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Oxygen Man of Patna: पत्नी को हुई सांस की बीमारी तो पति बना 'ऑक्सीजन मैन', पर्यावरण बचाने की मुहिम में 12 सालों से लगे हैं बंगाली बाबा

राजधानी पटना से सटे पुनपुन में ऑक्सीजन मैन (Oxygen Man of Punpun) की कहानी काफी दिलचस्प है. पत्नी को सांस में दिक्कत होने पर ये शख्स ऑक्सीजन मैन बन गया. वह अपने इलाके में पिछले 12 सालों से लगातार पौधारोपण का कार्य कर रहा है. साथ ही लोगों से भी पर्यावरण बचाने की मुहिम में साथ आने की अपील करता है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

बिहार का ऑक्सीजन मैन
बिहार का ऑक्सीजन मैन
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Published : Feb 6, 2023, 12:48 PM IST

पुनपुन का ऑक्सीजन मैन

पटना: राजधानी पटना से सटे पुनपुन में ऑक्सीजन मैन कहे जाने वाले अशोक सिंह (Oxygen Man Ashok Singh) ने अपनी आधी से ज्यादा जिंदगी पेड़ लगाने में बीता दी है. पुनपुन के अकौना गांव के अशोक सिंह को लोग बंगाली बाबा के नाम से भी जानते हैं. वह पिछले 12 साल से दिन-रात सड़क किनारे पौधारोपण कर वातावरण को शुद्ध कर रहे हैं. इसके पीछे कहानी भी काफी दिलचस्प है. अशोक सिंह की पत्नी मनोरमा देवी काफी समय से सांस की बीमारी से जूझ रही थी, तभी एक साधु ने उन्हें शुद्ध हवा में रखने की सलाह दी. फिर क्या था अशोक सिंह ने ऑक्सीजन वाली शुद्ध हवा के लिए पूरे गांव में सड़क किनारे पेड़ लगा दिए. तकरीबन 12 सालों से यह सिलसिला अभी तक जारी है.

पढ़ें-बिहार के ऑक्सीजन मैन गौरव राय बने 'पैडमैन', अब तक लगवा चुके 61 सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन


लोगों ने दिए कई नाम: गांव के लोगों ने उनके नाम से उस सड़क का नाम बंगाली बाबा पद रख दिया है. अशोक सिंह को लोग प्यार से बंगाली बाबा भी कहते हैं. उन्होंने बताया कि यह पेड़ रोपने का सिलसिला उन्होंने तब शुरू किया जब उनकी पत्नी को सांस की बीमारी हो गई थी. वह इलाज के लिए इधर-उधर भटकते रहते थे. गांव में एक छोटे से खपरैलनुमा मकान में रहने वाले अशोक सिंह जो बंगाली बाबा के नाम से प्रसिद्ध है और उन्हें ट्रीमैन, ऑक्सीजन मैन और कई नामों से लोग पुकारते हैं. करीब 25 साल पहले अशोक सिंह रोजगार के सिलसिले में बंगाल चले गए थे और लौटते ही गांव वालों ने उन्हें बंगाली बाबा का नाम दे दिया.


पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव से की गुजारिश: अशोक सिंह खेती करके अपना जीवन चलाते हैं. उन्होंने कहा है कि जिस तरह से मेरे घर में मेरी पत्नी को ऑक्सीजन की बीमारी हुई थी, मैं नहीं चाहता कि गांव में किसी और को ये हो. अपनी पत्नी के बीमार होने के बाद उन्होंने सड़क किनारे बरगद, पीपल, पाकड़, और जामुन के पौधे लगाना शुरू कर दिया. आज भी अकौना गांव से पुनपुन स्टेशन तक 3 किलोमीटर तक सड़क के दोनों किनारे हरे भरे पेड़ दिखते हैं. ये सभी पेड़ बंगाली बाबा का कारनामा है. वह रोज सुबह 6:00 बजे अपने घर से कुदाल और फावड़ा साईकल पर रख कर निकल जाते हैं और सड़कों के किनारे लगे पेड़ पौधों की देखरेख करते हैं. वहीं उन्होंने वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव से गुजारिश की है कि उन्हें अगर और भी सहायता मिले तो पूरे इलाकों को हरा भरा कर देंगे.

