पटना: लोकसभा चुनाव में एनडीए को मिली सफलता और महागठबंधन को मिली असफलता के बाद बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के लिए नेताओं में बेचैनी बढ़ती जा रही है. बेहतर संभावनाओं की तलाश में महागठबंधन के नेता अपने दल को छोड़ दूसरे दल की ओर जाने लगे हैं. इस कारण से पार्टी के नेताओं ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
बता दें कि 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन आरएलएसपी के एक दर्जन नेताओं ने पाला बदल लिया और जेडीयू में शामिल हो गए. वहीं, 15 जनवरी को चूड़ा-दही के भोज के दिन वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर आरजेडी विधायक ने भी नीतीश कुमार के प्रति अपनी इच्छा जताई और दावा किया कि नीतीश कुमार ही 2020 में बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे.
टिकट की आस में पार्टी बदलते हैं नेता- अभिषेक झा
आरएलएसपी के एक दर्जन नेताओं ने जैसे ही जेडीयू की सदस्यता ग्रहण की उसको लेकर पार्टी प्रवक्ता अभिषेक झा बचाव में उतर आए. उन्होंने कहा कि ऐसी बात नहीं है कि हमारे पार्टी के ही नेता दूसरी पार्टी में जा रहे हैं. बल्कि दूसरी पार्टी के लोग भी हमारी पार्टी में शामिल होने आ रहे हैं. लेकिन, यहां जाने-आने का कोई सवाल नहीं है. वैसे नेता अपनी महत्वाकांक्षा को लेकर पाला बदलते हैं. उन्हें दूसरी पार्टी से टिकट मिलने की आस होती है तो वो पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में चले जाते हैं.
'लाभ के लिए नेता बदलते हैं पाला'
आरजेडी विधायक फराज फातमी ने विधानसभा चुनाव में पाला बदलने का मूड बना लिया है. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर चूड़ा-दही के भोज में उनके दिए बयान पर आरजेडी ने सफाई दी है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा जिसको जहां जाना है वो वहां जाए किसी को बांधकर तो रखा नहीं जा सकता. अपने लाभ के लिए नेता पाला बदलते हैं. वो अपने सिद्धांतों से भी समझौता कर लेते हैं.
कांग्रेस ने भी दी प्रतिक्रिया
आरएलएसपी और आरजेडी नेताओं के पार्टी बदलने को लेकर कांग्रेस ने भी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस प्रवक्ता ने सफाई देते हुए कहा कि किसी नेता के आने या किसी नेता के चले जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता है. हम अपनी विचारधारा पर अब भी कायम हैं.