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Patna High Court : बिहार में बेहतर होंगे पुलिस स्टेशन, 'विभाग 15 दिनों में फंड का ब्यौरा DGP को प्रस्तुत कर देगा'

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Published : Apr 13, 2023, 5:49 PM IST

राज्य में पुलिस स्टेशनों की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की. सुनवाई चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने की. पुलिस विभाग स्टेशन भवनों के निर्माण व सुधार के लिए उपलब्ध फंड के सम्बन्ध में पंद्रह दिनों में डीजीपी, बिहार के समक्ष विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत कर देगा. पढ़ें पूरी खबर...

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पटना: पटना हाईकोर्ट ने राज्य में पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई (Hearing on status of police stations in Bihar) की. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ को बताया कि पुलिस विभाग स्टेशन भवनों के निर्माण व सुधार के लिए उपलब्ध फंड के सम्बन्ध में पंद्रह दिनों में डीजीपी, बिहार के समक्ष विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत कर देगा. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को मॉडल पुलिस थाने के निर्माण पर विचार करने के लिए राज्य के विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमिटी गठित करने का निर्देश दिया था.

ये भी पढ़ें: Patna High Court : बिहार में मॉडल पुलिस थाने के निर्माण, सरकार को कमिटी गठित करने का निर्देश

अबतक फंड की उपलब्धता का ब्यौरा कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुआ: हाईकोर्ट ने जानना चाहा कि पुलिस स्टेशनों के निर्माण व सुधार के लिए उपलब्ध फंड के सम्बन्ध में कितने दिनों में जानकारी दी जा सकती है. पुलिस विभाग ने कोर्ट को बताया कि पंद्रह दिनों में इस सम्बन्ध में पूरा ब्यौरा डीजीपी, बिहार के समक्ष प्रस्तुत कर दिया जाएगा. कोर्ट द्वारा सहायता करने के लिए नियुक्त एमिकस क्यूरी सोनी श्रीवास्तव ने बताया कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने फंड की उपलब्धता के सम्बन्ध में ब्यौरा देने का निर्देश दिया था, लेकिन अब तक ये ब्योरा कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुआ.उन्होंने राज्य सरकार को इन रिक्त पदों को शीघ्र भरने को कहा है ताकि पुलिस थाना भवनों का निर्माण कार्य तेजी से हो सके.

471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं हैं: पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करने के वरीय पुलिस अधिकारी का नाम का सुझाव देने को कहा था. राज्य सरकार ने एडीजी कमल किशोर सिंह का नाम कॉर्डिनेटर के रूप में दिया था. एमिकस क्यूरी सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया था कि राज्य में 1263 थाना है. जिनमें 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं हैं. इन्हें किराये के भवन में काम करना पड़ता है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य में पुलिस स्टेशन भवनों का निर्माण और पुनर्निर्माण का कार्य समय सीमा के भीतर पूरा किया जाए.

पहले भी भी बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था: जब तक दूसरे भवन में चल रहे पुलिस स्टेशन के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते,तब तक पुलिस अधिकारी कमल किशोर सिंह कॉर्डिनेटर के रूप में कॉर्डिनेट करेंगे. इससे पहले भी बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था. कोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है. उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है.

कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब: उन्होंने बताया कि लगभग आठ सौ थाने ऐसे है, सरकारी भवनों में चल रहे है,लेकिन उनकी भी स्थिति अच्छी नहीं है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो थाना सरकारी भवन में है,उनमें भी निर्माण और मरम्मती की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब है. पुलिसकर्मियों को काफी कठिन परिस्थितियों में और कई सुविधाओं के अभाव में कार्य करना पड़ता है. इस मामलें पर अगली सुनवाई एक माह बाद होगी.

पटना: पटना हाईकोर्ट ने राज्य में पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई (Hearing on status of police stations in Bihar) की. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ को बताया कि पुलिस विभाग स्टेशन भवनों के निर्माण व सुधार के लिए उपलब्ध फंड के सम्बन्ध में पंद्रह दिनों में डीजीपी, बिहार के समक्ष विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत कर देगा. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को मॉडल पुलिस थाने के निर्माण पर विचार करने के लिए राज्य के विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमिटी गठित करने का निर्देश दिया था.

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अबतक फंड की उपलब्धता का ब्यौरा कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुआ: हाईकोर्ट ने जानना चाहा कि पुलिस स्टेशनों के निर्माण व सुधार के लिए उपलब्ध फंड के सम्बन्ध में कितने दिनों में जानकारी दी जा सकती है. पुलिस विभाग ने कोर्ट को बताया कि पंद्रह दिनों में इस सम्बन्ध में पूरा ब्यौरा डीजीपी, बिहार के समक्ष प्रस्तुत कर दिया जाएगा. कोर्ट द्वारा सहायता करने के लिए नियुक्त एमिकस क्यूरी सोनी श्रीवास्तव ने बताया कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने फंड की उपलब्धता के सम्बन्ध में ब्यौरा देने का निर्देश दिया था, लेकिन अब तक ये ब्योरा कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुआ.उन्होंने राज्य सरकार को इन रिक्त पदों को शीघ्र भरने को कहा है ताकि पुलिस थाना भवनों का निर्माण कार्य तेजी से हो सके.

471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं हैं: पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करने के वरीय पुलिस अधिकारी का नाम का सुझाव देने को कहा था. राज्य सरकार ने एडीजी कमल किशोर सिंह का नाम कॉर्डिनेटर के रूप में दिया था. एमिकस क्यूरी सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया था कि राज्य में 1263 थाना है. जिनमें 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं हैं. इन्हें किराये के भवन में काम करना पड़ता है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य में पुलिस स्टेशन भवनों का निर्माण और पुनर्निर्माण का कार्य समय सीमा के भीतर पूरा किया जाए.

पहले भी भी बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था: जब तक दूसरे भवन में चल रहे पुलिस स्टेशन के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते,तब तक पुलिस अधिकारी कमल किशोर सिंह कॉर्डिनेटर के रूप में कॉर्डिनेट करेंगे. इससे पहले भी बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था. कोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है. उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है.

कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब: उन्होंने बताया कि लगभग आठ सौ थाने ऐसे है, सरकारी भवनों में चल रहे है,लेकिन उनकी भी स्थिति अच्छी नहीं है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो थाना सरकारी भवन में है,उनमें भी निर्माण और मरम्मती की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब है. पुलिसकर्मियों को काफी कठिन परिस्थितियों में और कई सुविधाओं के अभाव में कार्य करना पड़ता है. इस मामलें पर अगली सुनवाई एक माह बाद होगी.

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