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नागरिकता कानून को लेकर प्रशांत किशोर ने की इस्तीफे की पेशकश, नीतीश ने ठुकराई

प्रशांत किशोर के निशाने पर केंद्र सरकार के साथ-साथ जेडीयू भी है. हालांकि पीके के खिलाफ पार्टी नेताओं के विरोध से जेडीयू में उनके लंबे समय तक रहने पर संशय है. यहीं, कारण है कि पीके पद से इस्तीफा देना चाहते थे. जिसे पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार ने नामंजूर कर दिया.

patna
प्रशांत किशोर
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Published : Dec 15, 2019, 1:51 PM IST

पटनाः नागरिकता संशोधन बिल पर समर्थन करने के बाद जेडीयू में विरोधाभास के स्वर उठ रहे हैं. पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने बगावती तेवर अपनाया तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह ने पीके को अनुकंपा वाला नेता तक बता दिया. वहीं, पीके को बाहर का रास्ता देख लेने की हिदायत भी दी. जिसके बाद पीके शनिवार को सीएम से मुलाकात करने पहुंचे. उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की, जिसे नीतीश ने ठुकरा दिया.

प्रशांत किशोर ने डेढ़ घंटे की मुलाकात के दौरान तीन बार इस्तीफे की पेशकश की. हालांकि नीतीश कुमार ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया. मुलाकात के दौरान नीतीश से एनआरसी पर मिले आश्वासन के बाद प्रशांत किशोर ने फिर से ट्वीट कर अपना स्टैंड साफ कर दिया है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

एनआरसी पर पीके का ट्वीट
इस्तीफा नामंजूर होने के बाद जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर केंद्र सरकार पर फिर से हमलावर हो गए हैं. रविवार सुबह प्रशांत किशोर ने एनआरसी पर ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, 'राष्ट्रव्यापी एनआरसी का आइडिया नागरिकता के नोटबंदी की तरह है. यह तब तक अमान्य है, जब तक आप इसे साबित नहीं करते. पीके ने आगे लिखा कि हम अपने अनुभवों से जानते हैं कि इससे सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब और हाशिये पर रहने वाले लोग होंगे.

  • The idea of nation wide NRC is equivalent to demonetisation of citizenship....invalid till you prove it otherwise.

    The biggest sufferers would be the poor and the marginalised...we know from the experience!!#NotGivingUp

    — Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 15, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पीके जेडीयू में रहने पर संशय
दरअसल, प्रशांत किशोर के निशाने पर केंद्र सरकार के साथ-साथ जेडीयू भी है. हालांकि पीके के खिलाफ पार्टी नेताओं के विरोध से जेडीयू में उनके लंबे समय तक रहने पर संशय है. यहीं, कारण है कि पीके पद से इस्तीफा देना चाहते थे. जिसे पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार ने नामंजूर कर दिया. हालांकि सियासी पंडित का मानना है कि नीतीश कुमार एक तीर से दो निशाना साध रहे हैं. जहां, पार्टी नेताओं की तरफ से पीके पर जारी जुबानी हमले पर चुप्पी साध रखें हैं. वहीं, दूसरी तरफ इस्तीफे की पेशकश को भी ठुकरा दिया है. ऐसे में देखना है नीतीश कुमार की इस राजनीति के पीछे मंशा क्या है.

पटनाः नागरिकता संशोधन बिल पर समर्थन करने के बाद जेडीयू में विरोधाभास के स्वर उठ रहे हैं. पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने बगावती तेवर अपनाया तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह ने पीके को अनुकंपा वाला नेता तक बता दिया. वहीं, पीके को बाहर का रास्ता देख लेने की हिदायत भी दी. जिसके बाद पीके शनिवार को सीएम से मुलाकात करने पहुंचे. उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की, जिसे नीतीश ने ठुकरा दिया.

