पटना: बिहार की राजधानी पटना स्थित जेडीयू के कार्यालय में जनसुनवाई कार्यक्रम में पहुंचे वित्त और संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि क्या सोचकर बीजेपी की केंद्र सरकार कदम उठाती है. यह तो वही बता सकती है. कुछ दिन पहले ही 2000 का नोट शुरू किए थे. फिर बंद कर दिए. कुल मिलाकर बात यही है कि अर्थव्यवस्था इनके नियंत्रण में नहीं है. अर्थव्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है. आखिर यह सब कदम जो उठाने पर मजबूर हो रहे हैं. कभी नोट बंद कर दे रहे हैं. कभी चालू कर कर दे रहे हैं. आखिर यह सब क्या इशारा कर रहा है. अर्थव्यवस्था या वित्तीय व्यवस्था हमारे देश की अच्छी नहीं है.
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खराब वित्तीय स्थिति छुपाने की कोशिश: विजय चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार परेशान है. इसलिए इस तरह के बेचैन कदम उठाने के लिए मजबूर है. लेकिन लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है. वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को यदि नोट आसानी से बदलना है तो और समय देना चाहिए. इसलिए हमारे समझ से यह हमारे देश के खराब आर्थिक और वित्तीय स्थिति को छिपाने के लिए दूसरी तरफ ध्यान हटाने की कोशिश है.
"सिर्फ खराब होती अर्थव्यस्था से ध्यान हटाने की कोशिश में नोटबंदी जैसे फैसले लिये जा रहे हैं. क्या सोचकर बीजेपी की केंद्र सरकार कदम उठाती है. यह तो वही बता सकती है. कुछ दिन पहले ही 2000 का नोट शुरू किए थे. फिर बंद कर दिए. कुल मिलाकर बात यही है कि अर्थव्यवस्था इनके नियंत्रण में नहीं है. अर्थव्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है" - विजय कुमार चौधरी, वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री
2016 में नोटबंदी का जदयू ने किया था समर्थन: बिहार के वित्त मंत्री ने कहा कि 2016 में जब प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा की थी तो उस समय जदयू के तरफ से समर्थन किया गया था, लेकिन अब नोटबंदी को लेकर जदयू के सुर बदल गए हैं. उस समय भी जदयू महागठबंधन की सरकार में शामिल थी, लेकिन कांग्रेस और आरजेडी से अलग हटकर नोटबंदी का समर्थन किया था. इस बार भी जदयू महागठबंधन में है लेकिन विपक्षी एकजुटता के कारण केंद्र सरकार के नोटबंदी का विरोध कर रही है.