पटना: बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में संभावित हैं. लेकिन विपक्ष में खींचतान जारी है. पिछले साल लोकसभा चुनाव में जब महागठबंधन पूरी ताकत के साथ लड़ा तब भी एनडीए को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था. इस बार कांग्रेस ने किसी तरह एक सीट लाकर महागठबंधन की लाज बचाई थी.
पिछले साल 40 में से 39 सीट एनडीए के खाते में गई थी. इस बार मिशन 2020 से पहले सत्ताधारी दल की ओर से दावा किया जा रहा है कि विपक्ष का एनडीए के साथ कोई मुकाबला ही नहीं है. एनडीए बड़ी जीत की ओर आगे बढ़ रहा है. बीजेपी और जेडीयू की जीत तय है.
बिखरे महागठबंधन के सामने एकजुट एनडीए
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ रही है. महागठबंधन खेमे में सभी दल अपना-अपना कार्यक्रम कर रहे हैं. आरजेडी पूरी तरह महागठबंधन से अलग दिख रहा है. तेजस्वी यादव मोर्चा संभाले लगातार सरकार पर हमला बोल रहे हैं. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा भी अपना अलग धरना प्रदर्शन कार्यक्रम चलाते हैं. महागठबंधन की दूसरी प्रमुख पार्टी कांग्रेस और अन्य छोटी पार्टियों का अपना-अपना कार्यक्रम चल रहा है.
कॉर्डिनेशन की मांग पर अड़े मांझी
जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी एक साथ मिलकर कॉर्डिनेशन कमेटी की मांग कर रहे हैं. लेकिन अब तक उनकी मांग अनसुनी ही है. हम पार्टी के संसदीय दल के नेता और जीतन राम मांझी के पुत्र एमएलसी संतोष सुमन का कहना है कि महागठबंधन बिखरा-बिखरा सा लग रहा है. ऐसे में तो रिजल्ट पर भी असर पड़ना तय है. संतोष सुमन का कहना है कि हम बार-बार कॉर्डिनेशन की मांग कर रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
एनडीए कर रहा जीत का दावा
सत्ताधारी दल जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि चुनाव आते-आते महागठबंधन पूरी तरह बिखर जाएगा. एनडीए के पास नीतीश कुमार का नेतृत्व है. जिसने 15 सालों के अपने कार्यकाल में ऐसी स्थिति पैदा की है कि हर बिहारी अपने आपको गर्व महसूस कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ तेजस्वी यादव का नेतृत्व है जिसे कोई नेता मानने को तैयार नहीं है. इस कारण एनडीए एक बड़ी जीत की ओर आगे बढ़ रहा है.
प्रमुख दलों की स्थिति इस प्रकार है :
- आरजेडी- 80
- जदयू- 70
- बीजेपी- 54
- कांग्रेस- 26
- कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई)- 3
- लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा)- 2
- हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेकुलर (हम)- 1
- एआईएमआईएम- 1
- निर्दलीय- 5
- खाली सीट- 1
राजद की टूट के बाद बढ़ी चुनौती
बिहार महागठबंधन में एकजुटता को लेकर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की ओर से जरूर बैठक की जा रही है. लेकिन बिहार में महागठबंधन के अंदर काफी खींचतान है. आने वाले समय में जब सीटों को लेकर चर्चा होगी तो सभी दल के अपने-अपने दावे होंगे और इसके कारण महागठबंधन को एकजुट रखना आसान नहीं होगा. लोकसभा चुनाव में महागठबंधन एनडीए को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा सका था. ऐसे में अब देखना है कि विधानसभा चुनाव में जब विपक्ष बिखरा-बिखरा है एनडीए को कितना चुनौती दे पाएगा. खासकर हाल के दिनों में आरजेडी में हुई बड़ी टूट के बाद महागठबंधन की चुनौती और बढ़ गई है.