नई दिल्ली: सरकारी नौकरियों और प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर लोक जनशक्ति पार्टी ने असहमति जताई है. बिहार के हाजीपुर से लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद और दलित सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने पीएम मोदी से मांग की है कि सर्वोच्च अदालत में इसके लिए पुनर्विचार याचिका दायर की जाए.
पशुपति कुमार पारस ने कहा कि अगर इससे भी काम न चले, तो केंद्र सरकार फिर से अध्यादेश लाए. पुरानी व्यवस्था को ही चलने दिया जाए. कभी हाईकोर्ट, तो कभी सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस तरह के निर्णय आते हैं और इससे दलित समाज में भ्रम फैलता है. दलितों को लगता है कि आरक्षण को समाप्त करने की कोशिश हो रही है.
'गलत बयानबाजी कर रहे राहुल गांधी'
एलजेपी सांसद ने कहा कि केंद्र सरकार के नियत में कहीं कोई खोट नहीं है. सरकार दलित हितैषी है. जब कोर्ट की तरफ से ही निर्णय आया है, तो सरकार को कुछ न कुछ कदम, तो उठाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी कह रहे हैं कि सरकार आरक्षण को समाप्त करना चाहती है. वह विपक्ष में हैं इसलिए इस तरह के बयानबाजी कर रहे हैं. लेकिन जमीनी हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है.
- सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी को दिए गए अपने फैसले में कहा था कि सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को सरकारी नौकरी प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है.
चिराग पहले ही जता चुके हैं असहमति
लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जमुई सांसद चिराग पासवान ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति जताई है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था, 'लोक जनशक्ति पार्टी अदालत के ऐसे निष्कर्षों से सहमत नहीं है. लोजपा सरकार से मांग करती है कि भारत के संविधान के तहत प्रदान किए गए आरक्षण को बहाल करने के लिए वो कदम उठाए.'