पटना: बिहार कैबिनेट ने बड़ा निर्णय लेते हुए प्रदेश के नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त को मंजूरी दे दी है. साथ ही लंबे अर्से से लंबित पड़े शिक्षकों की अधिकतर मांगों को मान लिया गया है. इसके बाद बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
अभिषेक कुमार ने कहा कि नियोजित शिक्षक अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं, क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री ने विधानमंडल के अंदर और सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि नियोजित शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के आलोक में वेतनमान दिया जाएगा. साथ ही पंचायती राज व्यवस्था से नियोजित शिक्षकों को बाहर निकाला जाएगा. इसके लिए शिक्षा विभाग ने शॉर्ट टर्म, मीड टर्म और लांग टर्म प्लान बना कर भी पंचायती राज व्यवस्था से एक वर्ष के अंदर निकालने का निर्देश था. उन्होंने कहा कि शिक्षकों को लम्बे समय से आस थी कि उन्हें पंचायती राज व्यवस्था से मुक्ति मिलेगी. लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें निराश किर दिया.
'सरकार ने शिक्षक के मांगों को किया दरकिनार'
संघ के प्रवक्ता अभिषेक ने कहा कि नियोजित शिक्षकों की पिछले दिनों चली ढाई महीने की लंबी हड़ताल की गई थी, जिसमें 75 से अधिक शिक्षकों ने अपनी प्राणों की आहुति दी थी. मुख्यमंत्री के पहल और अनुरोध पर हड़ताल समाप्त हुई थी. आश्वासन दिया गया था कि आप सबों की मांगों पर विचार कर उसे लागू किया जाएगा. लेकिन उन सभी मांगों को दरकिनार कर मात्र पूर्व के ही मिल रहे लाभ को नए ढंग से घोषित कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि जहां तक वेतन बढ़ोतरी की बात है. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए गए अपने ही हलफनामा से वादा खिलाफी की है. नई सेवा शर्त में पुरुष शिक्षकों के स्थानांतरण का जो प्रावधान किया गया है. वो काफी जटिल और अनुपालन करना संभव नहीं है, जबकि पुरुष शिक्षक भी अपने परिवार से दूर अन्य जिलों में पदस्थापित हैं.
उन्होंने कहा कि जहां तक ईपीएफ का लाभ देने की बात है. तो राज्य सरकार ने प्रोसपेक्टिव इफेक्ट (भावी प्रभाव) से देने की बात कही है, जो सरकार के द्वारा बनाए गए ईपीएफ एक्ट, 1953 का उल्लंघन है. नई सेवाशर्त में अन्य सेवाशर्तों की तरह वित्तीय उन्नयन/एसीपी (एश्योरड कैरियर प्रमोशन) का कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
क्या कहते हैं शिक्षक संघ के मीडिया प्रभारी
बिहार प्राथमिक शिक्षक संघ के मीडिया प्रभारी मनोज कुमार ने सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों की पिछले दिनों चली ढाई महीने की लंबी हड़ताल चली, जिसमें 75 से अधिक शिक्षकों ने अपनी प्राणों की आहुति दी थी. लेकिन सरकार ने उनके सभी मांगों को दरकिनार कर मात्र पूर्व के ही मिल रहे लाभ को नए ढंग से घोषित कर दिया गया है.