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कोरोना महामारी की मुश्किल घड़ी में वॉरियर्स बनकर उभरे हैं फार्मासिस्ट- प्रो. कुमार अजय

देशभर में कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए हो रहे प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले नि:संदेह स्वास्थ्य कर्मी हैं. संकट की घड़ी में अस्पताल ही है जो पीड़ितों के लिए दिन-रात खुले हुए हैं. इनमें डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मी भगवान के रूप में कोरोना संक्रमित लोगों की जान बचाने में जी जान से लगे हुए हैं. इन्हीं में से एक फार्मासिस्ट है, जो कोरोना संक्रमित की जांच प्रक्रिया से लेकर अन्य कई भूमिकाओं में लीड रोल अदा कर रहे हैं.

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Published : Apr 15, 2020, 7:14 PM IST

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पटना: कोरोना संक्रमण और आम लोगों के बीच बिहार के फार्मासिस्ट प्रभावी भूमिका निभा रहे हैं. बिहार के स्वास्थ्य केंद्रों में थर्मल स्प्रेडिंग में जहां फार्मासिस्ट अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. वहीं, आने वाले समय में किसी भी बड़ी आपदा के लिए भी इनकी भूमिका तय की जा रही है. मामले में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के एग्जीक्यूटिव मेंबर अजय ने ईटीवी भारत के साथ हुई खास बातचीत में बताया कि बिहार में करीब 26 हजार फार्मासिस्ट महामारी के बीच लोगों के सहायतार्थ जुटे हुए हैं.

'देश में करीब साढे आठ लाख मेडिकल शॉप मौजूद'
देशभर में कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए हो रहे प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले नि:संदेह में स्वास्थ्य कर्मी हैं. संकट की घड़ी में अस्पताल ही है जो पीड़ितों के लिए दिन-रात खुले हुए हैं. इनमें डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मी भगवान के रूप में कोरोना संक्रमित लोगों की जान बचाने में जी जान से लगे हुए हैं. इन्हीं में से एक फार्मासिस्ट है, जो कोरोना संक्रमित की जांच प्रक्रिया से लेकर अन्य कई भूमिकाओं में लीड रोल अदा कर रहे हैं. फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के एग्जीक्यूटिव मेंबर कुमार अजय ने बताया कि देश में करीब साढे आठ लाख मेडिकल शॉप मौजूद हैं.

पटना
कुमार अजय, सदस्य, फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया

'बिहार में प्रत्येक वर्ष करीब 6 हजार फार्मासिस्ट की जरूरत'
अजय ने बताया कि कोई भी मेडिकल शॉप बिना फार्मासिस्ट के नहीं खुल सकता. बिहार में भी करीब 70 हजार मेडिकल शॉप है. जहां, फार्मासिस्ट की जरूरत पड़ती है. लेकिन बिहार में फार्मासिस्ट की जबरदस्त कमी है. इसकी मुख्य वजह है कि बिहार में अब तक महज 13 फार्मेसी इंस्टीट्यूट हैं. हालांकि, अब 112 नए फार्मेसी इंस्टीट्यूट खुल रहे हैं. वहीं, यूपी में 700 से ज्यादा फार्मेसी इंस्टीट्यूट हैं. फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में करीब 13 लाख फार्मासिस्ट हैं जबकि बिहार में इनकी संख्या करीब 26 हजार के आसपास है. हर साल बिहार में ही करीब 6 हजार फार्मासिस्ट की जरूरत पड़ती है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'फार्मासिस्ट की जरूरत'
कुमार अजय ने आगे कहा कि कोरोना जैसी भयानक महामारी के वक्त केंद्र सरकार ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया से सभी फार्मासिस्ट की कांटेक्ट डिटेल्स मांगी है. ताकि जरूरत पड़ने पर इन्हें उपयोग में लाया जा सके. उन्होंने कहा कि सरकारी, निजी अस्पताल, मेडिकल शॉप, क्लीनिक और मेडिसिन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट सभी जगह फार्मासिस्ट की जरूरत है. कुमार अजय ने बताया कि कोरोना महामारी में जिस तरह से भारत समेत पूरे विश्व में फार्मासिस्ट की जरूरत महसूस की गई है. उससे आने वाले समय में अंदेशा है कि फार्मेसी संस्थानों की संख्या और इस क्षेत्र में रोजगार बहुत तेजी से बढ़ेगा.

