पटना: हिन्दू धर्म में सूर्य आराधना का एक विशेष महत्व है. ज्योतिषविदों का मानना है कि सभी पंचदेवों में सूर्य का विशेष स्थान होता है. संक्रांति का पर्व हर वर्ष के 14 जनवरी को मनाया जाता था. लेकिन इस साल सूर्य अराधना का यह पावन पर्व 15 जनवरी को मनाया जा रहा. इसको लेकर धर्म के जानकारों के अपने-अपने तर्क हैं.
'मंगलवार को नहीं छुआ जाता है तिल'
इस बाबत जब ईटीवी भारत संवाददाता ने धर्म के जानकार पंडित उमा पांडे से बात की तो उन्होंने बताया कि इस साल संक्रांति मंगलवार के दिन पर रहा था. सनातन धर्म के अनुसार इस दिन लोग तिल और गुड़ को नहीं छूते हैं. जिस वजह से इस साल मकर संक्रांति 14 तारीख के बजाय 15 फरवरी को मनाया जाएगा.
14 जनवरी मकर राशि में प्रवेश करेगा सूर्य
पंडित उमा पांडे बताते हैं कि इस साल सूर्य 14 जनवरी को 12 बजे के बाद मकर राशि में प्रवेश कर रहा है. यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद मनाया जाता है. जिस वजह से इस साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाया जा रहा है.
दान देने का है विशेष महत्व
इस पर्व में किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद दान का विशेष महत्व होता है. ऐसा करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दिन धर्मावलंबी स्नान के बाद तिल, गुड़ और अरवा चावल दान कर ग्रहण करते हैं.
खरमास होगा समाप्त
15 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही एक महीने से चला आ रहा खरमास समाप्त हो जाएगा. जिसके बाद विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. इस बार जनवरी से लेकर जून तक 70 से ज्यादा लगन मुहूर्त बन रहे हैं.