पटना: रविवार को पटना में आयोजित पीडियाट्रिक हिप कॉन्क्लेव 2023 (Pediatric Hip Conference 2023) में देश भर से 250 से अधिक पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक्स के एक्सपर्ट चिकित्सक शामिल हुए. इस कार्यक्रम में ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन बिहार के प्रेसिडेंट डॉ. भरत सिंह, सचिव डॉ. महेश प्रसाद और प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक सर्जन अमूल्य सिंह ने भी शिरकत की. कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक्स के एक्सपर्ट डॉ. सौरभ चौधरी ने कहा कि पूर्वी भारत में पहली बार इस प्रकार का आयोजन किया गया है, जिसमें बच्चों के कुल्हों से संबंधित समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की गई है.
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बच्चों की हड्डी से जुड़ी समस्या: पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक एक्सपर्ट सौरभ चौधरी ने कहा कि शुरुआत में यदि बच्चों की हड्डी से जुड़ी समस्याओं पर ध्यान दिया जाए तो बच्चे भविष्य में विकलांगता के शिकार होने से बच सकते हैं. उन्होंने कहा कि जिन बच्चों का जन्म के समय सर नीचे की तरफ ना होकर ऊपर की तरफ होता है, उनमें यह समस्या अधिक देखने को मिलती है. इसके अलावा जो बच्चे जन्म के समय रोते नहीं हैं, उनमें यह समस्या देखने को मिलती है.
"यदि समय पर बच्चे पर ध्यान दिया जाए तो बच्चे जीवन में विकलांग होने से बच सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि जब बच्चे नवजात स्थिति में होते हैं, उस समय दादी-नानी और मां जब भी बच्चों की मालिश करती है तो बच्चे के शरीर में हड्डी में जहां दर्द होती है उसको अगर गौर करें तो यह समस्या नजर आ सकती है. यदि बच्चे किसी विशेष स्थान को छूने पर रो रहे हैं तो उन्हें ऑर्थोपेडिक चिकित्सक से दिखाएं और तमाम प्रक्रिया है उपलब्ध है जिसके माध्यम से बच्चे को आजीवन विकलांग होने से बचाया जा सकता है"- डॉ. सौरभ चौधरी, पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक एक्सपर्ट
समय रहते ध्यान दें तो बच्चों में दूर हो सकती है विकलांगता: वहीं, देश के प्रख्यात ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ निशिकांत ने बताया कि ऑर्थोपेडिक चिकित्सा में एक सब स्पेशलिटी है पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक्स. यह एक बहुत ही गंभीर विषय है और इसके बारे में प्रदेश के ऑर्थोपेडिक चिकित्सकों में भी जानकारी का अभाव है. प्रदेश के मरीजों में भी इस जानकारी का अभाव है. इसी जानकारी के प्रति जागरुकता को लेकर पीडियाट्रिक हिप कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया है.
"बच्चों में समस्याएं दिखे तो समझ जाएं कि यह बच्चों के हड्डी से जुड़ा हुआ समस्या है, जो आगे चलकर बच्चे के भविष्य में उन्हें विकलांगता के शिकार होने से बचा सकता है. कार्यक्रम में पीजी चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है और उन्हें आर्टिफिशियल बोन पर एक्सपेरिमेंट कर नई चीजों को सीखने का पूरा मौका दिया जा रहा है कि किस प्रकार बच्चों को शुरुआती समय में जो समस्याएं आती है, उसे दूर कर उन्हें आजीवन विकलांग होने से बचाया जा सकता है"- डॉ. निशिकांत, प्रख्यात ऑर्थोपेडिक सर्जन