पटना: कोरोना संकटकाल में कई क्षेत्रों में कामकाज लंबे समय तक ठप रहा और लॉक डाउन में मिली छूट के बावजूद अभी भी संकट से कई क्षेत्र जूझ रहे हैं. कोरोना संकट काल में देश में बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी( सीएमआईआई ) की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 27 प्रतिशत से अधिक हो गई है जो 2016 के बाद सबसे अधिक बेरोजगारी दर है. देश में 24.95 प्रतिशत मजदूरों के पास इस समय कोई काम नहीं है. इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में 22.89 फीसदी मजदूर शामिल हैं. इससे पहले के रिपोर्ट में बेरोजगारी दर बढ़कर 23.56 प्रतिशत दिखाया गया था.
बेरोगारी दर में हुआ इजाफा
अप्रैल महीने में ही बेरोगारी दर में 14.8 फीसदी का इजाफा हुआ है. मार्च में बेरोजगारी दर 8.74 प्रतिशत थी. इसमें शहरी भारत में 9.35 प्रतिशत और ग्रामीण भारत में 8.45 प्रतिशत थी. बिहार जैसे राज्यों में जहां बहुत बड़े पैमाने पर उद्योग धंधे नहीं हैं और निजी क्षेत्रों में बहुत ज्यादा रोजगार नहीं है. लेकिन एक बड़ा हिस्सा कृषि से जुड़ा हुआ है और असंगठित क्षेत्र में करोड़ों लोग काम कर रहे हैं. ऐसे में जब बड़ी संख्या में प्रवासी बिहार लौट रहे हैं तो, विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार में रोजगार तो नहीं जाएगा. लेकिन स्किल वाले लोगों के आने के कारण पहले से जो लोग काम कर रहे हैं उनके लिए मुश्किलें बढ़ेगी.
प्रवासियों के लौटने से बढ़ी चुनौती
बिहार में लाखों की संख्या में प्रवासी बिहार लौट रहे हैं. बिहार सरकार ने ऐप के माध्यम से ऐसे प्रवासियों की मदद करने की कोशिश भी की है. 20 लाख से अधिक प्रवासियों के खाते में 1 हजार रुपये भेजे गए हैं. आपदा प्रबंधन विभाग के ऐप पर लगभग 30 लाख लोगों ने मदद के लिए आवेदन दिया है. इसमें से बड़ी संख्या में लोग बिहार लौट रहे हैं. लौटने के लिए स्पेशल श्रमिक ट्रेन चलाया जा रहा है. अब तक जितने ट्रेन तय किए गए हैं, उसके हिसाब से 20 लाख से अधिक लोगों का आना तय है. बिहार में बड़े उद्योग धंधे नहीं होने के कारण निजी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बहुत सीमित हैं.
उद्योग में बिहार में व्यापक संभावना
विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार में बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है. लेकिन लॉक डाउन में कृषि से जुड़े हुए लोग जिनकी जीविका चलती है, उनकी मुश्किलें बढ़ी हुई है. छोटे व्यापार करने वाले लोगों की भी मुश्किलें बढ़ी हुई है. असंगठित क्षेत्र के कामगारों का भी कामकाज ठप है और इन सबके शुरू होने के बाद भी पटरी पर आने में काफी समय लगेगा. डीएम दिवाकर का यह भी कहना है कि बिहार में रोजगार पहले से नहीं थे. इसलिए जाने का बहुत अधिक सवाल नहीं है. यहां तो अवसर है, लेकिन सरकार इस मौके को किस तरह से लेती है, यह देखने वाली बात है. कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग में बिहार में व्यापक संभावना है.
क्या बोले जनसंपर्क मंत्री
बिहार सरकार के सूचना और जनसंपर्क मंत्री का कहना है कि बिहार में तो रोजगार हम लोग दे रहे हैं. रोजगार जाने का कहां सवाल है. रोजगार सृजन के मामले में बिहार ने मानक स्थापित किया है. जहां तक प्राइवेट सेक्टर की बात है, तो उसके लिए भी श्रम कानून है उनका सामाजिक दायित्व भी है. वहीं कृषि मंत्री का भी कहना है कि हम लोग रोजगार के नए-नए क्षेत्र विकसित कर रहे हैं. बिहार में कृषि के क्षेत्र में रोजगार जाने का सवाल नहीं है. क्योंकि हम लोग अधिक संख्या में रोजगार देने वाले हैं.
बिहार के लिए बड़ा अवसर
बिहार में कोरोना संकट में कितने लोगों पर असर डाला है, किन-किन क्षेत्रों में असर डाला है, यह तो जब आने वाले समय में विभिन्न क्षेत्रों से रिपोर्ट आएगी तो पता चलेगा. लेकिन फिलहाल विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि बिहार के लिए यह एक बड़ा अवसर का समय है. जो प्रवासी स्किल ले कर आ रहे हैं. उनके माध्यम से बिहार अपने आप को बदल सकता है. बिहार में कई क्षेत्रों में रोजगार जाने का खतरा जरूर है.
