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लोकसभा चुनाव 2019: चुनावी पिच पर क्लीन बोल्ड हुए बिहार के कई नेता - pappu yadav

चुनावी दंगल में इस बार पप्पू यादव, शकील अहमद, साधु यादव समेत पूर्व सांसद पुतुल देवी भी क्लीन बोल्ड हो गईं.

पप्पू यादव
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Published : May 26, 2019, 8:39 PM IST

Updated : May 26, 2019, 10:46 PM IST

पटना: लोकसभा चुनाव 2019 को कई मायनों में याद किया जाएगा. इस चुनाव में एनडीए गठबंधन को प्रचंड जीत मिली है. तो वहीं, बिहार में कई राजनीतिक हस्तियों के पैरों तले जमीन खिसक गई है. इस सूची में सबसे ऊपर नाम मधेपुरा के पूर्व सांसद पप्पू यादव का है. जिन्हें कोशी के सीमांचल इलाकों में मजबूत पकड़ रखने वाले नेताओं में शुमार किया जाता था. इसबार उनका जादू भी नहीं चल पाया.

पप्पू यादव दो दशकों तक बिहार की राजनीति का केंद्र रहे. लेकिन, इसबार वह अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए. 2014 में उन्होंने राजद के टिकट से मधेपुरा के सांसद रहे शरद यादव को भारी मतों से हराया था. उसके बाद 2015 विधानसभा चुनाव में उन्होंने लालू के बेटों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए स्वंय को लालू प्रसाद यादव के बाद उत्तराधिकारी नियुक्ति किए जाने का दावा ठोक दिया. जिसके बाद पूरा लालू परिवार पप्पू यादव के विरोध में खड़ा हो गया.

जानकारी देते ईटीवी भारत संवाददाता

कई बागी नेता ना घर के रहे ना घाट के
राजद में अपने खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए पप्पू यादव ने 2016 में जन अधिकार पार्टी बना डाली. इसबार वह फिर से मधेपुरा के चुनावी दंगल में उतरे. लेकिन, वह ना घर के रहे और ना घाट के. बता दें कि इसबार के चुनावी दंगल में कांग्रेस से बगावत कर शकील अहमद मधुबनी से मैदान में उतरे, तो वहीं, महराजगंज से साधु यादव के अलावे बांका से निर्दलीय चुनाव में उतरी पूर्व सांसद पुतुल देवी भी क्लीन बोल्ड हो गई.

पटना: लोकसभा चुनाव 2019 को कई मायनों में याद किया जाएगा. इस चुनाव में एनडीए गठबंधन को प्रचंड जीत मिली है. तो वहीं, बिहार में कई राजनीतिक हस्तियों के पैरों तले जमीन खिसक गई है. इस सूची में सबसे ऊपर नाम मधेपुरा के पूर्व सांसद पप्पू यादव का है. जिन्हें कोशी के सीमांचल इलाकों में मजबूत पकड़ रखने वाले नेताओं में शुमार किया जाता था. इसबार उनका जादू भी नहीं चल पाया.

पप्पू यादव दो दशकों तक बिहार की राजनीति का केंद्र रहे. लेकिन, इसबार वह अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए. 2014 में उन्होंने राजद के टिकट से मधेपुरा के सांसद रहे शरद यादव को भारी मतों से हराया था. उसके बाद 2015 विधानसभा चुनाव में उन्होंने लालू के बेटों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए स्वंय को लालू प्रसाद यादव के बाद उत्तराधिकारी नियुक्ति किए जाने का दावा ठोक दिया. जिसके बाद पूरा लालू परिवार पप्पू यादव के विरोध में खड़ा हो गया.

जानकारी देते ईटीवी भारत संवाददाता

कई बागी नेता ना घर के रहे ना घाट के
राजद में अपने खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए पप्पू यादव ने 2016 में जन अधिकार पार्टी बना डाली. इसबार वह फिर से मधेपुरा के चुनावी दंगल में उतरे. लेकिन, वह ना घर के रहे और ना घाट के. बता दें कि इसबार के चुनावी दंगल में कांग्रेस से बगावत कर शकील अहमद मधुबनी से मैदान में उतरे, तो वहीं, महराजगंज से साधु यादव के अलावे बांका से निर्दलीय चुनाव में उतरी पूर्व सांसद पुतुल देवी भी क्लीन बोल्ड हो गई.

Intro:लोकसभा के चुनावी पिच पर खेलने उतरे इसबार कई राजनैतिक दिग्गज क्लीन बोल्ड हो गए...तो वही कई नेता अपना जमानत बचाने में भी फेल हो गए।


Body:2019 के लोकसभा का चुनाव को कई मायनों में याद किया जाएगा.इस चुनाव में एनडीए गठबंधन को मिली महाजीत के साथ ही बिहार के कई राजनैतिक हस्तियों की छीन चुकी जमीन को लेकर...इस फेहरिस्त में सबसे ऊपर मधेपुरा के पूर्व सांसद पप्पू यादव आते है...जिन्हें कोशी के सीमांचल इलाकों में मजबूत पकड़ रखने वाले नेताओं में शुमार किया जाता है।

पप्पू यादव दो दशकों तक बिहार के राजनित के केंद्र रहे लेकिन इसबार जमानत भी बचा नही पाएं...2014 में राजद के टिकट से मधेपुरा के सांसद रहे शरद यादव को भारी मतों से हराया था..उसके बाद 2015 के विधानसभा चुनाव लालू पुत्रो के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अपने आपको राजद में लालू प्रसाद यादव के बाद उत्तराधिकारी का दावा ठोक दिया..जिसके बाद पूरा लालू परिवार ने पप्पू यादव के विरोध में खड़ा हो गया।

राजद में बढते विरोध को देखते हुए पप्पू यादव ने 2016 में जन अधिकार पार्टी बना डाली..इसबार फिरसे मधेपुरा के चुनावी दंगल में उतर गए..जिसके बाद वह ना घर के रहे ना घाट के।

आपको बताते चले इसबार के चुनावी दंगल में मधुबनी से कांग्रेस से बगावत कर मैदान में उतरे शकील अहमद..तो महराजगंज से लालू प्रसाद यादव के साले साधु यादव के साथ बांका से निर्दलीय चुनाव में उतरी पूर्व सांसद पुतुल देवी क्लीन बोल्ड हो गई।



Conclusion:
Last Updated : May 26, 2019, 10:46 PM IST
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