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गोवा की पहली महिला राज्यपाल मृदुला सिन्हा को मरणोपरांत मिला पद्मश्री सम्मान

गोवा की पहली महिला गवर्नर. पॉलिटिशियन और लेखिका मृदुला सिंन्हा की नवंबर, 2020 में मृत्यु हो गई थी. बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी रहीं. लंबे समय तक जनसंघ से जुड़ी रहीं. आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में हिस्सा लिया. उन्होंने 46 से अधिक किताबें लिखीं.

पटना
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Published : Feb 6, 2021, 2:56 PM IST

पटना: गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा को भी पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है. उन्हें मरणोपरांत ये सम्मान दिया गया है. पिछले साल नवंबर में उनका निधन हो गया था. वे लंबे वक्त तक जनसंघ से जुड़ी रही थीं.

गोवा की पहली महिला राज्यपाल मृदुला सिन्हा
गोवा की पहली महिला राज्यपाल मृदुला सिन्हा

परिजनों में खुशी का माहौल
मृदुला सिन्हा को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा गया है. उन्हें मरणोपरांत इस सम्मान के लिए चुना गया है. इसको लेकर मुजफ्फरपुर में उनके परिजनों में खुशी का माहौल है.

मरणोपरांत मिला पद्मश्री सम्मान
मरणोपरांत मिला पद्मश्री सम्मान

ये भी पढ़ें- छठ पर लिखी मृदुला की रचनाएं बिखेरती रहीं गांव की खुशबू

मुजफ्फरपुर जिले के कांटी छपरा में 27 नवंबर 1942 को जन्मीं मृदुला जानी मानी हिंदी की लेखिका थीं. वे केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पूर्व अध्यक्ष व भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष रह चुकी थीं. उन्होंने जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व वाली 'समग्र क्रांति' में सक्रियता से भाग लिया था.

लंबे समय तक जनसंघ से जुड़ी रहीं
लंबे समय तक जनसंघ से जुड़ी रहीं

मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर करने के बाद बीएड की डिग्री हासिल की थी. मोतिहारी स्थित डॉ. एसके सिन्हा महिला कॉलेज में व्याख्याता के रूप में अपने कॅरियर की शुरुआत की थी.

महिला मोर्चा की प्रथम अध्यक्ष
मृदुला सिन्हा के पति डॉ. रामकृपाल सिन्हा जनसंघ में थे. इस वजह से घर में भी नेताओं का आना-जाना लगा रहता था. 1967 के चुनाव में धीरे-धीरे उनकी रुचि राजनीति में बढ़ती गई. 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी की चुनाव संयोजिका थीं. इसके बाद महिला मोर्चा की प्रथम अध्यक्ष बनाई गईं.

46 से अधिक किताबें लिखीं
46 से अधिक किताबें लिखीं

मृदुला सिन्हा: साहित्यिक योगदान
घरवास (उपन्यास), यायावरी आंखों से (लेखों का संग्रह), देखन में छोटे लगें (कहानी संग्रह). राजपथ से लोकपथ पर (जीवनी), नई देवयानी (उपन्यास), ज्यों मेंहदी को रंग (उपन्यास), सीता पुनि बोलीं (उपन्यास), बिहार की लोककथाएं -एक (कहानी संग्रह), विकास का विश्वास (लेखों का संग्रह), बिहार की लोककथाएं-दो (कहानी संग्रह), ढाई बीघा जमीन (कहानी संग्रह), मात्र देह नहीं है औरत (स्त्री-विमर्श), साक्षात्कार (कहानी संग्रह) अहिल्या उपन्यास प्रमुख हैं. वह पांचवां स्तंभ की संपादिका भी रहीं.

पटना: गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा को भी पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है. उन्हें मरणोपरांत ये सम्मान दिया गया है. पिछले साल नवंबर में उनका निधन हो गया था. वे लंबे वक्त तक जनसंघ से जुड़ी रही थीं.

गोवा की पहली महिला राज्यपाल मृदुला सिन्हा
गोवा की पहली महिला राज्यपाल मृदुला सिन्हा

परिजनों में खुशी का माहौल
मृदुला सिन्हा को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा गया है. उन्हें मरणोपरांत इस सम्मान के लिए चुना गया है. इसको लेकर मुजफ्फरपुर में उनके परिजनों में खुशी का माहौल है.

मरणोपरांत मिला पद्मश्री सम्मान
मरणोपरांत मिला पद्मश्री सम्मान

ये भी पढ़ें- छठ पर लिखी मृदुला की रचनाएं बिखेरती रहीं गांव की खुशबू

मुजफ्फरपुर जिले के कांटी छपरा में 27 नवंबर 1942 को जन्मीं मृदुला जानी मानी हिंदी की लेखिका थीं. वे केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पूर्व अध्यक्ष व भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष रह चुकी थीं. उन्होंने जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व वाली 'समग्र क्रांति' में सक्रियता से भाग लिया था.

लंबे समय तक जनसंघ से जुड़ी रहीं
लंबे समय तक जनसंघ से जुड़ी रहीं

मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर करने के बाद बीएड की डिग्री हासिल की थी. मोतिहारी स्थित डॉ. एसके सिन्हा महिला कॉलेज में व्याख्याता के रूप में अपने कॅरियर की शुरुआत की थी.

महिला मोर्चा की प्रथम अध्यक्ष
मृदुला सिन्हा के पति डॉ. रामकृपाल सिन्हा जनसंघ में थे. इस वजह से घर में भी नेताओं का आना-जाना लगा रहता था. 1967 के चुनाव में धीरे-धीरे उनकी रुचि राजनीति में बढ़ती गई. 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी की चुनाव संयोजिका थीं. इसके बाद महिला मोर्चा की प्रथम अध्यक्ष बनाई गईं.

46 से अधिक किताबें लिखीं
46 से अधिक किताबें लिखीं

मृदुला सिन्हा: साहित्यिक योगदान
घरवास (उपन्यास), यायावरी आंखों से (लेखों का संग्रह), देखन में छोटे लगें (कहानी संग्रह). राजपथ से लोकपथ पर (जीवनी), नई देवयानी (उपन्यास), ज्यों मेंहदी को रंग (उपन्यास), सीता पुनि बोलीं (उपन्यास), बिहार की लोककथाएं -एक (कहानी संग्रह), विकास का विश्वास (लेखों का संग्रह), बिहार की लोककथाएं-दो (कहानी संग्रह), ढाई बीघा जमीन (कहानी संग्रह), मात्र देह नहीं है औरत (स्त्री-विमर्श), साक्षात्कार (कहानी संग्रह) अहिल्या उपन्यास प्रमुख हैं. वह पांचवां स्तंभ की संपादिका भी रहीं.

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