प्रशांत किशोर ने डेढ़ घंटे की मुलाकात के दौरान तीन बार इस्तीफे की पेशकश की. हालांकि नीतीश कुमार ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया. मुलाकात के दौरान नीतीश से एनआरसी पर मिले आश्वासन के बाद प्रशांत किशोर ने फिर से ट्वीट कर अपना स्टैंड साफ कर दिया है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

एनआरसी पर पीके का ट्वीट
इस्तीफा नामंजूर होने के बाद जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर केंद्र सरकार पर फिर से हमलावर हो गए हैं. रविवार सुबह प्रशांत किशोर ने एनआरसी पर ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, 'राष्ट्रव्यापी एनआरसी का आइडिया नागरिकता के नोटबंदी की तरह है. यह तब तक अमान्य है, जब तक आप इसे साबित नहीं करते. पीके ने आगे लिखा कि हम अपने अनुभवों से जानते हैं कि इससे सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब और हाशिये पर रहने वाले लोग होंगे.

  • The idea of nation wide NRC is equivalent to demonetisation of citizenship....invalid till you prove it otherwise.

    The biggest sufferers would be the poor and the marginalised...we know from the experience!!#NotGivingUp

    — Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 15, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पीके जेडीयू में रहने पर संशय
दरअसल, प्रशांत किशोर के निशाने पर केंद्र सरकार के साथ-साथ जेडीयू भी है. हालांकि पीके के खिलाफ पार्टी नेताओं के विरोध से जेडीयू में उनके लंबे समय तक रहने पर संशय है. यहीं, कारण है कि पीके पद से इस्तीफा देना चाहते थे. जिसे पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार ने नामंजूर कर दिया. हालांकि सियासी पंडित का मानना है कि नीतीश कुमार एक तीर से दो निशाना साध रहे हैं. जहां, पार्टी नेताओं की तरफ से पीके पर जारी जुबानी हमले पर चुप्पी साध रखें हैं. वहीं, दूसरी तरफ इस्तीफे की पेशकश को भी ठुकरा दिया है. ऐसे में देखना है नीतीश कुमार की इस राजनीति के पीछे मंशा क्या है.

Intro:पटना-- नागरिकता संशोधन बिल को लेकर जदयू में प्रशांत किशोर की नाराजगी के बाद पार्टी के कई नेताओं ने मोर्चा खोल दिया था यहां तक कि राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह ने पीके को अनुकंपा वाले नेता और अलग रास्ता रास्ता देख लेने की हिदायत भी दी थी। पार्टी में अपने खिलाफ उठ रहे विद्रोह को देखते हुए प्रशांत किशोर राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार से मिलने शनिवार को पटना पहुंच गये और सफाई भी दी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा की पेशकश भी की। प्रशांत किशोर एक नहीं तीन बार या पेशकश की हालांकि नीतीश कुमार ने फिलहाल इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। शनिवार को नीतीश कुमार से मिले आश्वासन के बाद प्रशांत किशोर ने आज एक बार फिर से ट्वीट कर अपना स्टैंड साफ कर दिया है।


Body: पार्टी ने जिस प्रकार से नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया था उस पर प्रशांत किशोर की ओर से लगातार ट्वीट कर नाराजगी जताई गई थी जदयू के कई वरिष्ठ नेता प्रशांत किशोर रवैया पर खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया और विरोध इतना हो गया कि प्रशांत किशोर को पटना आकर सफाई देनी पड़ी। यही नहीं पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा की पेशकश तक कर डाली हालांकि नीतीश कुमार ने उसे ठुकरा दिया है लेकिन इसके बावजूद प्रशांत किशोर अब भी मानने को तैयार नहीं है एनआरसी के मुद्दे पर आज एक बार फिर से ट्वीट कर अपनी मंशा साफ कर दी है। प्रशांत किशोर के निशाने पर न केवल जदयू है बल्कि केंद्र सरकार भी है।


Conclusion:प्रशांत किशोर को लेकर पार्टी नेताओं के विरोध से साफ लग रहा है जदयू में प्रशांत किशोर के लिए बने रहना लंबे समय तक आसान नहीं होगा । फिलहाल नीतीश कुमार एक तीर से दो निशाना साध रहे हैं अपने नेताओं से एक तरफ जहां प्रशांत किशोर के खिलाफ बयानबाजी करवा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ प्रशांत किशोर के इस्तीफे की पेशकश को भी ठुकरा रहे हैं ऐसे में देखना है नीतीश कुमार की इस राजनीति के पीछे मंशा क्या है।
अविनाश, पटना।
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