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मकर संक्रांति पर बन रहा है विशेष योग, दान-पुण्य का मिलेगा कई गुना फल

ज्योतिषविदों का मानना है कि इस साल सूर्य 14 जनवरी को 12 बजे के बाद मकर राशि मे प्रवेश हुआ. यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद मनाया जाता है. जिस वजह से इस साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाया जा रहा है.

मकर संक्राति
मकर संक्राति
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Published : Jan 13, 2020, 8:27 PM IST

Updated : Jan 15, 2020, 10:29 AM IST

पटना: हिन्दू धर्म में सूर्य आराधना का एक विशेष महत्व है. ज्योतिषविदों का मानना है कि सभी पंचदेवों में सूर्य का विशेष स्थान होता है. संक्रांति का पर्व हर वर्ष के 14 जनवरी को मनाया जाता था. लेकिन इस साल सूर्य अराधना का यह पावन पर्व 15 जनवरी को मनाया जा रहा. इसको लेकर धर्म के जानकारों के अपने-अपने तर्क हैं.

'मंगलवार को नहीं छुआ जाता है तिल'
इस बाबत जब ईटीवी भारत संवाददाता ने धर्म के जानकार पंडित उमा पांडे से बात की तो उन्होंने बताया कि इस साल संक्रांति मंगलवार के दिन पर रहा था. सनातन धर्म के अनुसार इस दिन लोग तिल और गुड़ को नहीं छूते हैं. जिस वजह से इस साल मकर संक्रांति 14 तारीख के बजाय 15 फरवरी को मनाया जाएगा.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

14 जनवरी मकर राशि में प्रवेश करेगा सूर्य
पंडित उमा पांडे बताते हैं कि इस साल सूर्य 14 जनवरी को 12 बजे के बाद मकर राशि में प्रवेश कर रहा है. यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद मनाया जाता है. जिस वजह से इस साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाया जा रहा है.

दान देने का है विशेष महत्व
इस पर्व में किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद दान का विशेष महत्व होता है. ऐसा करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दिन धर्मावलंबी स्नान के बाद तिल, गुड़ और अरवा चावल दान कर ग्रहण करते हैं.

ज्योतिषविद उमा पांडेय
ज्योतिषविद उमा पांडेय

खरमास होगा समाप्त
15 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही एक महीने से चला आ रहा खरमास समाप्त हो जाएगा. जिसके बाद विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. इस बार जनवरी से लेकर जून तक 70 से ज्यादा लगन मुहूर्त बन रहे हैं.

पटना: हिन्दू धर्म में सूर्य आराधना का एक विशेष महत्व है. ज्योतिषविदों का मानना है कि सभी पंचदेवों में सूर्य का विशेष स्थान होता है. संक्रांति का पर्व हर वर्ष के 14 जनवरी को मनाया जाता था. लेकिन इस साल सूर्य अराधना का यह पावन पर्व 15 जनवरी को मनाया जा रहा. इसको लेकर धर्म के जानकारों के अपने-अपने तर्क हैं.

'मंगलवार को नहीं छुआ जाता है तिल'
इस बाबत जब ईटीवी भारत संवाददाता ने धर्म के जानकार पंडित उमा पांडे से बात की तो उन्होंने बताया कि इस साल संक्रांति मंगलवार के दिन पर रहा था. सनातन धर्म के अनुसार इस दिन लोग तिल और गुड़ को नहीं छूते हैं. जिस वजह से इस साल मकर संक्रांति 14 तारीख के बजाय 15 फरवरी को मनाया जाएगा.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

14 जनवरी मकर राशि में प्रवेश करेगा सूर्य
पंडित उमा पांडे बताते हैं कि इस साल सूर्य 14 जनवरी को 12 बजे के बाद मकर राशि में प्रवेश कर रहा है. यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद मनाया जाता है. जिस वजह से इस साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाया जा रहा है.

दान देने का है विशेष महत्व
इस पर्व में किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद दान का विशेष महत्व होता है. ऐसा करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दिन धर्मावलंबी स्नान के बाद तिल, गुड़ और अरवा चावल दान कर ग्रहण करते हैं.

ज्योतिषविद उमा पांडेय
ज्योतिषविद उमा पांडेय

खरमास होगा समाप्त
15 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही एक महीने से चला आ रहा खरमास समाप्त हो जाएगा. जिसके बाद विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. इस बार जनवरी से लेकर जून तक 70 से ज्यादा लगन मुहूर्त बन रहे हैं.

Intro:एंकर मकर संक्रांति का पर्व इस साल 15 जनवरी को मनाया जाएगा बिहार के अधिकांश हिस्सों में लोग 15 जनवरी को ही इस बार मकर संक्रांति का पर्व मनाएंगे इसको लेकर पंडितों का राय है कि मंगलवार का दिन पड़ने के कारण लोग तिल और गुड़ को छू नही सकते हैं और एक कारण यह भी है कि लोग 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाए आपको बता दे कि मकर संक्रांति के दिन लोग स्नान कर सूर्य की आराधना करते हैं साथ ही तिल और गुड़ का प्रसाद भी भगवान भास्कर को चढ़ाते है और तिल गुड़ का भी दान करते है पंडितों की राय है कि मंगलवार होने के कारण लोग ऐसा नही कर सकते


Body: इसको लेकर पंडित उमा पांडे का कहना है कि 14 जनवरी को रात में 12 बजे के बाद ही सुर्य मकर राशि मे प्रवेश कर रहा है और मकर संक्रांति तब मनाया जाता है जब सूर्य मकर राशि मे प्रबेश कर जाय तो कहीं ना कहीं यह भी एक कारण है कि लोग 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाए उमा पांडे ने कहा कि इस पर्व को मनाने से लोगों को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है साथ ही इस दिन दान करने से सौभाग्य में बृद्धि होती है मुख्य रूप से गंगा किनारे रहने वाले लोग इस दिन गंगा स्नानादि कर गंगा घाट पर तिल गुड़ और अरबा चावल दान करते है साथ ही तिल और गुड़ से बने सामग्री ग्रहण करते हैं बिहार में अधिकांश जगह पर लोग नए धान के बने चूड़ा और दही ही इस दिन भोजन करते हैं


Conclusion:बिहार के कई हिस्से में लोग इस दिन नए चावल का खिचड़ी भी खाते हैं और नए चावल का लाई बनाकर खाते हैं ऐसे इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा लेकिन यह त्योहार अक्सर 14 जनवरी को ही मनाया जाता था
Last Updated : Jan 15, 2020, 10:29 AM IST
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