पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जीतन राम मांझी का महागठबंधन से अलग होना विपक्षी एकता की पटना में होने वाली बैठक के लिए बड़ा अपशकुन है. उन्होंने कहा कि पहले बैठक की तारीख टली, फिर रोज कोई न कोई बड़ा नेता इससे दूरी बना रहे हैं. बता दें कि आज 14 जून को जीतन राम मांझी की पार्टी ने महागठबंधन से अलग होने का ऐलान किया है. उनके मंत्री संतोष सुमन ने नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है. इसके बाद राज्य का सियासी माहौल गरमाया हुआ है.
इसे भी पढ़ेंः Santosh Suman Resign: एक साथ कितनी छोटी-छोटी दुकानें चलेंगी?...ललन सिंह बोले- 'क्या बुराई थी'
"नीतीश कुमार ने वरिष्ठ दलित नेता जीतन राम मांझी को अपमानित कर मुख्यमंत्री पद से हटाया था और अब उनकी पार्टी का जदयू में विलय के लिए दबाव बनाया जा रहा था. मोदी ने कहा कि कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति नीतीश कुमार के साथ नहीं रह सकता. आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के बाद मांझी का किनारा करना साधारण घटना नहीं है. महागठबंधन सरकार बनने के बाद पिछले नौ महीनों में एक भी बड़ा दल या नेता इससे नहीं जुड़ा है"- सुशील मोदी, राज्यसभा सदस्य
सुशील मोदी ने ली चुटकीः पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नीतीश कुमार की विपक्षी एकता मुहिम से केसीआर, नवीन पटनायक, मायावती, एचडी कुमारस्वामी और जगनमोहन रेड्डी पहले ही दूरी बना चुके हैं. अब उमर अब्दुल्ला ने भी पटना बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के निकाय चुनाव में जब टीएमसी के गुंडे कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर हमले कर रहे हैं, तब नीतीश कुमार वहां इन दो दलों में क्या एकता करा पाएंगे.
बिहार में बन रही रणनीतिः नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता को लेकर एक फार्मूले पर काम कर रहे हैं. उनकी मंशा है कि कांग्रेस किस तरह उन राज्यों में फिट बैठ जाए जहां वो कमजोर है. इसके लिए उसे क्षेत्रीय क्षत्रपों के झंडे तले चुनाव लड़ना होगा. 23 जून को होने वाली बैठक पर इस पर चर्चा होगी. नीतीश कुमार की नजर उन राज्यों पर विशेष रूप से है जहां कांग्रेस कमजोर है और क्षेत्रीय दल मजबूत स्थिति में है. बिहार सहित आठ राज्य ऐसे हैं जहां 262 लोकसभा की सीटें हैं और 2019 के चुनाव में कांग्रेस को केवल 17 सीटों पर जीत मिली थी.