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बिहार में जातीय जनगणना टालने का बहाना खोज रही नीतीश सरकार: सुशील मोदी

पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बिहार में जातीय जनगणना को लेकर सीएम नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार जातीय जनगणना को टालने के लिए बहानेबाजी कर रही है. पढ़ें पूरी खबर..

सुशील मोदी
सुशील मोदी
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Published : Nov 15, 2022, 6:55 PM IST

Updated : Nov 15, 2022, 11:05 PM IST

पटनाः पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने जातीय गणना को लेकर बड़ा हमला (MP Sushil Modi On Cast Census Deadline ) किया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार बिहार में जातीय जनगणना (caste census in bihar) टालने का लगातार बहाना खोज रही है. सुशील मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना शुरु करने का समय अगले साल फरवरी से बढ़ा कर मई 2023 करने का कैबिनेट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि सरकार को मतदाता सूची के पुनरीक्षण की जानकारी पहले से थी और मैट्रिक-इंटर की परीक्षाओं की तिथि भी पूर्व निर्धारित है. इन बातों को केवल जनगणना टालने का बहाना बनाया गया है.

ये भी पढ़ें-नीतीश कैबिनेट में 13 एजेंडों पर मुहर: बिहार में जातीय जनगणना की समय सीमा बढ़ी, कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ा

"बिहार में जातीय जनगणना टालने के लिए नीतीश सरकार बहाना खोज रही है. जातीय जनगणना शुरु करने का समय अगले साल फरवरी से बढ़ा कर मई 2023 करने का कैबिनेट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है."-सुशील मोदी, पूर्व डिप्टी सीएम

तेलंगाना ने एक दिन में किया था कर्मचारियों की जातीय जणगणनाः पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार निकाय चुनाव टाल कर अतिपिछड़ों को वंचित करने के बाद अब जातीय जनगणना टालने के नये-नये बहाने खोज रहे हैं. मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना शुरु करने का समय अगले साल फरवरी से बढ़ा कर मई 2023 करने का कैबिनेट का फैसला गलत है. उन्होंने आगे कहा कि जातीय जनगणना कराने के लिए कैबिनेट का फैसला 2 जून को हुआ, लेकिन अभी तक न मकानों की गिनती हुई और न ही नम्बरिंग हुई, न जिला और प्रखंड स्तर पर अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया. सुशील मोदी ने कहा कि जनगणना ऐप और पोर्टल बनाने के लिए परामर्शी की नियुक्ति छह माह पहले हो जानी चाहिए थी, लेकिन इसका अभी निर्णय हुआ है. उन्होंने कहा कि तेलंगाना सरकार ने सभी कर्मचारियों को लगाकर जातीय जनगणना का काम एक दिन में पूरा किया, लेकिन नीतीश सरकार इसे बार-बार टाल रही है.

जून में जातीय जनगणना का लिया गया था फैसलाः 2 जून 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में बिहार में जातीय जनगणना की स्वीकृति दे दी गई थी. बैठक में फरवरी 2023 तक जाति आधारित गणना पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है था और इस पर 500 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. एक जून को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में जाति आधारित जनगणना के लिए सर्वदलीय बैठक हुई थी. जिसमें सबकी सहमति बनी थी और उसके बाद ही कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पारित किया गया. वहीं मंगलवार (15 नवंबर) को नीतीश कैबिनेट की बैठक (Nitish Cabinet Meeting) में 13 एजेंडों पर मुहर लगी. बैठक में बिहार में जातीय गणना की समय सीमा बढ़ाकर मई 2023 कर दी गई है.
ये भी पढ़ें- बिहार सरकार कराएगी जातीय जनगणना, बोले नीतीश- सभी संप्रदाय के जातियों की होगी गिनती

पटनाः पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने जातीय गणना को लेकर बड़ा हमला (MP Sushil Modi On Cast Census Deadline ) किया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार बिहार में जातीय जनगणना (caste census in bihar) टालने का लगातार बहाना खोज रही है. सुशील मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना शुरु करने का समय अगले साल फरवरी से बढ़ा कर मई 2023 करने का कैबिनेट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि सरकार को मतदाता सूची के पुनरीक्षण की जानकारी पहले से थी और मैट्रिक-इंटर की परीक्षाओं की तिथि भी पूर्व निर्धारित है. इन बातों को केवल जनगणना टालने का बहाना बनाया गया है.

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"बिहार में जातीय जनगणना टालने के लिए नीतीश सरकार बहाना खोज रही है. जातीय जनगणना शुरु करने का समय अगले साल फरवरी से बढ़ा कर मई 2023 करने का कैबिनेट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है."-सुशील मोदी, पूर्व डिप्टी सीएम

तेलंगाना ने एक दिन में किया था कर्मचारियों की जातीय जणगणनाः पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार निकाय चुनाव टाल कर अतिपिछड़ों को वंचित करने के बाद अब जातीय जनगणना टालने के नये-नये बहाने खोज रहे हैं. मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना शुरु करने का समय अगले साल फरवरी से बढ़ा कर मई 2023 करने का कैबिनेट का फैसला गलत है. उन्होंने आगे कहा कि जातीय जनगणना कराने के लिए कैबिनेट का फैसला 2 जून को हुआ, लेकिन अभी तक न मकानों की गिनती हुई और न ही नम्बरिंग हुई, न जिला और प्रखंड स्तर पर अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया. सुशील मोदी ने कहा कि जनगणना ऐप और पोर्टल बनाने के लिए परामर्शी की नियुक्ति छह माह पहले हो जानी चाहिए थी, लेकिन इसका अभी निर्णय हुआ है. उन्होंने कहा कि तेलंगाना सरकार ने सभी कर्मचारियों को लगाकर जातीय जनगणना का काम एक दिन में पूरा किया, लेकिन नीतीश सरकार इसे बार-बार टाल रही है.

जून में जातीय जनगणना का लिया गया था फैसलाः 2 जून 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में बिहार में जातीय जनगणना की स्वीकृति दे दी गई थी. बैठक में फरवरी 2023 तक जाति आधारित गणना पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है था और इस पर 500 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. एक जून को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में जाति आधारित जनगणना के लिए सर्वदलीय बैठक हुई थी. जिसमें सबकी सहमति बनी थी और उसके बाद ही कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पारित किया गया. वहीं मंगलवार (15 नवंबर) को नीतीश कैबिनेट की बैठक (Nitish Cabinet Meeting) में 13 एजेंडों पर मुहर लगी. बैठक में बिहार में जातीय गणना की समय सीमा बढ़ाकर मई 2023 कर दी गई है.
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Last Updated : Nov 15, 2022, 11:05 PM IST
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