पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री तार किशोर प्रसाद ने वित्तिय वर्ष 2021-22 का बजट पेश किया है. इस बार का बजट 2 लाख 18 हजार 303 करोड़ का है. इसमें शिक्षा पर सर्वाधिक खर्चा किया गया है. हालांकि बजट को लेकर प्रदेश की जनता ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है. लोगों ने इस बजट को सराहनीय बताया है.
स्थानीय युवक वरुण ने बताया कि वो इस बजट से काफी खुश हैं क्योंकि सरकार ने चुनाव के समय 19 लाख रोजगार देने का वादा किया था, मगर बजट में 20 लाख से अधिक रोजगार सृजन की बात कही गई है. साथ ही उसने कहा कि बजट में लगभग सभी वर्गों के हित का ध्यान रखा गया है. इस बजट से युवा काफी उत्साहित हैं क्योंकि सभी जिले में टूल्स एंड ट्रेनिंग सेंटर खोलने की बात कही गई है. इसके अलावा 5 जिलों में फार्मेसी कॉलेज भी खोलने की बात कही गई है.
'सभी तबके का रखा गया है ध्यान'
पटना विश्वविद्यालय की छात्रा हंसिका ने बताया कि बजट सराहनीय है क्योंकि बजट में 20 लाख युवाओं के रोजगार की भी बात कही गई है. इसके साथ ही महिला उद्यमियों के लिए 5 लाख रुपये तक का ब्याज रहित ऋण का भी प्रावधान किया गया है. बजट में सभी तबके का ध्यान रखा गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में स्ट्रीट लाइट लगाई जाने की बात कही गई है. वहीं, मेडिकल क्षेत्र में भी बजट बढ़ाया गया है, यह सराहनीय है.
'अर्बनाइजेश और इंडस्ट्रियलाईजेशन की जरूरत'
इस बजट को लेकर अर्थशास्त्री प्रो. बख्शी अमित कुमार सिंह ने कहा कि आज बिहार इंफ्रास्ट्रक्चर हो या एजुकेशन या फिर सोशल सेक्टर, इन सबसे आगे निकल चुका है. लेकिन यहां अर्बनाइजेश और इंडस्ट्रियलाईजेशन की जरूरत है. जब तक यहां के उद्यमी आगे आकर इंडस्ट्री नहीं लगाएंगे तबतक इंडस्ट्रियलाईजेशन नहीं होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि इस बार का जो बजट है, उससे लोकल एंटरप्रेन्योर्स इमर्ज करेंगे और अधिक से अधिक जॉब अपॉर्चुनिटी पैदा होगी. प्रदेश में बेरोजगारी से निपटने के लिए सरकार का यह बहुत ही सराहनीय बजट है. लेकिन सरकार को उद्योग धंधे पर कुछ सोचना चाहिए.
'बजट है सराहनीय'
हालांकि बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बिहार राज्य महिला उद्योग संघ की अध्यक्ष उषा झा ने बताया कि बजट सराहनीय है. इसमें महिला उद्यमियों के लिए 5 लाख तक का लोन ब्याज रहित किया गया है, जो कि काफी प्रशंसनीय है. लेकिन हम बजट से उम्मीद लगाए हुए थे कि महंगाई पर चर्चा की जाएगी मगर यह दिखी नहीं.
'गरीब और मध्यमवर्गीट परिवार की बढ़ी है परेशानी'
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमत की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-छोटे महिला उद्यमी को कच्चा सामान दूसरे प्रदेशों से मंगाना काफी कॉस्टली पड़ जाता है. गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की परेशानी भी बढ़ जाती है. इसलिए सरकार एक नीति तय करनी चाहिए.