पटना: साल का आखिरी सूर्य ग्रहण खत्म हो चुका है. जिसके बाद स्नान के लिए प्रदेश के कई घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. वहीं, ग्रहण का सूतक काल खत्म होने के बाद मंदिरों में शुद्धिकरण का दौर भी शुरू हो चुका है.
इसी क्रम में राजधानी के घाटों पर ग्रहणकाल बीतने के बाद सैकड़ों लोग गंगा में स्नान करने के लिए उमड़ पड़े. इस दौरान घाट पर आस्था के सरोबर में डुबी हुई महिलाओं ने पारंपरिक गीत गाकर गंगा में डुबकी लगाई. मौके पर स्नान करने आई महिलाओं ने बताया कि ग्रहणकाल बीत जाने के बाद नदी या सरोवर में स्नान करने से पुण्य मिलता है, स्नान के बाद दान करना महत्वपूर्ण होता है.
ठंड पर भारी रही आस्था
राजधानी में वर्तमान समय कड़ाके की ठंड पड़ रही है. लेकिन ग्रहण बीत जाने के बाद भी श्रद्धालुओं की आस्था ठंड पर भारी रही. महिलाएं घाटों पर गंगा मैया के पारंपरिक गीत गाकर आस्था की डुबकी लगाती दिखीं. वहीं, घाट पर मौजूद पंडित पूरी विधि विधान से श्रद्धालुओं को पूजा-पाठ कराते दिखे.
ग्रहण के बाद स्नान का विशेष महत्व
तीर्थ पुरोहितों की मानें तो सूर्य ग्रहण के बाद स्नान-दान का विशेष महत्व रहता है. ग्रहण के 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है. जिसके बाद मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. इस दौरान लोगों को अन्न-जल का ग्रहण नहीं करना चाहिए और ना ही किसी देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श करना चाहिए. हालांकि, इन सब विधानों से बच्चे वृद्ध और रोगी मुक्त हैं.
क्या है सुर्य ग्रहण?
जब पृथ्वी पर चंद्रमा की छाया पड़ती है, तब सूर्य ग्रहण होता है. इस दौरान सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक लाइन में आ जाते हैं. जिन क्षेत्रों में चंद्रमा की छाया पड़ती है, वहां सूर्य दिखाई नहीं देता है. सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से देखने से बचना चाहिए, क्योंकि इस समय में सूर्य से जो किरणें निकलती हैं, वे हमारी आंखों के लिए हानिकारक होती हैं.