पटना : कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के अवसर पर जिले के पटना के गंगा घाट के कई जगहों पर पर देव दीपावली (Dev Deepawali) का पर्व उमंग और उत्साह के साथ मनाया गया. पटना के गंगा घाटों पर देव दीपावली के अवसर पर 5100 दीप जलाए गए. इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली. इस मौके पर पटना के दीघा घाट हजारों दीप जलाए गए. इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली.
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स्नान कर दीपदान करने का काफी महत्व है : दीवाली के 15 दिन बाद आने वाले इस पर्व में स्नान कर दीपदान करने का काफी महत्व है. मान्यता है कि इस दिन देवी देवता पृथ्वी पर आते हैं. इस पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा है कि भगवान शिव ने इस दिन देवी देवताओं को राक्षस त्रिपुरासुर के प्रकोप से मुक्त कराया था. पटना के दीघा घाट गर देव दीपावली के अवसर पर 5100 दीप जलाए गए. इस अवसर पर यहां हजारों की संख्या में दीप जलाकर लोगों ने पूरे इलाके को भक्तिमय कर दिया.जलते दीयों से जगमग हुआ गंगा घाट.
कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं भगवान विष्णु : ऐसी मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में लीन होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं. योग निद्रा के बाद भगवान विष्णु के जागरण से प्रसन्न होकर समस्त देवी-देवताओं ने पूर्णिमा को लक्ष्मी नारायण की महाआरती कर दीप प्रज्ज्वलित किया था. यह दिन देवताओं की दीपावली कही जाती है. यह भी कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस का वध किया था. इस खुशी में देवताओं ने काशी के घाट पर गंगा में दीपदान कर दीपावली मनाई थी. इस दिन लोग विभिन्न तीर्थ स्थलों और मंदिरों में देव दीपावली मनाते हैं. साथ ही दीपदान कर भगवान की आस्था में लीन हो जाते हैं.
"आज भगवान भी धरती पर उतर कर दीपावली मनाए थे. मान्यता यह है कि आज के दिन दीया जलाने से सुख समृद्धि आती है. निश्चित तौर पर लोगों को आज के दिन नदी किनारे घाटों पर दिए जलाने चाहिए. " - महेश मिश्रा, पंडित, न्यू दीघा घाट
"देव दीपावली के दिन नदी के किनारे घाटों पर दीया अवश्य जलाना चाहिए.यही मिशन को आगे बढ़ाने के लिए हम लोगों ने इसकी शुरुआत गंगा के दीघा घाट से की है. अगले साल ज्यादा से ज्यादा गंगा घाटों पर हम लोग दीया जलाने का काम करेंगे. " -अभिषेक कुमार, श्रद्धालु
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