पटनाः बिहार में वकीलों के लिए भवन निर्माण (building for lawyers in bihar) मामले में हाई कोर्ट ने सुनवाई की. इस मामले में एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. जिसमें राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने पर सुनवाई की गई. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को सरकार की ओर से जानकारी दी. कहा कि तेरह स्थानों के लिए वकीलों के लिए भवन निर्माण और बुनियादी सुविधाओं के लिए टेंडर जारी कर दिया गया.
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भूमि अधिग्रहण की कार्रवाईः पिछली सुनवाई में कोर्ट ने भूमि उपलब्धता से सम्बंधित मामलें पर राज्य के विकास आयुक्त को अधिकारियों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने राज्य सरकार को ये भी बताने को कहा था कि राज्य के 38 जिलों में से कितने जिलों में वकीलों के भवन निर्माण के लिए जिलाधिकारियों ने भूमि चिह्नित कर भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी कर ली है. वरीय अधिवक्ता श्री रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया था कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण विभाग करें तो काम तेजी से हो सकेगा. ठेकेदारी के काम में बिलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगा.
वकीलों के लिए सुविधाओं की कमीः याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है. अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते हैं, लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध है. वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल, शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं होती हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है, वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है. जहां भूमि उपलब्ध है, वहां काम प्रारम्भ नहीं तो पाया हैं. इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी.