पटना: बिहार की राजधानी पटना (Patna) में 2019 बैच के एमबीबीएस छात्रों (MBBS Student) ने पीएमसीएच में जमकर हंगामा किया है. छात्रों ने रिजल्ट में सुधार की मांग को लेकर प्रदर्शन किया है. इस दौरान अस्पताल में ओपीडी सेवा (OPD) बंद कर दी गई. ओपीडी बंद होने से मरीजों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
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पीएमसीएच (PMCH) में हंगामा कर रहे 2019 बैच के एमबीबीएस छात्रों का कहना है कि 2021 के मार्च में उन लोगों ने फर्स्ट ईयर का परीक्षा दी थी. जिसके बाद 27 सितंबर को रिजल्ट जारी किया गया. जिसमें प्रदेश के 1100 छात्रों में से 438 को फेल कर दिया गया.
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छात्रों ने कहा कि 400 से अधिक छात्र एक या दो नंबर की कमी से फेल किए गए हैं. ऐसे में छात्रों ने जब रिजल्ट में रिवैल्युएशन की मांग को लेकर आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी (Aryabhatta Knowledge University) पहुंचे तो यूनिवर्सिटी के तरफ से कहा गया कि रिवैल्युएशन का यूनिवर्सिटी में कोई प्रावधान नहीं है.
पीएमसीएच में छात्रों ने आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी और पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. छात्रों ने कहा कि उनकी समस्याओं को लेकर पीएमसीएच के प्रिंसिपल भी उनसे नहीं मिल रहे हैं. इस दौरान 2019 बैच के एमबीबीएस छात्रों को पीएमसीएच के सभी मेडिकल स्टूडेंट्स ने समर्थन दिया.
छात्रों ने कहा कि जब उन्होंने आरटीआई फाइल कर यूनिवर्सिटी से अपनी कॉपी मंगाई तो पाया कि कॉपी चेक करने में काफी अनियमितता की गई है. छात्रों ने सही उत्तर पर टिक किया है. उसे एग्जामिनर ने चेक भी किया है. लेकिन वहां नंबर नहीं दिया गया है. ऐसी काफी सारी कॉपी गलत चेक की गई है. बता दें कि जो छात्र दो नंबर से फेल हुए हैं, उनका पासिंग मार्क्स से 18 से 20 नंबर अधिक आ रहा है.
छात्रों ने जब यूनिवर्सिटी के एग्जामिनेशन कंट्रोलर राजीव रंजन से बात की तो उनका कहना था कि वह कोर्ट जाए. ऐसे में अगर वह कोर्ट जाते हैं, तो रिजल्ट पर रोक लगा दी जाएगी. क्योंकि कोरोना की वजह से पहले से ही बहुत सी फाइलें वहां पड़ी हुई हैं. जिससे छात्रों का रिजल्ट 6 महीने बाद आएगा. ऐसे में वह 3 साल तक एक ही ईयर में फंसे रह जाएंगे.
छात्रों ने कहा कि सेकंड ईयर की पढ़ाई भी आधी पूरी हो चुकी है. ऐसे में अगर उन लोगों के कॉपी के रिवैल्युएशन को लेकर यूनिवर्सिटी और कॉलेज निर्णय नहीं लेता है, तो भविष्य में प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज की ओपीडी बाधित की जाएगी.
एमबीबीएस छात्रों ने अपना नाम नहीं बताया और कहा कि मीडिया में अगर उनका नाम जाता है, तो यूनिवर्सिटी उनके परिजनों को नोटिस भेज देती है और कॉपी चेक करने में भी पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाते हुए ऐसे बच्चों को फेल कर दिया जाता है.
'एमबीबीएस में लगभग 450 बच्चे फेल हैं. जिसमें से 400 बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें मात्र 1 या 2 नंबर से फेल किया गया है. प्रश्न का उत्तर सही देने के बावजूद भी जीरो नंबर दिया गया है. एमसीक्यू या तो सही होता है या तो गलत होता है. यह प्रोफेसर के मूड पर डीपेंड नहीं होता है. अगर प्रश्न का उत्तर सही है, तो दो नंबर पूरी दी जानी चाहिए. लेकिन छात्र एक-एक नंबर से फेल हैं.' -एमबीबीएस छात्र