"जिस तरह से मेरे घर में मेरी पत्नी को ऑक्सीजन की बीमारी हुई थी, मैं नहीं चाहता कि गांव में किसी और को ये हो. अपनी पत्नी के बीमार होने के बाद मैंने सड़क किनारे बरगद, पीपल, पाकड़, और जामुन के पौधे लगाना शुरू कर दिया. वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव से गुजारिश की है कि मुझे अगर और भी सहायता मिले तो पूरे इलाकों को हरा भरा कर दूंगा."-अशोक सिंह, ऑक्सीजन मैन, पुनपुन

पुनपुन का ऑक्सीजन मैन

पटना: राजधानी पटना से सटे पुनपुन में ऑक्सीजन मैन कहे जाने वाले अशोक सिंह (Oxygen Man Ashok Singh) ने अपनी आधी से ज्यादा जिंदगी पेड़ लगाने में बीता दी है. पुनपुन के अकौना गांव के अशोक सिंह को लोग बंगाली बाबा के नाम से भी जानते हैं. वह पिछले 12 साल से दिन-रात सड़क किनारे पौधारोपण कर वातावरण को शुद्ध कर रहे हैं. इसके पीछे कहानी भी काफी दिलचस्प है. अशोक सिंह की पत्नी मनोरमा देवी काफी समय से सांस की बीमारी से जूझ रही थी, तभी एक साधु ने उन्हें शुद्ध हवा में रखने की सलाह दी. फिर क्या था अशोक सिंह ने ऑक्सीजन वाली शुद्ध हवा के लिए पूरे गांव में सड़क किनारे पेड़ लगा दिए. तकरीबन 12 सालों से यह सिलसिला अभी तक जारी है.

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लोगों ने दिए कई नाम: गांव के लोगों ने उनके नाम से उस सड़क का नाम बंगाली बाबा पद रख दिया है. अशोक सिंह को लोग प्यार से बंगाली बाबा भी कहते हैं. उन्होंने बताया कि यह पेड़ रोपने का सिलसिला उन्होंने तब शुरू किया जब उनकी पत्नी को सांस की बीमारी हो गई थी. वह इलाज के लिए इधर-उधर भटकते रहते थे. गांव में एक छोटे से खपरैलनुमा मकान में रहने वाले अशोक सिंह जो बंगाली बाबा के नाम से प्रसिद्ध है और उन्हें ट्रीमैन, ऑक्सीजन मैन और कई नामों से लोग पुकारते हैं. करीब 25 साल पहले अशोक सिंह रोजगार के सिलसिले में बंगाल चले गए थे और लौटते ही गांव वालों ने उन्हें बंगाली बाबा का नाम दे दिया.


पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव से की गुजारिश: अशोक सिंह खेती करके अपना जीवन चलाते हैं. उन्होंने कहा है कि जिस तरह से मेरे घर में मेरी पत्नी को ऑक्सीजन की बीमारी हुई थी, मैं नहीं चाहता कि गांव में किसी और को ये हो. अपनी पत्नी के बीमार होने के बाद उन्होंने सड़क किनारे बरगद, पीपल, पाकड़, और जामुन के पौधे लगाना शुरू कर दिया. आज भी अकौना गांव से पुनपुन स्टेशन तक 3 किलोमीटर तक सड़क के दोनों किनारे हरे भरे पेड़ दिखते हैं. ये सभी पेड़ बंगाली बाबा का कारनामा है. वह रोज सुबह 6:00 बजे अपने घर से कुदाल और फावड़ा साईकल पर रख कर निकल जाते हैं और सड़कों के किनारे लगे पेड़ पौधों की देखरेख करते हैं. वहीं उन्होंने वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव से गुजारिश की है कि उन्हें अगर और भी सहायता मिले तो पूरे इलाकों को हरा भरा कर देंगे.

"जिस तरह से मेरे घर में मेरी पत्नी को ऑक्सीजन की बीमारी हुई थी, मैं नहीं चाहता कि गांव में किसी और को ये हो. अपनी पत्नी के बीमार होने के बाद मैंने सड़क किनारे बरगद, पीपल, पाकड़, और जामुन के पौधे लगाना शुरू कर दिया. वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव से गुजारिश की है कि मुझे अगर और भी सहायता मिले तो पूरे इलाकों को हरा भरा कर दूंगा."-अशोक सिंह, ऑक्सीजन मैन, पुनपुन

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