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RJD के वोट बैंक में सेंधमारी की फिराक में NDA, एक जाति विशेष के उम्मीदवारों को दी गई तवज्जो

बिहार में राजनीतिक दलों की मजबूरी है जाति और जातियों के जनसंख्या के हिसाब से उम्मीदवार मैदान में उतारे जाते हैं. एक खास जाति की वर्चस्व बिहार की राजनीति में इसलिए ज्यादा है कि उनका वोट प्रतिशत ज्यादा है और वह अपने हक की लड़ाई लड़ने में सबसे आगे हैं. बिहार के राजनीतिक दलों ने 42फीसदी टिकट एक ही जाति के उम्मीदवारों को दिया है.

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Published : Oct 28, 2020, 3:37 PM IST

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव महागठबंधन और एनडीए के लिए प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है. दोनों दल किसी भी तरीके से बहुमत के जादुई आंकड़े को छूना चाहते हैं. राजनीतिक दल जमकर जाति कार्ड भी खेल रहे हैं. तमाम राजनीतिक दलों ने एक ही जाति के 100 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं.

14 फीसदी से अधिक यादव वोट
बिहार में यादव जाति की जनसंख्या 14 फीसदी से अधिक है. भाजपा, जदयू और राजद की नजर यादव वोट बैंक पर है. लालू यादव कभी एमवाई समीकरण का दंभ भरते थे, लेकिन बाद के दिनों में एनडीए नेता सेंधमारी करने में कामयाब रहे और यादव वोट बैंक का बड़ा हिस्सा एनडीए के पक्ष में चला गया.

देखें वीडियो

एनडीए ने 34 तो महागठबंधन ने 66 यादव प्रत्याशी को दिए टिकट
इस बार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से कुल 34 यादव जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है. जिसमें भाजपा ने 16 और जदयू ने 18 टिकट दिए हैं. राजद की ओर से 55, कांग्रेस की ओर से 5 और वाम पार्टियों की ओर से 4 उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं. कुल मिलाकर महागठबंधन ने 66 यादव जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारे हैं.

विधानसभा में सबसे अधिक यादव विधायक
विधानसभा में भी यादव जाति के विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा है. उनकी तादाद को देखते हुए राजनीतिक दलों ने कुल 42 फीसदी यादव जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा हैं. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को भी सबसे ज्यादा भरोसा यादव जाति के उम्मीदवारों से ही है. पूरे बिहार में इस चुनाव में कुल 23 सीटें ऐसी हैं, जिस पर जीत भी यादव जाति के उम्मीदवारों की होगी और हार भी उन्हीं की होगी. भाजपा ने 2015 के विधानसभा चुनाव में कुल 26 यादव जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिसमें 19 चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे.

एनडीए ने यावद वोट पर किया दावा
राजद में एमवाई समीकरण की राजनीतिक आंकड़े कुछ भी गवाही देते हो, लेकिन राजनीतिक दल उसे स्वीकार करना नहीं चाहते. जदयू ने भले ही सबसे ज्यादा टिकट यादव जाति के उम्मीदवारों को दी हो लेकिन पार्टी का मानना है कि वह जाती-पाती के आधार पर टिकट नहीं देती. जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है कि हम सबका साथ और सबका विकास एजेंडे पर काम करते हैं.
भाजपा ने भी 16 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. बीजेपी नेता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि एक दौर था जब लालू यादव बेवकूफ बनाकर वोट हासिल कर लेते थे, लेकिन अब भाजपा में नित्यानंद राय नंदकिशोर यादव और रामकृपाल यादव है और यादव वोट बैंक एनडीए के पक्ष में है.

सबको साथ लेकर चलती है पार्टी- आरजेडी
राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन का कहना है कि राजद ने कभी भी एमवाई समीकरण की राजनीति नहीं की है. विरोधियों ने इस दुष्प्रचार को फैलाया है. हम सबको साथ लेकर चलते हैं. हर वर्ग के लोगों को पार्टी हिस्सेदारी देती है. यह बात इतर है कि राजद ने 55 यादव उम्मीदवारों को मैदान में उतारे हैं.

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव महागठबंधन और एनडीए के लिए प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है. दोनों दल किसी भी तरीके से बहुमत के जादुई आंकड़े को छूना चाहते हैं. राजनीतिक दल जमकर जाति कार्ड भी खेल रहे हैं. तमाम राजनीतिक दलों ने एक ही जाति के 100 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं.

14 फीसदी से अधिक यादव वोट
बिहार में यादव जाति की जनसंख्या 14 फीसदी से अधिक है. भाजपा, जदयू और राजद की नजर यादव वोट बैंक पर है. लालू यादव कभी एमवाई समीकरण का दंभ भरते थे, लेकिन बाद के दिनों में एनडीए नेता सेंधमारी करने में कामयाब रहे और यादव वोट बैंक का बड़ा हिस्सा एनडीए के पक्ष में चला गया.

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एनडीए ने 34 तो महागठबंधन ने 66 यादव प्रत्याशी को दिए टिकट
इस बार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से कुल 34 यादव जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है. जिसमें भाजपा ने 16 और जदयू ने 18 टिकट दिए हैं. राजद की ओर से 55, कांग्रेस की ओर से 5 और वाम पार्टियों की ओर से 4 उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं. कुल मिलाकर महागठबंधन ने 66 यादव जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारे हैं.

विधानसभा में सबसे अधिक यादव विधायक
विधानसभा में भी यादव जाति के विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा है. उनकी तादाद को देखते हुए राजनीतिक दलों ने कुल 42 फीसदी यादव जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा हैं. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को भी सबसे ज्यादा भरोसा यादव जाति के उम्मीदवारों से ही है. पूरे बिहार में इस चुनाव में कुल 23 सीटें ऐसी हैं, जिस पर जीत भी यादव जाति के उम्मीदवारों की होगी और हार भी उन्हीं की होगी. भाजपा ने 2015 के विधानसभा चुनाव में कुल 26 यादव जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिसमें 19 चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे.

एनडीए ने यावद वोट पर किया दावा
राजद में एमवाई समीकरण की राजनीतिक आंकड़े कुछ भी गवाही देते हो, लेकिन राजनीतिक दल उसे स्वीकार करना नहीं चाहते. जदयू ने भले ही सबसे ज्यादा टिकट यादव जाति के उम्मीदवारों को दी हो लेकिन पार्टी का मानना है कि वह जाती-पाती के आधार पर टिकट नहीं देती. जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है कि हम सबका साथ और सबका विकास एजेंडे पर काम करते हैं.
भाजपा ने भी 16 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. बीजेपी नेता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि एक दौर था जब लालू यादव बेवकूफ बनाकर वोट हासिल कर लेते थे, लेकिन अब भाजपा में नित्यानंद राय नंदकिशोर यादव और रामकृपाल यादव है और यादव वोट बैंक एनडीए के पक्ष में है.

सबको साथ लेकर चलती है पार्टी- आरजेडी
राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन का कहना है कि राजद ने कभी भी एमवाई समीकरण की राजनीति नहीं की है. विरोधियों ने इस दुष्प्रचार को फैलाया है. हम सबको साथ लेकर चलते हैं. हर वर्ग के लोगों को पार्टी हिस्सेदारी देती है. यह बात इतर है कि राजद ने 55 यादव उम्मीदवारों को मैदान में उतारे हैं.

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