- चिकित्सा के क्षेत्र में जो प्राइवेट हॉस्पिटल हैं, पिछले कई दिनों से बंद हैं. सरकार के आदेश के बाद भी इलाज शुरू नहीं हुआ है.
- 25 लाख होलसेल से जुड़े हुए लोग हैं, जिनका कामकाज 2 महीना तक लगभग ठप रहा है. इसमें से कई की स्थिति बहुत ही खराब है.
- कृषि से जुड़े हुए दूसरे ढाई करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं. आम और लीची व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों को बहुत नुकसान हुआ है. साल भर की कमाई सीजन में करते हैं. सब्जियों की बिक्री पर भी काफी असर पड़ा है.
- छोटे दुकानदारों की मुश्किलें बढ़ी हुई है. मकान मकान मालिक किराया देना उनके लिए मुश्किल हो रहा है. ऐसे में जो उनके यहां काम करते हैं, उन लोग पर संकट आ सकता है.
- प्राइवेट स्कूल संचालकों की मुश्किलें बढ़ी हुई है. लगातार स्कूल बंद रहने के कारण शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन देना मुश्किल हो रहा है.
- बस, ऑटो रिक्शा और अन्य निजी गाड़ी मालिक और चालकों की मुश्किलें भी बढ़ी हुई है.
- होटल व्यवसाय से जुड़े हुए लोग, टेंट वाले, शादी समारोह से सालों भर की कमाई करने वाले हजारों लोग फिलहाल प्रभावित हैं.
- चुनावी साल होने के बावजूद लॉक डाउन से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की मुश्किलें भी बढ़ी हुई है. ऐसे में सोशल मीडिया ने बहुत हद तक लोगों को राहत भी पहुंचाया है.
बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन
बिहार सरकार ने जल जीवन हरियाली, सात निश्चय योजना और मनरेगा के माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन भी किया है. जो फिलहाल चार करोड़ मानव दिवस से अधिक है. बिहार सरकार ने लॉक डाउन टू में मिली छूट के बाद से ही बड़ी योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है. सड़क, पुल, बाढ़ से बचाव के कार्य शुरू होने से राहत भी मिली है. बड़ी संख्या में उद्योग भी शुरू किए गए हैं. लेकिन बिहार में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की बहाली होनी थी वह फिलहाल रुकी हुई है. कई अन्य क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर बहाली की जानी थी. लेकिन कोरोना संकट काल में सब रुका हुआ है. आने वाले समय में उद्योग विभाग की ओर से कई जिलों में रोजगार उपलब्ध कराने की तैयारी हो रही है. उद्योग विभाग ने ब्लॉक क्वॉरेंटाइन केंद्रों में आने वाले सभी प्रवासियों का स्किल मैपिंग किया है.
इन जिलों में की गई स्किल मैपिंग
- मधुबनी - 38695
- गया - 34,995
- मुजफ्फरपुर - 34215
- पूर्वी चंपारण - 32821
- पश्चिमी चंपारण - 30117
- नालंदा - 29019
- सारण - 26415
- दरभंगा - 23875
- वैशाली - 24000
- सीतामढ़ी - 23220
ऐप के माध्यम से पंजीकरण
श्रम संसाधन विभाग प्रवासियों को ऐप के माध्यम से रोजगार देने के लिए पंजीकरण कर रहा है. प्रवासियों का उनके स्किल के अनुसार पंजीकरण किया जा रहा है और यह क्वॉरंटीन केंद्रों पर ही हो रहा है. पंजीकरण श्रम संसाधन विभाग नेशनल करियर सर्विस (एनपीएस पोर्टल) पर किया जा रहा है. पिछले कुछ सालों की बात करें तो श्रम संसाधन विभाग ने रजिस्ट्रेशन में से जो रोजगार उपलब्ध कराया है वैसे बेरोजगारों की संख्या कुछ इस प्रकार है.
- 2015- 16- 11108
- 2016-17 - 54335
- 2017- 18 - 41000
- 2018-19 - 24493
- 2019-20 जनवरी तक - 12742
बड़ी संख्या में पलायन
बिहार से ऐसे तो बड़ी संख्या में पलायन वर्षों से हो रहा है. देश में ही नहीं, देश से बाहर भी बड़ी संख्या में लोग काम के लिए जाते रहे हैं. मॉरीशस और फिजी तक बिहारी पहुंचे हुए हैं. आज दुनिया के बड़े देशों से लेकर छोटे देश तक में बिहार के लोग बड़ी संख्या में अच्छे रोजगार के लिए जाते हैं. 2001 की जनगणना के अनुसार देश में सबसे अधिक पलायन 3 राज्यों से ही होता रहा है. उत्तर प्रदेश से 96 लाख, बिहार से 55 लाख और राजस्थान से 27 लाख लोगों ने पलायन किया था. लेकिन कोरोना संकट काल में जितनी संख्या में प्रवासी लौट रहे हैं, उससे साफ है कि बिहार से एक करोड़ से भी अधिक लोगों का पलायन होता है. ऐसे में तय है कि जब पूरे देश में बेरोजगारी दर बढ़ेगी, तो उसका असर कमोबेश फिलहाल बिहार पर भी पड़ेगा.