पटना: लोकसभा चुनाव 2019 को कई मायनों में याद किया जाएगा. इस चुनाव में एनडीए गठबंधन को प्रचंड जीत मिली है. तो वहीं, बिहार में कई राजनीतिक हस्तियों के पैरों तले जमीन खिसक गई है. इस सूची में सबसे ऊपर नाम मधेपुरा के पूर्व सांसद पप्पू यादव का है. जिन्हें कोशी के सीमांचल इलाकों में मजबूत पकड़ रखने वाले नेताओं में शुमार किया जाता था. इसबार उनका जादू भी नहीं चल पाया.
पप्पू यादव दो दशकों तक बिहार की राजनीति का केंद्र रहे. लेकिन, इसबार वह अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए. 2014 में उन्होंने राजद के टिकट से मधेपुरा के सांसद रहे शरद यादव को भारी मतों से हराया था. उसके बाद 2015 विधानसभा चुनाव में उन्होंने लालू के बेटों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए स्वंय को लालू प्रसाद यादव के बाद उत्तराधिकारी नियुक्ति किए जाने का दावा ठोक दिया. जिसके बाद पूरा लालू परिवार पप्पू यादव के विरोध में खड़ा हो गया.
कई बागी नेता ना घर के रहे ना घाट के
राजद में अपने खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए पप्पू यादव ने 2016 में जन अधिकार पार्टी बना डाली. इसबार वह फिर से मधेपुरा के चुनावी दंगल में उतरे. लेकिन, वह ना घर के रहे और ना घाट के. बता दें कि इसबार के चुनावी दंगल में कांग्रेस से बगावत कर शकील अहमद मधुबनी से मैदान में उतरे, तो वहीं, महराजगंज से साधु यादव के अलावे बांका से निर्दलीय चुनाव में उतरी पूर्व सांसद पुतुल देवी भी क्लीन बोल्ड हो गई.