पटना: कोरोना संक्रमण और आम लोगों के बीच बिहार के फार्मासिस्ट प्रभावी भूमिका निभा रहे हैं. बिहार के स्वास्थ्य केंद्रों में थर्मल स्प्रेडिंग में जहां फार्मासिस्ट अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. वहीं, आने वाले समय में किसी भी बड़ी आपदा के लिए भी इनकी भूमिका तय की जा रही है. मामले में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के एग्जीक्यूटिव मेंबर अजय ने ईटीवी भारत के साथ हुई खास बातचीत में बताया कि बिहार में करीब 26 हजार फार्मासिस्ट महामारी के बीच लोगों के सहायतार्थ जुटे हुए हैं.

'देश में करीब साढे आठ लाख मेडिकल शॉप मौजूद'
देशभर में कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए हो रहे प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले नि:संदेह में स्वास्थ्य कर्मी हैं. संकट की घड़ी में अस्पताल ही है जो पीड़ितों के लिए दिन-रात खुले हुए हैं. इनमें डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मी भगवान के रूप में कोरोना संक्रमित लोगों की जान बचाने में जी जान से लगे हुए हैं. इन्हीं में से एक फार्मासिस्ट है, जो कोरोना संक्रमित की जांच प्रक्रिया से लेकर अन्य कई भूमिकाओं में लीड रोल अदा कर रहे हैं. फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के एग्जीक्यूटिव मेंबर कुमार अजय ने बताया कि देश में करीब साढे आठ लाख मेडिकल शॉप मौजूद हैं.

पटना
कुमार अजय, सदस्य, फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया

'बिहार में प्रत्येक वर्ष करीब 6 हजार फार्मासिस्ट की जरूरत'
अजय ने बताया कि कोई भी मेडिकल शॉप बिना फार्मासिस्ट के नहीं खुल सकता. बिहार में भी करीब 70 हजार मेडिकल शॉप है. जहां, फार्मासिस्ट की जरूरत पड़ती है. लेकिन बिहार में फार्मासिस्ट की जबरदस्त कमी है. इसकी मुख्य वजह है कि बिहार में अब तक महज 13 फार्मेसी इंस्टीट्यूट हैं. हालांकि, अब 112 नए फार्मेसी इंस्टीट्यूट खुल रहे हैं. वहीं, यूपी में 700 से ज्यादा फार्मेसी इंस्टीट्यूट हैं. फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में करीब 13 लाख फार्मासिस्ट हैं जबकि बिहार में इनकी संख्या करीब 26 हजार के आसपास है. हर साल बिहार में ही करीब 6 हजार फार्मासिस्ट की जरूरत पड़ती है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'फार्मासिस्ट की जरूरत'
कुमार अजय ने आगे कहा कि कोरोना जैसी भयानक महामारी के वक्त केंद्र सरकार ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया से सभी फार्मासिस्ट की कांटेक्ट डिटेल्स मांगी है. ताकि जरूरत पड़ने पर इन्हें उपयोग में लाया जा सके. उन्होंने कहा कि सरकारी, निजी अस्पताल, मेडिकल शॉप, क्लीनिक और मेडिसिन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट सभी जगह फार्मासिस्ट की जरूरत है. कुमार अजय ने बताया कि कोरोना महामारी में जिस तरह से भारत समेत पूरे विश्व में फार्मासिस्ट की जरूरत महसूस की गई है. उससे आने वाले समय में अंदेशा है कि फार्मेसी संस्थानों की संख्या और इस क्षेत्र में रोजगार बहुत तेजी से बढ़ेगा.

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