पटनाः बिहार की राजधानी पटना में हाईकोर्ट ने भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के इंतजार में (Pakistani citizen demands Indian citizenship ) पिछले तीन साल से जहानाबाद के जेल में बंद एक पाकिस्तानी नागरिक को रिहा करने के मामले का संज्ञान लिया. इस मामले में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से जवाब तलब किया है. साथ ही कोर्ट ने बिहार सरकार से यह पूछा है कि डिटेंशन सेंटर जेल के अंदर क्यों है. इस मामले की अगली सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी.
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जन्म भारत में हुआ था, बस गया पाकिस्तान मेंः जस्टिस एएम बदर और जस्टिस संदीप कुमार की खंडपीठ ने अफसाना नगर की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाब तलब किया है. याचिकाकर्ता के पति सैयद नक्वी आलम उर्फ नकवी इमाम का जन्म भारत में ही सन 1973 में हुआ था और 11 साल की उम्र में वह अपनी नानी के साथ 1984 में पाकिस्तान चला गया. वहीं पढ़ाई लिखाई करते हुए पाकिस्तानी नागरिकता हासिल कर बस गया था.
पिता की तबीयत खराब होने पर लौटा भारतः अपने पिता की तबीयत खराब होने की खबर मिलने पर आलम उन्हें देखने के लिए एक साल के पासपोर्ट/वीजा पर पाकिस्तान से भारत आया. बिहार के अरवल में अपने पिता की देखरेख करने लगा. पासपोर्ट/वीजा की मियाद फरवरी 2012 में खत्म होने के बाद ओवर स्टे प्रभावी कानून को तोड़ने के जुर्म में बिहार पुलिस ने आलम पर क्रिमिनल मुकदमा दर्ज किया. इसमें आलम को 3 साल कैद की सजा हुई. सजा के खिलाफ अपील दायर कर जमानत पर रिहा होने पर आलम ने 2016 में याचिकाकर्ता के साथ मुस्लिम रीति रिवाज से शादी भी कर बैठा.
अब पाकिस्तान ने नागरिक मानने से किया इंकारः याचिकाकर्ता के वकील नारायण ने कोर्ट को बताया कि आलम अपने पिता की खराब स्वास्थ्य के आधार पर भारत में ही रहने हेतु भारत की नागरिकता के लिए पासपोर्ट की मियाद खत्म होने से पहले ही सक्षम पदाधिकारी के सामने आवेदन दे चुका था. वहीं दूसरी ओर पाकिस्तानी उच्चायोग ने आलम को पाकिस्तानी नागरिक मानने से इनकार भी कर दिया. ऐसी स्थिति में केंद्र और राज्य सरकार आलम को डिटेंशन सेंटर में, जो जहानाबाद जेल में स्थित है, फरवरी 2020 से बंद कर रखा है.