पटना: समाजवादी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह दुनिया में नहीं रहे. लेकिन जब तक जीवित रहे, लालू प्रसाद यादव के साथ कदमताल करते रहे. जीवन के अंतिम दिनों में रघुवंश प्रसाद को लालू प्रसाद की गैरमौजूदगी खल रही थी. वो लालू यादव के बेटों के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे थे. इससे उन्होंने मरने से पहले इस्तीफा देना ही मुनासिब समझा.
रघुवंश प्रसाद सिंह के लंबे राजनीतिक जीवन काल का अंत हो गया. रघुवंश प्रसाद सिंह जब तक जीवित रहे परिवारवाद और भ्रष्टाचार को लेकर मुखर रहे. जीवन के अंतिम दिनों में राजद में उन्हें राजद में सब कुछ देखने को मिला. लालू प्रसाद यादव ने वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करते हुए बेटों को आगे कर दिया. पुत्री को राज्यसभा भेज दिया. लेकिन रघुवंश बाबू के लिए पार्टी में चिंता नहीं थी. एक बार फिर जब राज्यसभा जाने का अवसर आया, तो ऐसे व्यक्ति को राज्यसभा भेज दिया गया, जो पार्टी के सदस्य भी नहीं थे. इन सब चीजों को लेकर रघुवंश बाबू घुटन महसूस कर रहे थे.
रघुवंश बाबू को अंतिम समय में RJD ने किया उपेक्षित: BJP
भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि रघुवंश बाबू परिवारवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष कर राजद को मजबूत किया था. लेकिन बाद में राजद परिवारवाद और भ्रष्टाचार के रास्ते पर चल पड़ी. इससे नाराज होकर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
पटना: समाजवादी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह दुनिया में नहीं रहे. लेकिन जब तक जीवित रहे, लालू प्रसाद यादव के साथ कदमताल करते रहे. जीवन के अंतिम दिनों में रघुवंश प्रसाद को लालू प्रसाद की गैरमौजूदगी खल रही थी. वो लालू यादव के बेटों के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे थे. इससे उन्होंने मरने से पहले इस्तीफा देना ही मुनासिब समझा.
रघुवंश प्रसाद सिंह के लंबे राजनीतिक जीवन काल का अंत हो गया. रघुवंश प्रसाद सिंह जब तक जीवित रहे परिवारवाद और भ्रष्टाचार को लेकर मुखर रहे. जीवन के अंतिम दिनों में राजद में उन्हें राजद में सब कुछ देखने को मिला. लालू प्रसाद यादव ने वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करते हुए बेटों को आगे कर दिया. पुत्री को राज्यसभा भेज दिया. लेकिन रघुवंश बाबू के लिए पार्टी में चिंता नहीं थी. एक बार फिर जब राज्यसभा जाने का अवसर आया, तो ऐसे व्यक्ति को राज्यसभा भेज दिया गया, जो पार्टी के सदस्य भी नहीं थे. इन सब चीजों को लेकर रघुवंश बाबू घुटन महसूस कर रहे थे.