भी फोटो खींचे थे. हालांकि प्रदीप का कहना है कि पहले की जो फोटोग्राफी होती थी ब्लैक एंड वाइट और जो प्रिंटिंग होती थी वो आज के समय में डिजिटल और कलरफुल होने के बाद भी उस तरीके की नहीं होती है. उन्होंने 18 रुपये के कैमरे से अपने फोटोग्राफी के कैरियर की शुरुआत की थी. उन्हें दुख सिर्फ इस बात का है कि वो अपने उस जमाने के फोटोग्राफ्स को बचाकर नहीं रख पाए हैं.

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