पटनाः बिहार की सियासत पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई है और इसके केंद्र में तेजस्वी यादव हैं. जिनपर सबकी नजर है, लेकिन तेजस्वी की नजर नवंबर की तारीखों पर है. बचपन में वे नवंबर की एक तारीख को लेकर काफी खुश रहते थे. अब यही महीना उनके लिए खुशियों की सौगात लेकर आ सकता है.
सपना साकार होने का इंतजार
9 नवंबर 1989 को जन्में तेजस्वी की नजर इस बार 10 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे पर टिकी हुई है. क्रिकेटर से सबसे कम उम्र के उप मुख्यमंत्री बने लालू के 'लाल' अब बिहार के मुख्यमंत्री बनने के सपने के साकार होने का इंतजार कर रहे हैं.
महागठबंधन के फेवर में रूझान
तेजस्वी यादव का नवंबर कनेक्शन रहा है. नवंबर में जन्में तेजस्वी यादव ने उप मुख्यमंत्री का पदभार भी 2015 के नवंबर महीने में संभाला था. इस बार भी 10 नवंबर को मतगणना है. एक्जिट पोल के अनुसार कई जगहों पर महागठबंधन के फेवर में रूझान दिख रहे हैं. ऐसे में नवंबर महीना तेजस्वी के लिए भाग्यशाली साबित हो सकता है.
विपक्ष की भूमिका में रहे सक्रिय
2015 में तेजस्वी यादव ने उपमुख्यमंत्री का पदभार संभाला था, हालांकि वे ज्यादा दिनों तक इस पर काबिज नहीं रह पाए. करीब 18 महीनों बाद महागठबंधन बिखर गया. जेडीयू ने एनडीए का दामन थामकर सरकार बना ली. इसके बाद तेजस्वी नेता प्रतिपक्ष के रूप में सामने आए. तब से वे लगातार विपक्ष की भूमिका में सक्रिय रहे.
बने सबसे युवा उपमुख्यमंत्री
आरजेडी नेता ने पहली बार राघोपुर विधानसभा सीट से 2015 में चुनाव लड़ा था. इसमें उन्हें 91, 236 वोट मिला था. तब उन्होंने बीजेपी के सतीश कुमार को 23 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी थी. ये वही सतीश कुमार थे, जिन्होंने 2010 में राबड़ी देवी को शिकस्त दी थी. बिहार में युवा नेताओं की जब बात आती है तो तेजी से तेजस्वी का नाम सामने आता है. कुछ सालों में विपक्ष में बैठकर तेजस्वी जिस तरह उभरकर सामने आए, उससे इंकार नहीं किया जा सकता कि आज वे लालू के बेटे से अलग अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं.
बिहार चुनाव 2020 के नतीजे अगर महागठबंधन के फेवर में आते हैं, तो तेजस्वी का नवंबर कनेक्शन गहरा हो सकता है. इस बार वे पूरे पांच साल के लिए सत्ता में रहकर अपनी और पार्टी की जो छवि रही है उसे बदल सकते हैं. अब देखने वाली बात होगी की नवंबर में तेजस्वी को कितने नंबर मिलते हैं.?