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बाढ़ प्रभावित जिलों में व्यवस्था को लेकर Patna High Court ने की सुनवाई, रिप्रेजेंटेशन देने की कही बात - चीफ जस्टिस संजय करोल

पटना हाईकोर्ट ( Patna High Court) ने राज्य के बाढ़ प्रभावित जिलों में आपदा प्रबंधन कानून से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इससे संबंधित अधिकारियों के सामने रिप्रेजेंटेशन देने की बात कही.

Patna High Court
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Published : Jun 24, 2021, 2:55 AM IST

पटना: Patna High Court ने राज्य के बाढ़ प्रभावित जिलों में आपदा प्रबंधन कानून के तहत व्यवस्था करने से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सत्यम झा की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें राज्य सरकार के संबंधित अधिकारी के समक्ष रिप्रेजेंटेशन देने को कहा.

यह भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट में 24 मई से 20 जून तक गर्मी छुट्टी

रिप्रेंटेशन के आधार अधिकारियों दिए जाते है निर्देश
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि चार सप्ताह के भीतर उनके द्वारा दायर रिप्रेजेंटेशन पर विचार करके निर्णय लेने के लिए संबंधित अधिकारी को निर्देश जारी किया जाता है, तो वह पर्याप्त होगा. वहीं प्रतिवादियों के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता द्वारा ऐसा अभ्यावेदन आदेश की प्रति के साथ दाखिल किया जाता है, तो संबंधित अधिकारी इस पर शीघ्रता से निर्णय लें और कार्रवाई करेंगे.

मेरिट के आधार पर कोई राय नहीं
कोर्ट ने याचिका को निष्पादित करते हुए याचिकाकर्ता को इस बात की भी छूट दी कि वे कानून के मुताबिक अन्य वैकल्पिक उपायों का अपना सकते हैं. कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में मेरिट के आधार पर कोई राय व्यक्त नहीं किया गया है.

पटना: Patna High Court ने राज्य के बाढ़ प्रभावित जिलों में आपदा प्रबंधन कानून के तहत व्यवस्था करने से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सत्यम झा की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें राज्य सरकार के संबंधित अधिकारी के समक्ष रिप्रेजेंटेशन देने को कहा.

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रिप्रेंटेशन के आधार अधिकारियों दिए जाते है निर्देश
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि चार सप्ताह के भीतर उनके द्वारा दायर रिप्रेजेंटेशन पर विचार करके निर्णय लेने के लिए संबंधित अधिकारी को निर्देश जारी किया जाता है, तो वह पर्याप्त होगा. वहीं प्रतिवादियों के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता द्वारा ऐसा अभ्यावेदन आदेश की प्रति के साथ दाखिल किया जाता है, तो संबंधित अधिकारी इस पर शीघ्रता से निर्णय लें और कार्रवाई करेंगे.

मेरिट के आधार पर कोई राय नहीं
कोर्ट ने याचिका को निष्पादित करते हुए याचिकाकर्ता को इस बात की भी छूट दी कि वे कानून के मुताबिक अन्य वैकल्पिक उपायों का अपना सकते हैं. कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में मेरिट के आधार पर कोई राय व्यक्त नहीं किया गया है.

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