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महादलित बस्ती में आने-जाने का नहीं कोई रास्ता, आंदोलन की तैयारी

प्रदेश की राजधानी के मसौढ़ी प्रखंड (Masaudhi block of state capital) में एक महादलित बस्ती है. रेवा पंचायत के तहत आने वाली छोटकी मसौढ़ी की महादलित बस्ती में रहने वालों के लिए वहां से बाहर निकलने के लिए आज तक कोई रास्ता ही नहीं है. अब ये ग्रामीण रास्ते की मांग को लेकर आंदोलन की तैयारी (preparing for the movement) में हैं.

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Published : Jul 27, 2022, 3:09 PM IST

महादलित बस्ती से उठी रास्ते की मांग
महादलित बस्ती से उठी रास्ते की मांग

पटना : जिले के मसौढ़ी प्रखंड (Masaudhi block of state capital) में एक महादलित बस्ती है. इस बस्ती में रहने वालों के लिए गांव से बाहर निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं है. यहां के ग्रामीण कई वर्षों से रास्ता की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुन नहीं रहा है. इससे ग्रामीणों का रोष बढ़ता जा रहा है और अब आंदोलन की तैयारी (preparing for the movement) में हैं.


खेतों की मेड़ से आते-जाते हैं लोग : आजादी के 75 साल बीत जाने वाले हैं लेकिन अब भी कई ऐसे गांव हैं जहां आने-जाने का कोई रास्ता नहीं है. इसका नतीजा है कि किसी तरह खेत की मेड़ (आरी) पर चलकर गांव से बाहर निकल रहे हैं. ऐसा ही एक मामला मसौढ़ी प्रखंड के रेवां पंचायत के छोटकी मसौढ़ी महादलित बस्ती का है. यहां की आबादी तकरीबन 300 की है लेकिन गांव से बाहर निकलने के लिए कोई रास्ता आज तक नहीं बना. लोग लगातार इसकी मांग कर रहे हैं, मुख्यालय तक भी कई बार लोगों ने आवेदन दिया है पर परिणाम शून्य है.

प्रदर्शन की तैयारी :जब भी चुनाव आता है और जो लोग भी वोट मांगने आते हैं उनसे रास्ता की मांग की जाती है. वे लोगों को आश्वासन भी देते हैं, लेकिन आज तक रास्ता नहीं बन पाया है. ऐसे में अब लोग अब विरोध प्रदर्शन पर उतारू हो रहे हैं और प्रशासनिक मुख्यालय पर प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें :- बांकाः आजादी के बाद से अब तक नहीं बनी यहां सड़क, दर्जनों गांवों का है रास्ता


मुख्य सड़क से मात्र 120 फीट है दूर: ग्रामीणों की मानें तो 40 साल हो गए हैं. इसके बाद भी अब तक गांव में रास्ता नहीं बना है. इधर-उधर खेत की आरी से लोग मुख्य रास्ते पर जाते हैं. गांव के मुखिया कहते हैं - इसको लेकर हमने सरकार से मांग की है, गांव से मुख्य सड़क तक की दूरी 120 फीट है जिसे बनाने की मांग की जा रही है. पंचायत के नवनिर्वाचित मुखिया ने लोगों को भरोसा दिया है और सरकार से रास्ता बनाने की मांग की है. रास्ता बनाने में जिस किसी भी जमीन आ रही है ,उसे मुआवजा देकर रास्ता बनवाने की मांग की जा रही है।

ये भी पढ़ें :- जर्जर और जलजमाव से सड़क पर चलना हुआ दूभर, शिकायत के बावजूद प्रशासन उदासीन


पटना : जिले के मसौढ़ी प्रखंड (Masaudhi block of state capital) में एक महादलित बस्ती है. इस बस्ती में रहने वालों के लिए गांव से बाहर निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं है. यहां के ग्रामीण कई वर्षों से रास्ता की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुन नहीं रहा है. इससे ग्रामीणों का रोष बढ़ता जा रहा है और अब आंदोलन की तैयारी (preparing for the movement) में हैं.


खेतों की मेड़ से आते-जाते हैं लोग : आजादी के 75 साल बीत जाने वाले हैं लेकिन अब भी कई ऐसे गांव हैं जहां आने-जाने का कोई रास्ता नहीं है. इसका नतीजा है कि किसी तरह खेत की मेड़ (आरी) पर चलकर गांव से बाहर निकल रहे हैं. ऐसा ही एक मामला मसौढ़ी प्रखंड के रेवां पंचायत के छोटकी मसौढ़ी महादलित बस्ती का है. यहां की आबादी तकरीबन 300 की है लेकिन गांव से बाहर निकलने के लिए कोई रास्ता आज तक नहीं बना. लोग लगातार इसकी मांग कर रहे हैं, मुख्यालय तक भी कई बार लोगों ने आवेदन दिया है पर परिणाम शून्य है.

प्रदर्शन की तैयारी :जब भी चुनाव आता है और जो लोग भी वोट मांगने आते हैं उनसे रास्ता की मांग की जाती है. वे लोगों को आश्वासन भी देते हैं, लेकिन आज तक रास्ता नहीं बन पाया है. ऐसे में अब लोग अब विरोध प्रदर्शन पर उतारू हो रहे हैं और प्रशासनिक मुख्यालय पर प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं.

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मुख्य सड़क से मात्र 120 फीट है दूर: ग्रामीणों की मानें तो 40 साल हो गए हैं. इसके बाद भी अब तक गांव में रास्ता नहीं बना है. इधर-उधर खेत की आरी से लोग मुख्य रास्ते पर जाते हैं. गांव के मुखिया कहते हैं - इसको लेकर हमने सरकार से मांग की है, गांव से मुख्य सड़क तक की दूरी 120 फीट है जिसे बनाने की मांग की जा रही है. पंचायत के नवनिर्वाचित मुखिया ने लोगों को भरोसा दिया है और सरकार से रास्ता बनाने की मांग की है. रास्ता बनाने में जिस किसी भी जमीन आ रही है ,उसे मुआवजा देकर रास्ता बनवाने की मांग की जा रही है।

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