पटना: बिहार में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच एम्स के कैंसर वार्ड को भी कोविड मरीजों के लिए खाली करा दिया गया है. इसके बाद यहां भर्ती 12 मरीजों को एम्स प्रशासन ने दूसरे अस्पताल में जाने का निर्देश दिया है. इस कारण इन मरीजों के सामने कई तरह की परेशानियां उत्पन्न हो गई हैं.
एम्स से डिस्चार्ज कर दूसरे अस्पतालों में जाने वालों के नाम:
नाम | उम्र | निवासी |
दीपा कुमारी | 11 | समस्तीपुर |
मो आदिल परवेज | 11 | कटिहार |
अनी कुमारी | 4 | देवघर |
रिशु कुमा | 5 | भागलपुर |
प्रिंस कुमार | 13 | हाजीपुर |
रोहित कुमार | 16 | मनेर |
नीतीश कुमार | 17 | सासाराम |
इंद्रजीत कुमार | 7 | बेतिया |
रवि शंकर कुमार | 23 | मधेपुरा |
अमरजित कुमार | 16 | नवादा |
विजय कुमार प्रसाद | 55 | सिवान |
क्या कहते हैं मरीज
मरीजों के परिजनों का कहना है कि वे लोग एम्स में सस्ता और सरकारी सुविधा पर इलाज कराने आये थे, लेकिन अब कोरोना संकट के बीच यहां से दूसरे अस्पताल में ले जाना पड़ रहा है. इससे बहुत परेशानी हो रही है. उनका कहना है कि कैंसर के इलाज में लाखों रुपये खर्च करने के बाद अब उनके पास इलाज के लिए एक रुपया तक नहीं बचा है. ऐसे में निजी हॉस्पिटल में इलाज करा पाना नामुमकिन है. अब सरकार व एम्स प्रशासन ही कुछ मदद कर सकती है.
दूसरे रोगों के मरीजों के साथ हो रहा अन्याय
एम्स के पास आईजीआईएमएस और महावीर कैंसर संस्थान का ही विकल्प है.. लेकिन यहां कोरोना को लेकर पहले से ही अव्यस्था का माहौल है. इस संबंध में एम्स निदेशक डॉ. पीके सिंह ने कहा कि सरकार एम्स को कोविड अस्पताल के रूप में बना रही है. इस कारण कैंसर और दूसरे गंभीर रोगों के मरीजों के इलाज में न्याय नहीं हो पा रहा है.
एम्स के अधिकांश चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ कोरोना मरीजों की देख-रेख में लगे हैं. निदेशक ने कहा कि हम अपनी ओर से इन कैंसर के मरिजों के वैकल्पिक इलाज और दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने का प्रयास कर रहे हैं .