पटना: बिहार में 1 लाख 12 हजार जीविका समूह (Jeevika Group) कार्यरत हैं. इन समूहों के जरिए तकरीबन 1 करोड़ से भी ज्यादा परिवार जुड़े हुए हैं. ग्रामीण विकास विभाग (Rural Development Department) द्वारा इन जीविका समूह को संचालित किया जाता है. बिहार सरकार (Bihar Government) इन समूहों के जरिए कई कामों में सहयोग लेती है.
ये भी पढ़ें- जीविका दीदियों को भुगतान के लिए सरकार गंभीर: श्रवण कुमार
जीविका समूह बैंकों से ऋण लेकर कई तरह के लघु, कुटीर और घरेलू उद्योग का काम करती हैं. लेकिन, बैंकों की उदासीनता के कारण आज भी जीविका समूह को पर्याप्त मात्रा में समय पर ऋण मुहैया नहीं कराया जा रहा है. स्थिति तो ये है कि बार-बार सरकार के द्वारा निर्देश देने के बावजूद बैंकों के रवैये में कोई बदलाव नहीं दिखता है.
इस पर ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार (Rural Development Minister Shravan Kumar) का कहना है कि जीविका समूह के द्वारा ऋण लौटाने का अनुपात तकरीबन 98% है. बावजूद इसके बैंकों द्वारा जीविका समूहों को ऋण देने में काफी उदासीनता बरती जाती है. बैंक धनपति और बड़े-बड़े उद्योगपतियों को ऋण देने में तनिक भी देर नहीं करती हैं, जबकि ज्यादातर ऋण डिफॉल्टर बड़े लोग ही हैं.
''बैंक गरीब और आम जनता को ऋण देने में महत्व दिखाएं. जीविका समूह के द्वारा ऋण लौटाने का रेट काफी बेहतर है. लेकिन, आज भी बैंकों के द्वारा जीविका समूहों को ऋण देने में बढ़ती जा रही उदासीनता जगजाहिर है.''- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री
ये भी पढ़ें- कोरोना संकट के बीच जीविका दीदीयों के कामों की हो रही तारीफ
बता दें कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार द्वारा जीविका समूह को ऋण देने का लक्ष्य 1 लाख 29 हजार करोड़ रखा गया है. हालांकि, इसमें कितना ऋण बैंकों द्वारा जीविका समूह को निर्गत किया जाएगा, यह वक्त ही बतायेगा. लेकिन, ग्रामीण विकास मंत्री बैंकों के सामने फरियाद लगा रहे हैं और कहते हैं कि गरीबों के लिए भी बैंक अपना दिल खोलें.